आकांक्षा ने बताया कि लॉकडाउन में वह अपने पापा के साथ बैठकर बात कर रही थी, तभी बातों-बातों में इसका आइडिया मिला। पापा योगेश कुमार एक सरकारी कर्मचारी है। तकनीक के बारे में उनको ज्यादा नहीं पता, लेकिन फिर भी उन्होंने बेटी के इस आइडिया पर मदद की। महज दो दिनों में ही इस डिवाइस के हाईवेयर के साथ सॉफ्टवेयर कोडिंग पूरी कर ली। आकांक्षा ने बताया कि टोपी हो या फिर हेलमेट इसके ऊपर एक छोटा सा डिवाइस लगाया गया है, जिसमें सेंसर लगे हैं। डिवाइस में डिस्टेंस की रेंज और अलार्म को सेट किया जा सकता है।
इस डिवाइस की खासियत यह है कि यह 360 डिग्री में रोटेट हो सकता है। यानी किसी भी ओर से कोई दायरे के करीब आ गया तो कैप पर लगा डिवाइस अलार्म बजाना शुरू कर देगा। इससे दोनों को पता चल जाएगा कि वे सोशल डिस्टेंस फॉलो नहीं कर रहे हैं, और उन्हें पीछे की तरफ हटना पड़ेगा।
आकांक्षा ने बताया कि यह डिवाइस खासकर मेडिकल स्टाफ के बड़े काम आएगा। अस्पतालों में मरीजों के साथ डिस्टेंसिंग मेंटेन करने में मदद मिलेगी। इसी तरह मेडिकल स्टाफ अभी गली-मोहल्ले में घूमकर मरीजों की जांच कर रहे हैं, ऐसे में वह जब वहां जाएंगे तो खुद की हिफाजत के लिए भी इसका बड़ा उपयोग कर सकेंगे। पुलिस के लिए भी काम आएगा।
लॉकडाउन में जहां युवा इस समय वेब सीरीज और गेम्स खेल कर समय काट रहे हैं, वहीं आकांक्षा जैसे विद्यार्थी अपनी पढ़ाई और नॉलेज का फायदा उठा रहे हैं। आकांक्षा ने बताया कि ये डिवाइस एम्बेडेट सिस्टम माइक्रो कंट्रोलर और अल्टा सोनिक सेंसर का उपयोग करके तैयार किया है। इसके लिए कंप्यूटर कोडिंग भी करनी पड़ी। सबसे खास बात यह है कि इसे बनाने में महज 500 रुपए का खर्च आया है।