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निगम करोड़ों की जमीन पर कब्जा देने तैयार, पर भूमि-स्वामी नहीं ले रहा क्यो? पढ़ें खबर

locationभिलाईPublished: Nov 11, 2017 10:07:11 pm

जमीन मालिक ने कहा कि उसकी जमीन पर जो सड़क, नाली और पाइपलाइन है उसे पहले हटाया जाए, तब वह निगम प्रशासन से कब्जा लेगा।

Durg corporation
दुर्ग. निजी जमीन पर सड़क बनाकर विवाद में पडऩे के बाद नगर निगम की मुश्किलें कम नही हो रही हैं। न्यायालय के आदेश पर नगर निगम को मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में जमीन मालिक को कब्जा सौंपना था, लेकिन शनिवार को तीसरी बार कब्जा सौंपने की प्रक्रिया फिर अटक गई। दरअसल, जमीन मालिक ने कहा कि उसकी जमीन पर जो सड़क, नाली और पाइपलाइन है उसे पहले हटाया जाए, तब वह निगम प्रशासन से कब्जा लेगा। आखिर में निगम अधिकारी पंचनामा बनाकर लौट गए।
निगम की उक्त जमीन पर 37 साल से कब्जा

बहरहाल, नगर निगम की उक्त जमीन पर करीब 37 साल से कब्जा है। इस पर निगम ने गुुरुनानक नगर और मालवीय नगर को जोडऩे वाली सड़क, सीवरेज लाइन के साथ पाइप लाइन भी बिछा रखी है। भूमि स्वामी तमेर अग्रवाल ने प्रमोद अग्रवाल ने निगम के कब्जे के खिलाफ हाईकोर्ट में परिवाद दायर किया था। इस पर हाईकोर्ट ने भूमि-स्वामी की जमीन लौटाने का आदेश दिया है। इसी के परिपालन में निगम के भवन अधिकारी आरके जैन के नेतृत्व में निगम का अमला भूमि-स्वामी को जमीन लौटाने पहुंचा था। इसके लिए बकायदा भूमि-स्वामी को सूचना भेजकर बुलवाया गया था।
डेढ़ घंटे तक मनाते रहे अधिकारी
भवन अधिकारी आरके जैन सहित आधा दर्जन अधिकारी करीब डेढ़ घंटे तक भूमि स्वामी को मनाते रहे। अपनी मौजूदगी जमीन का तार से सुरक्षा घेरा लगाने की सलाह भी दी, लेकिन जमीन मालिक मूल स्वरूप के बिना कब्जा नहीं लेने पर अड़े रहे।
पहले सरोज पांडेय ने लौटाया, दूसरी बार बोर्ड लगाकर खानापूर्ति

इससे पहले 19 अक्टूबर को पहली बार निगम के अफसर भूमि स्वामी को कब्जा सौंपने गए थे। इस दौरान भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पांडेय ने मामला जनहित का होना बताकर अफसरों को लौटा दिया था। दूसरी पर निगम के कमिश्नर खुद मौके पर पहुचकर भूमि स्वामी के नाम का बोर्ड लगाकर खानापूर्ति कर ली थी। लेकिन 31 अक्टूबर को सुनवाई में हाईकोर्ट ने इसे मानने से इंकार कर दिया।
मुआवजा देकर समझौते में भी नहीं बनी बात

प्रमोद अग्रवाल की जमीन बेहद कीमती है। कुल 3720 वर्गफीट जमीन पर पक्का सड़क, नाली निर्माण, सीवरेज लाइन की वजह से निगम ने मुआवजा देकर समझौता करने का भी प्रयास किया। जानकारी के मुताबिक इसके लिए करीब 2 करोड़ की राशि देने के प्रस्ताव को विभाग के आला अफसरों ने ठुकरा दिया।
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