scriptबिजनेस छोड़ थामी रिसर्च की राह, पढि़ए लॉकडाउन में भिलाई IIT के पहले पीएचडी स्कॉलर सुयश की सफलता की कहानी | Suyash became Bhilai IIT's first PhD scholar, read success stroy | Patrika News

बिजनेस छोड़ थामी रिसर्च की राह, पढि़ए लॉकडाउन में भिलाई IIT के पहले पीएचडी स्कॉलर सुयश की सफलता की कहानी

locationभिलाईPublished: May 13, 2020 01:57:12 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

भिलाई निवासी सुयश कंदेले ने नेटवर्क सिक्योरिटी एंड क्रिप्टोग्रॉफी पर रिसर्च किया है। लॉकडाउन के चलते थीसिस डिफेंस सेमिनार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किया गया।

बिजनेस छोड़ थामी रिसर्च की राह, पढि़ए लॉकडाउन में भिलाई IIT के पहले पीएचडी स्कॉलर सुयश की सफलता की कहानी

बिजनेस छोड़ थामी रिसर्च की राह, पढि़ए लॉकडाउन में भिलाई IIT के पहले पीएचडी स्कॉलर सुयश की सफलता की कहानी

भिलाई. सेजबहार स्थित आईआईटी भिलाई (IIT Bhilai) के खाते में एक और उपलब्धि दर्ज हो गई है। यहां के एक छात्र ने पीएचडी की डिग्री हासिल की है। खास बात यह है कि वर्ष 2016 में भिलाई समेत जम्मू, तिरुपति, पलक्कड़ गोवा और धारवाड़ आईआईटी की स्थापना हुई थी जिसमें पहली पीएचडी यहां हुई है। दूसरी विशेष बात ये है कि जिसे पीएचडी मिली है वह छात्र छत्तीसगढ़ का है।
रिसर्च का रास्ता चुना
भिलाई निवासी सुयश कंदेले ने नेटवर्क सिक्योरिटी एंड क्रिप्टोग्रॉफी पर रिसर्च किया है। लॉकडाउन के चलते थीसिस डिफेंस सेमिनार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किया गया। पोस्ट-डॉक्टरल रिसर्च के लिए अब्रॉड जाना चाहते हैं। वहां से लौटकर देश में नेटवर्क व कंप्यूटर सेफ्टी की स्थिति को मजबूत करने में योगदान देना चाहते हैं। सुयश की फैमिली का बिजनेस है लेकिन पैरेंट्स ने यह फैसला उन्हीं पर छोड़ दिया था। इस तरह सुयश ने बिजनेस छोड़ रिसर्च का रास्ता चुना।
रिसर्च में थी सबसे ज्यादा दिलचस्पी
सयश का कहना है कि मुझे बचपन से ही परिवार में एकेडमिक माहौल मिला है, जिसकी वजह से स्कूल के दिनों से ही मुझे रिसर्च में इंटरेस्ट रहा है। मैं एनआईटी रायपुर के सीएस डिपार्टमेंट में बीटेक प्रोग्राम में सिल्वर मेडलिस्ट रहा हूं और मैंने अपना बीटेक फाइनल इयर प्रोजेक्ट क्रिप्टोग्राफी पर रिसर्च कर बनाया था। जब मैं अपने सुपरवाइजर डॉ. सौर्यद्युति पॉल से मिला तब उन्होंने मुझे क्रिप्टोग्राफ़ी की बारीकियों और इस फील्ड से जुड़े कई इंटरेस्टिंग प्रॉब्लम्स के बारे में बताया, जिससे इस फील्ड में मेरी रूचि और ज्यादा हो गई।
पिता हैं बिजनेसमैन
सुयश ने बताया कि उनके दादा एवं नाना शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं देते रहे हैं। पापा शरद गुप्ता कंदेले बिजनेसमैन हैं और मां रेखा गुप्ता कंदेले हाउस वाइफ है। पैरेंट्स और बड़ी बहन पोस्ट-ग्रेजुएट हैं। पीएचडी एक लंबी और शानदार यात्रा है जिसमें कई उतार-चढ़ाव आते हैं लेकिन अपने सपनों को साकार करने के लिए मेरे परिवार के समर्थन ने मुझे हमेशा प्रोत्साहन और प्रेरणा दी है। मुझे मेरी बड़ी बहन से पीएचडी के लिए विशेष प्रोत्साहन मिला है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो