बता रहे दीन की राह
यह युवा शहर में उनसे मिलकर नमाज में आने और रोजे की फजीलत बयान कर रहे हैं, जिनके कानों तक कभी अजान की आवाज नहीं पहुंची। जो सुन और बोल नहीं पाते, उनसे इशारों में बात करते हैं और अल्लाह की राह में चलने गुजारिश करते हैं। शहर के मूकबधिर युवाओं को वे मस्जिदों में जाकर नमाज पढऩे से क्या फायदा है। रमजान के माह में अल्लाह ने ईमान वालों को क्या हुक्म दिया है। शहर के कई परिवार में ऐसे बच्चे हैं, जो घर वालों को रोजा रखते और नमाज पढ़ते देखते हैं, लेकिन बात नहीं कर पाते और सुन नहीं पाते इस वजह से इससे अक्सर महरूम रहते हैं। इस तरह के बच्चों को भी इबादत में लगाने यह पहल है।
यह युवा शहर में उनसे मिलकर नमाज में आने और रोजे की फजीलत बयान कर रहे हैं, जिनके कानों तक कभी अजान की आवाज नहीं पहुंची। जो सुन और बोल नहीं पाते, उनसे इशारों में बात करते हैं और अल्लाह की राह में चलने गुजारिश करते हैं। शहर के मूकबधिर युवाओं को वे मस्जिदों में जाकर नमाज पढऩे से क्या फायदा है। रमजान के माह में अल्लाह ने ईमान वालों को क्या हुक्म दिया है। शहर के कई परिवार में ऐसे बच्चे हैं, जो घर वालों को रोजा रखते और नमाज पढ़ते देखते हैं, लेकिन बात नहीं कर पाते और सुन नहीं पाते इस वजह से इससे अक्सर महरूम रहते हैं। इस तरह के बच्चों को भी इबादत में लगाने यह पहल है।
रोजा रखकर कर रहे समाज हित के काम
रमजान में रोजा रहकर कड़ी धूप में यह मूकबधिर युवा समाज हित में वह काम कर रहे हैं, जो वे नहीं कर रहे जिनके पास अल्ला ने जबान और सुनने के लिए कान दिया है। युवओं की टीम में इबादत को लेकर उत्साह है, इफ्तार के समय मस्जिद में एकत्र होकर वे दुआ किए और रोजा खोले। हाफिज आमान खान ने बताया कि यह जमात महाराष्ट्र से यहां आई है, रमजान में हर शहर जमात का जाना और आना लगा रहता है। बेशक रोजा रखने वाले को इसका बदला अल्लाताला खुद देगा।
रमजान में रोजा रहकर कड़ी धूप में यह मूकबधिर युवा समाज हित में वह काम कर रहे हैं, जो वे नहीं कर रहे जिनके पास अल्ला ने जबान और सुनने के लिए कान दिया है। युवओं की टीम में इबादत को लेकर उत्साह है, इफ्तार के समय मस्जिद में एकत्र होकर वे दुआ किए और रोजा खोले। हाफिज आमान खान ने बताया कि यह जमात महाराष्ट्र से यहां आई है, रमजान में हर शहर जमात का जाना और आना लगा रहता है। बेशक रोजा रखने वाले को इसका बदला अल्लाताला खुद देगा।