महासचिव प्रमोद मिश्रा ने कहा कि सेल में सिर्फ दो ही कैडर हैं, जिसमें सुपरवाइजर कैडर है ही नहीं। सेल के भीतर जो कर्मचारी टेक्नीशियन, ऑपरेटर में ज्वाइन करता है वह रिटायर्ड होने तक टेक्नीशियन, ऑपरेटर ही रह जाते हंै, उनका किसी भी प्रकार का कैरियर ग्रोथ नहीं है। सेल में सुपरवाइजरी कैडर नहीं होने के कारण लेबर कॉस्ट भी ज्यादा है। प्रबंधन को टाटा स्टील से सबक लेते हुए इस दिशा में प्रयास करना चाहिए।
नए कर्मचारियों को छोटे और जर्जर आवास आवंटित किए गए हैं, सब्जेक्ट टू वैकेशन स्कीम फिर शुरू किया जाना चाहिए। जिससे नए कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सके। यूनियन नेताओं ने कहा कि 2008 में भर्ती हुए डिप्लोमा इंजीनियर, रेडियोलॉजी व फार्मेसी के कर्मचारियों का विषय उठाते हुए कहा कि डिग्रेडेशन की शुरुआत इन्हीं कर्मचारियों से हुई थी, इन कर्मचारियों के ट्रेनिंग पीरियड को उनके सेवा काल से अभी तक नहीं जोड़े हैं, इनके लिए यूनियन की ओर से प्रयास किया जाना चाहिए।
टाउनशिप की संपत्तियों को निजी हाथों में देने का षड्यंत्र किया जा रहा है। इसे तत्काल रोका जाना चाहिए व टाउनशिप को स्टील सिटी का दर्जा दिया जाना चाहिए। एचएमएस नेताओं ने कहा कि संयंत्र के भीतर किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर ठेका श्रमिकों का इलाज भिलाई इस्पात संयंत्र के हॉस्पिटल में किया जाना चाहिए। वर्ना ठेकेदार श्रमिकों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हैं। निजी डिस्पेंसरी में ले जाते हैं, जहां श्रमिकों का उचित इलाज नहीं हो पाता। प्रदर्शन के दौरान उप महासचिव वजी अहमद, एनके सिंह, आनंद सिंह, अशोक पंडा, त्रिलोक मिश्रा मौजूद थे।