रजिस्ट्रार ने दस्तावेजी साक्ष्य व दूसरे अभिलेखों का हवाला देते हुए कहा है कि प्रथम दृष्टया यह सामने आई है कि बैंक का संचालक मंडल सोसाइटी अधिनियम के तहत कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहा है। ऐसे कार्य किए जा रहे हैं जो बैंक अथवा बैंक के सदस्यों के हितों के विपरीत है। ऐसे में संचालक मंडल को हटाया जाना जरूरी है।
रजिस्ट्रार देवांगन ने कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ कार्रवाई व फैसले की अवधि तक बैंक के संचालक मंडल के अस्थायी तौर पर निलंबन के साथ कामकाज के अधिकारों पर रोक लगा दी है। निलंबन के मामले में भी कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए रजिस्ट्रार ने सुनवाई के लिए 1 अगस्त नियत की है। (Durg news)
रजिस्ट्रार ने फसल बीमा क्षतिपूर्ति की राशि के समायोजन की गड़बड़ी को लेकर भी आदेश जारी किया है। जिसके मुताबिक अब क्षतिपूर्ति पर ब्याज की राशि 22 लाख 98 हजार 309 रुपए बैंक द्वारा वहन किया जाएगा। बैंक के अफसरों ने क्षतिपूर्ति की राशि किसानों की ऋण खाता के बजाए बचत खाता में डाल दिया था। जिससे किसान ऋणमाफी के लाभ से वंचित हो गए थे।
नियम के विपरीत शाखा भवनों के लिए 50 लाख की स्वीकृति। धमधा की जगह बोरी में 25 लाख व दुधली की जगह अर्जुन्दा में 27 लाख के भवन निर्माण की स्वीकृत,।तहसील व ग्राम पंचायत स्तर पर 3.25 करोड़ के व्यय की स्वीकृति।
वित्तीय वर्ष 2016 -17 में बैंक द्वारा समितियों में निर्माणाधीन गोदामों के लिए 1 करोड़ रुपए अनुदान की स्वीकृति व अनुदान में अनियमितता।
अवैध एकमुश्त समझौता योजना लागू कर ऋणी किसानों को नियम विपरीत ब्याज में छूट देकर 28 .90 लाख की आर्थिक क्षति।
श्रीबलराम कृषि उत्पाद एवं विपणन को-ऑपरेटिव सोसाइटी को पात्रता नहीं होने के बाद भी नियम विरूद्ध 2.75 करोड़ का ऋण।
बैंक के संसाधनों का उपयोग नियम विरूद्ध श्रीबलराम कृषि उत्पाद एवं को-ऑपरेटिव सोसाइटी के लिए।
निविदा शर्तों के विपरीत संविदा आधार पर नियुक्त सीईओ विनोद गुप्ता का मासिक वेतन 1.20 लाख से बढ़ाकर 1.50 लाख किया।
अधिनियम के विपरीत हाइकोर्ट में पैरवी करने वाले अधिवक्ता को भुगतान।
अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन व कर्ज माफी की राशि के गलत समायोजन मामले में निर्णय लेने में विफलता।
रजिस्ट्रार ने संचालक मंडल के कामकाज पर रोक के साथ कलेक्टर दुर्ग को बैंक का प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त किया है। इसके साथ ही अब संचालक मंडल द्वारा किया गया कोई भी आदेश या पारित किया गया संकल्प व अन्य कार्य प्रभावी नहीं होगा जब तक प्राधिकारी अधिकारी यानि कलेक्टर द्वारा अनुमोदित नहीं जाएगा।