scriptBhilai कोरोना की तीसरी लहर से पहले रामनगर, मुक्तिधाम में विद्युत शवदाह गृह स्थापित करने की तैयारी | Third wave of Corona, setting up of electric crematorium in Ramnagar | Patrika News

Bhilai कोरोना की तीसरी लहर से पहले रामनगर, मुक्तिधाम में विद्युत शवदाह गृह स्थापित करने की तैयारी

locationभिलाईPublished: Oct 15, 2021 10:34:16 am

Submitted by:

Abdul Salam

एक माह में खर्च 6,00,000 से घटकर हो जाएगा 2,00,000 रुपए.

Bhilai कोरोना की तीसरी लहर से पहले रामनगर, मुक्तिधाम में विद्युत शवदाह गृह स्थापित करने की तैयारी

Bhilai कोरोना की तीसरी लहर से पहले रामनगर, मुक्तिधाम में विद्युत शवदाह गृह स्थापित करने की तैयारी

भिलाई. रामनगर मुक्तिधाम में इस माह के आखिर तक विद्युत शवदाह गृह को स्थापित कर लिया जाएगा। करीब 48.50 लाख इसकी लागत है, वहीं 4.35 लाख तीन साल के संचालन और रख-रखाव के नाम पर कंपनी ले रही है। यह इलेक्ट्रिक से संचालित होगा। जिसको ध्यान में रखते हुए यहां ट्रांसफार्मर भी लगाया जा रहा है। इसमें गैस का उपयोग नहीं किया जाएगा। जिला में यह पहला विद्युत शवदाह गृह होगा। नगर पालिक निगम, भिलाई करीब 15 लाख की लागत से विद्युत शवदाह गृह के लिए रामनगर, मुक्तिधाम डोम शेड तैयार कर रही है। इसके कॉलम का काम शुरू हो चुका है। वहीं इसकी मशीन भी पहुंच चुकी है।

मुक्तिधाम पहुंची मशीन
कोरोना की तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ की राजधानी की तर्ज पर निगम विद्युत शवदाह गृह का निर्माण कर रहा है। एजेंसी को इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का टारगेट इस माह के अंत तक दिए हैं। जिसको ध्यान में रखते हुए डोम शेड का काम तेजी से किया जा रहा है।

डेढ़ घंटे में होगा एक शव का अंतिम संस्कार
रामनगर मुक्तिधाम में विद्युत शवदाह गृह से हर डेढ़ घंटे में एक शव का अंतिम संस्कार और मशीन ठंडी होकर दूसरे के लिए तैयार ही जाएगी। इस तरह से एक दिन में कम से कम 6 से 8 शवों का अंतिम संस्कार किया जा सकेगा। इस मुक्तिधाम में औसत हर दिन 8 से 10 शव ही आते हैं। जिसके लिए इसे पर्याप्त माना जा रहा है। खासकर कोरोना महामारी के दौरान इस तरह की मशीन की कमी खली थी, जब शवों को शेड के बाहर गलियों में चिता सजाकर अंतिम संस्कार करना पड़ा था।

पर्यावरण के लिए बेहतर
एक शव का अंतिम संस्कार करने के लिए 400 किलो से अधिक लकड़ी खप जाती है। इस तरह से हर माह करीब 96,000 किलो लकड़ी खाक हो रही है। पौध रोपण जितना हो नहीं रहा है, उससे कई गुना लकड़ी काटी जा रही है। यह पर्यावरण के लिए नुकसान वाली बात है। अब विद्युत शवदाह गृह से अंतिम संस्कार किया जाएगा तब पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

हर माह लाखों की बचत
विद्युत शवदाह गृह स्थापित हो जाने से हर माह में जो लकड़ी पर खर्च आ रहा है करीब 6,00,000 रुपए वह घटकर 2,00,000 रुपए हो जाएगी। इस तरह से साल में 72 लाख की जगह सिर्फ २४ लाख ही लगेंगे। यह नगर पालिक निगम के लिए राहत वाली बात है। इस वजह से प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने की कोशिश की जा रही है।

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