जनदर्शन में की शिकायत
दीपा पवन रंगारी ने कलेक्टर को दिए शिकायत पत्र में बताया कि प्रेग्नेंट होने के बाद से लगातार जिला अस्पताल, दुर्ग में जांच करवा रही थी। जब डिलिवरी की डेट आ गई। तब 17 मार्च 2021 को वह जिला अस्पताल गई। यहां सुबह 6 बजे से एडमिट करवाए। लेबर रूम के बरामदे में वह करीब 11 बजे तक थी, तब एक नर्स ने आकर कहा कि खर्चा लगेगा दो हजार रुपए दो। इस पर मरीज ने कहा कि अभी नहीं है, डिलिवरी के बाद दे देंगे। इसके कुछ देर बाद डिलिवरी के लिए आई मरीज को लेबर रूम के बरामदे से बाहर करते हुए अस्पताल से ही बाहर जाने कहा गया।
परिवार वालों के पैरों तले खिसक गई जमीन
पीडि़़ता ने बताया कि बाहर जाने जब कहा तो बाहर आने तक ब्लडिंग शुरू हो चुकी थी। ब्लडिंग के दौरान ही हायर सेंटर जाने कहा गया। सुबह 6 बजे से चिकित्सक का इंतजार करने के बाद 11 बजे जाने कहा गया। यह सुनकर परिवार वालों के पैरों तले जमीन खिसक गई। रिश्तेदारों ने जांच की पर्ची मांगा तो कहा गया उसे लेकर चिकित्सक ओटी रूम में गए हैं। तब मजबूरी में निजी निजी एंबुलेंस कर दीपा को सेक्टर-9 अस्पताल में दाखिल किए।
नार्मल डिलीवरी होने के बाद भी बच्चे का एक हाथ नहीं कर रहा काम
सेक्टर-9 अस्पताल में नार्मल डिलिवरी हुई। पीडि़त परिवार को चिकित्सकों ने बताया कि देरी होने की वजह से बच्चे ने गंदा पानी पी लिया। इसकी वजह से उसे 13 दिनों तक अलग से आईसीयू में रखकर इलाज किए। इस तरह से दो लाख तक कर्ज हो गया। सरकारी अस्पताल जाने वाले के लिए यह रकम आसान नहीं है।
जांच हो चुकी है पूरी
कलेक्टर, दुर्ग को इस संबंध में शिकायत पहले मिली थी। उनके निर्देश पर मामले में दोनों पक्ष का बयान लिए और जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंपा गया। अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।