समाज के लिए कुछ अच्छा करने की चाह से उनके साथ लोग भी जुड़ते चले गए। सोलापुर का अन्नपूर्णा प्रोजक्ट इतना हिट हुआ कि महाराष्ट्र के कई जिले के रोटरी क्लब ने इसे एडॉप्ट कर लिया। वहीं कई एनजीओ ने भी इसी तर्ज पर काम शुरू किया। राज बताते हैं कि यह प्रोजक्ट उन बुजुर्गो के लिए वरदान बन गया जो भूखे रहना पसंद करते थे पर किसी के सामने हाथ फैलाने नहीं जाते थे। श्रीराजन सम्मान समारोह में शामिल होने पहुंचे राज मनियारा ने पत्रिका से खास बातचीत में कहा कि यह दुख का विषय है कि हमारे देश में जहां माता-पिता को भगवान माना जाता है वहां बुजुर्ग जीवन के आखिरी पड़ाव में भोजन को तरसते हैं।
राज मनियारा ने बताया कि रोटरी क्लब की ओर से चल रहे इस स्थाई प्रोजक्ट के तहत सौ से ज्यादा परिवार के बुजुर्गो के पास सुबह-शाम समय पर टिफिन पहुंच जाता है। उन्होंने बताया कि बुजुर्गो के लिए भोजन तैयार करने उन्होंने वर्षो पहले उद्योग वर्धनी महिला स्वसहायता समूह के जरिए काम शुरू किया जिसमें समूह की 10 महिलाओं ने शुरुआत की। जब उन महिलाओं को रोजगार मिलने लगा तो समूह के सदस्यों की संख्या भी बढ़कर 70 तक पहुंच गई। अब वे बुजुर्गो का भोजन तैयार करने के साथ ही 2 हजार से ज्यादा टिफिन तैयार करती हैं।
इन बुजुर्गों के लिए भोजन का इंतजाम करने राज ने रास्ता खोजा। उन्होंने क्लब के सदस्यों से ही इन बुजुर्गों को सालभर के लिए गोद लेने कहा। ताकि उनके भोजन का खर्च वे वहन करें। धीरे-धीरे शहर के कई समाजसेवी भी इसमें जुडऩे लगे और अब उन्हें फंड की कमी नहीं होती।
रोजाना तैयार होने वाले टिफिन को क्लब के सदस्य रोजाना चेक करते हैं। टिफिन में भोजन की क्वालिटी और क्वांटिटी के साथ ही त्योहारों पर विशेष भोजन, रोजाना निर्धारित मीनू के हिसाब का भी ख्याल रखा जाता है, ताकि बुजुर्गों को परेशानी ना हो।