वरूण सोमवार को प्रथम पाली में ड्यूटी पर था। वह पहले स्टील मेल्टिंग शॉप-2 (एसएमएस-2) के लेडल-वे के पिट नंबर 2 में रखे हुए लेडल नंबर 8 की रिलाइनिंग कार्य का सुपरविजन कर रहा था। सहकर्मियों ने देखा कि वह मुंह के बल गिरा पड़ा हुआ है। उसे मेन मेडिकल पोस्ट ले गया, वहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। मंगलवार को लोकतांत्रिक इस्पात एवं इंजीनियरिंग मजदूर यूनियन के राजेंद्र परगनिया, सुरेंद्र मोहंती, अभिषेक यादव और मृतक वरुण के परिजन उनके विभाग प्रमुख अरुण कुमार मिश्रा से मुलाकात करने गए।
यूनियन नेताओं ने इंजुरी फॉर्म भरने और घटना की जानकारी ली। मिश्रा ने बताया की इंजुरी फॉर्म भरने की कार्रवाई चल रही है। उन्होंने फॉर्म दिखाने से मना कर दिया। इसे दुर्घटना न मानकर एक घटना होना बताया। इस पर प्रतिनिधियों ने प्रबंधन की मंशा पर सवाल उठाया। परगनिया ने बताया कि मिश्रा तंज कसते हुए कहने लगा कि मैं बोकारो से आया हंू। वहां और यहां के कल्चर में फर्क है।
परगनिया ने बताया कि शिफ्ट इंचार्ज प्रदीप धुरंधर ने सच्चाई बताना चाहा तो मिश्रा उन्हें डांटने लगे। यहां तक कह दिया कि लगता है तुम कल ड्यूटी पर नहीं थे? इतना ही नहीं उनका मोबाइल अपने हाथ में लेकर चेक करने लगे। जबकि धुरंधर ही उस दिन शिफ्ट इंचार्ज की भूमिका में था और मृतक वरुण को काम का निर्देश देकर भेजा था। इससे साफ है कि प्रबंधन वरूण के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति देेने से बचने मामले को रफा-दफा करने में लगा है।
यूनियन नेताओं नेे बताया कि सोमवार दोपहर लगभग 12 बजे की घटना है और मंगलवार दोपहर एक बजे तक 24 घंटे बाद भी इंजुरी फॉर्म भरकर सेक्टर-9 हॉस्पिटल की मॉच्र्युरी नहीं पहुंचाया गया था जिससे साफ हो सके कि इस दुर्घटना के प्रति प्रबंधन क्या नजरिया रखता है। इस बात को लेकर परिजन गुस्से में भी है। प्रतिनिधि और मान्यता प्राप्त बड़ी यूनियनों की खामोशी पर भी लोगों ने आश्चर्य जताया है।
परिवारजन ने बताया कि सोमवार को विभाग के अधिकारी घर आए थे। उन्होंने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि कार्य के दौरान वरूण को चक्कर आ गया। कुछ देर बैठा रहा फिर गिर गए। मामूली सी खरोच आई है। उन्हें मेन मेडिकल पोस्ट ले जाया गया तो डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। परिवार को नियमत: सारी चीजें प्रबंधन दिलाएगा। जबकि सहकर्मियों का कहना है कि वरूण काम करते-करते गिरा है।