scriptयहां हैं तीन सौ साल पुरानी गाय के गोबर से निर्मित श्रीहनुमान जी की प्रतिमा | Three hundred years old cow dung statue made by Shree Hanuman | Patrika News

यहां हैं तीन सौ साल पुरानी गाय के गोबर से निर्मित श्रीहनुमान जी की प्रतिमा

locationभिलाईPublished: Feb 19, 2020 10:13:47 pm

Submitted by:

Naresh Verma

बाबा रुक्खडनाथ धाम ग्राम नारधा में 21 फ रवरी को महापर्व शिवरात्रि श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर रुद्राभिषेक होगा।

यहां हैं तीन सौ साल पुरानी गाय के गोबर से निर्मित श्रीहनुमान जी की प्रतिमा

यहां हैं तीन सौ साल पुरानी गाय के गोबर से निर्मित श्रीहनुमान जी की प्रतिमा

निकुम . बाबा रुक्खडनाथ धाम ग्राम नारधा में 21 फ रवरी को महापर्व शिवरात्रि श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर रुद्राभिषेक होगा। भिलाई नगर से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम नारधा, मुरमुंदा मंदिर की महिमा अपार है। यहां चैत्र व क्ंवार नवरात्रि पर्व पर मनोकामना ज्योतिकलश प्रज्ज्वलित की जाती है।
गोबर से निर्मित उत्तरमुखी हनुमान की प्रतिमा
आज से लगभग तीन सौ साल पहले बियाबान जंगल में पंचदशानन जुन्ना अखाड़ा काशी से दशनाम सन्यासी यहां आकर आश्रम बनाकर रहे। उन्होंने गाय के पवित्र गोबर से भगवान श्रीहनमुान की उत्तरमुखी प्रतिमा मंदिर में स्थापित की। बताया जाता है कि हुनमान दी का स्वरूप गरुड़ के रूप में है। इसकी प्रमाणिकता है यह है कि मंदिर के आसपास क्षेत्र में सर्पदंश नहीं होता है। वहीं भैरव स्वरुप दो श्वानों की समाधि भी है, जिसके दर्शन पूजन से संकट दूर होने की मान्यता है। उत्तरमुखी गोबर से निर्मित भगवान हनुमान की कृपा भक्तों पर बरसती रहती है।
मंदिर के गर्भगृह में समाधि, जल रही धुनी
विशाल देववृक्ष पीपल की छांव में बाबा तपस्या करते थे। वही मंदिर के गर्भगृह लगभग 15 फीट जमीन के अंदर दिव्य योग साधना में 300 वर्ष पहले जनकल्याण के लिये समाधि (अंर्तध्यान) में बाबा चले गये। पुरानी सीढ़ीनुमा मंदिर में समाधि स्थल है। मंदिर में पंचानन स्वरुप में प्राचीन शिवलिंग के दर्शन के होते हैं। हर शाम को आरती के समय गौमाता प्रसाद खाने मंदिर आती है। प्रांगण में और कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं।
कभी नहीं सूखता बावली का पानी
मंदिर परिसर में स्थित जिसे देवबावली कहा जाता है। बावली का पानी कभी नहीं सूखता है। इस पानी से भक्त घरों को पवित्र करते हैं जिससे उनके घरों में सुख शांति बनी रहती है।
संतान सुख मिलने की मान्यता
इस मंदिर में दर्शन-पूजन करने से नि:संतान दंपती के घरों में किलकारी गूंजने की मान्यता है। जो भी सच्चे मन से मंदिर की परिक्रमा कर संतान सुख की कामना करते हैं उनकी भर जाती है।
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