scriptनियमों में बंधे भक्त और भगवान, पहली बार रथयात्रा पर बिना मृदंग-ढोल और भक्तों के रथ पर सवार हुए महाप्रभु | The Rath Yatra Festival is a symbolic event at the Jagannath temple | Patrika News

नियमों में बंधे भक्त और भगवान, पहली बार रथयात्रा पर बिना मृदंग-ढोल और भक्तों के रथ पर सवार हुए महाप्रभु

locationभिलाईPublished: Jun 23, 2020 06:59:42 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

इतिहास में पहली बार रथयात्रा के दिन महाप्रभु के लिए रथ तो सजाया गया, पर रथ के पहिए नहीं घूमे। महाप्रभु अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथ पर सवार तो हुए पर रथ को खींचने भक्त नहीं आएं। (Lord jagannath rathyatra)

नियमों में बंधे भक्त और भगवान, पहली बार रथयात्रा पर बिना मृदंग-ढोल और भक्तों के रथ पर सवार हुए महाप्रभु

नियमों में बंधे भक्त और भगवान, पहली बार रथयात्रा पर बिना मृदंग-ढोल और भक्तों के रथ पर सवार हुए महाप्रभु

भिलाई . इतिहास में पहली बार रथयात्रा के दिन महाप्रभु के लिए रथ तो सजाया गया, पर रथ के पहिए नहीं घूमे। महाप्रभु अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथ पर सवार तो हुए पर रथ को खींचने भक्त नहीं आएं। कोरोना संक्रमण की वजह से महाप्रभु को भी इस बार नियमों में बंधकर रहना पड़ा। इस बार न तो महाप्रभु को भक्त मनभावन प्रसाद चढ़ा पाएं और न ही उनका भोग प्रसाद भी पा सकें। बस दूर से उन्हें निहारकर भक्तों ने मन के भाव प्रकट किया। मंगलवार को रथयात्रा में बिना भक्तों के ही महाप्रभु अपने मौसी के घर निकल गए। शहर के जगन्नाथ मंदिरों में रथयात्रा की विधि और पूजन संपन्न कराई गई। सेक्टर 4 के श्री जगन्नाथ मंदिर के सामने महाप्रभु को रथ में बैठाकर सांकेतिक रूप में रथ को परिसर में ही घुमाया गया। यह पहला मौका है जब मिनी इंडिया की सड़कें रथयात्रा के दिन सूनी पड़ी रही। महाप्रभु अपने परिसर से बाहर नहीं निकल पाए। मंदिर समिति के महासचिव सत्यवान नायक ने बताया कि मंदिर परिसर में लगातार कोरोना से बचने जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। बिना मास्क के किसी को अंदर प्रेश नहीं दिया गया। गुंडिचा मंडप में एक बार में केवल पांच भक्तों को ही प्रवेश दिया जाएगा। इधर रथयात्रा की रस्म का समय भी मंदिर समिति ने किसी को नहीं बताया है ताकि लोग दर्शन के लिए वहां भीड़ न लगाए।
नियमों में बंधे भक्त और भगवान, पहली बार रथयात्रा पर बिना मृदंग-ढोल और भक्तों के रथ पर सवार हुए महाप्रभु
अध्यक्ष ने निभाई रस्में
रथयात्रा के दिन होने वाली छेरा पंहरा की रस्म समिति के अध्यक्ष ने निभाई। इस बार बाहर से कोई अतिथि नहीं शामिल हुआ। जिला प्रशासन ने रथयात्रा महोत्सव के लिए समिति को 20 लोगों को परमिशन दी है। जिसके बाद लगातार 10 दिनों तक समिति के सभी पदाधिकारी शिफ्ट में ड्यूटी करेंगे। समिति के अनुसार मंदिर के बाहर सैनिटाइजर की व्यवस्था है। साथ ही भक्तों को मंच तक जाने की अनुमति नहीं दी गई। वहीं भक्त अगर प्रसाद संग लाते हैं तो उन्हें दूर से ही प्रभु को समर्पित कर प्रसाद को अपने साथ वापस ले जाने दे दिया गया।
इस वक्त होंगे दर्शन
मंदिर समिति ने महाप्रभु के दर्शन के लिए भी समय तय कर दिया है। गुंडिचा मंडप में सुबह 8 से 12 और शाम को 4 बजे से 8 बजे तक भक्त भगवान के दर्शन कर पाएंगे। इधर महाप्रभु को रोज चढ़ाए जाने वाला अन्न प्रसाद भी सिर्फ उतना ही तैयार किया जाएगा। जितना तीन थालियों में आएगा।
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