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बीएसपी की प्रमुख यूनियन ने पूछा क्या होता है लोकल एग्रीमेंट

locationभिलाईPublished: Jul 11, 2019 04:26:29 pm

Submitted by:

Abdul Salam

स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड के स्तर पर उस तरह का कोई समझौते नहीं किए हो, तो ऐसे एग्रीमेंट को ही लोकल एग्रीमेंट कहा जा सकता है.

BHILAI

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भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र के टेलीकॉम कर्मियों से सीटू नेताओं ने कहा कि ऐसा एग्रीमेंट जो केवल भिलाई में हो रहा हो और उसका लाभ भी केवल भिलाई कर्मियों को मिले। सेल के स्तर पर उस तरह का कोई समझौते नहीं किए हो, तो ऐसे एग्रीमेंट को ही लोकल एग्रीमेंट कहा जा सकता है। लोकल एग्रीमेंट स्थानीय प्रबंधन के साथ उस संयंत्र के कर्मियों के लिए किया जाने वाला समझौते होता है, लेकिन जिस तरह से कैंटीन अलाउंस से लेकर पेट्रोल अलाउंस, मोबाइल सिम सोने के सिक्के तक भिलाई में दिलाने की बात कही जा रही है। यह सारी सुविधाएं भिलाई मे लोकल एग्रीमेंट के कारण मिल रहा है, तो यह सारे सुविधाएं सेल के दूसरे संयंत्रों में कैसे मिल रहा है, किसके प्रयास से मिला है, यह भी साफ कर दें।
फिर कर्मियों को बताया इसे कहते हैं लोकल एग्रीमेंट
बीएसपी के तमाम विभागों में विभिन्न यूनियन के नेता इस तरह के बयान दे रहे हैं, इस पर सीटू ने सवाल खड़ा किया है। एसएसके पनिकर बताया कि ने बताया कि सीएल-अवकाश-सीएल, स्वप्रमाणित 3 दिन का एचपीएल, सीपीएफ लोन को 12 गुना करना, अधिकारियों के टाइप के आवास को कर्मियों को आवंटन के लिए व्यवस्था करना, ट्रेनी के बचे हुए ईएल व एचपीएल को कैरिफारवर्ड करवाना सहित कुछ ऐसे सुविधाएं हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर सीटू ने अपने कार्यकाल में किए, लेकिन आर्थिक मामलों से जुड़े हुए करीब सारी सुविधाएं केंद्रीय स्तर के समझौते में ही हो रही हैं, कर्मियों को इस नाम से गुमराह न करें।
यह होता है सेंट्रल एग्रीमेंट
उन्होंने कर्मियों को बताया कि ऐसा कोई भी समझौता जो केंद्रीय स्तर पर हो, उस समझौते में हुई बातचीत को सेल के सभी संयंत्रों में एक जैसे लागू किया जाता है, वह सेंट्रल एग्रीमेंट होता है। मौजूदा समय में इंसेंटिव स्कीम को छोड़कर करीब आर्थिक रूप से सीधे लाभ देने वाले सभी एग्रीमेंट जैसे वेतन समझौता, भत्ते, बोनस, इंसेंटिव का पोटेंशियल के बारे में सेंट्रल लेवल पर ही एग्रीमेंट होता है, इसको लेकर किए जा रहे बयानबाजी गलत है।
क्या होता था पहले लोकल एग्रीमेंट में
पहले मध्यप्रदेश बाद में बने छत्तीसगढ़ में एमपीआईआर बाद में सीजीआईआर एक्ट के तहत नियम यह था, कि एनजेसीएस के स्तर पर जो भी समझौता होगा उसको बीएसपी के स्तर पर लागू करने के लिए प्रबंधन व यूनियन असिस्टेंट लेबर कमिश्नर स्टेट की उपस्थिति में फिर उस समझौते को लिखकर स्थानीय स्तर पर दस्तखत करते थे व कर्मियों को उस समय की मौजूदा मान्यता प्राप्त यूनियन ने यह बताया जाता था, कि पेट्रोल अलाउंस से लेकर रात्रि कालीन भत्ता तक व कैंटीन अलाउंस से लेकर फ्यूल सब्सिडी तक स्थानीय स्तर पर एग्रीमेंट कर हासिल किए हैं, जो की पूरी तरह से झूठ था। यह सारे एलाउंस सभी संयंत्रों में एक समान ही मिला करते थे, लेकिन संचार माध्यम मजबूत ना होने के कारण यहां के कर्मियों को यह नहीं पता चल पाता था।
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