पावर हाउस रेलवे स्टेशन से हर दिन करीब 4000 मुसाफिर सफर करते हैं। इसमें 30 से 40 फीसदी महिलाएं है। रेलवे स्टेशन में मौजूद मैनेजर की जिम्मेदारी है, कि मुसाफिरों को किस तरह की दिक्कत हो रही है, उसकी जानकारी ले। यहां इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
महिला मुसाफिरों को दिक्कत प्लेटफार्म में उस वक्त होती है, जब ट्रेन नजर आने लगती है। महिलाएं जल्दी जाने की कोशिश करती है और इस असमतल फर्श में गिर पड़ते हैं। प्लेटफार्म में उस जगह चेकर टाइल्स लगा दिया गया है जो ट्रेन खड़े होने पर चढऩे का होता है। वहीं प्लेटफार्म का दो हिस्सा बिना चेकर टाइल्स के है, वहां दिक्कत हो रही है।
प्लेटफार्म के समीप पानी एकत्र हो गया है। जिसमें सुअरों का जमावड़ा लगा रहता है। इससे स्टेशन में उतरने व यहां से ट्रेन में सफर करने वालों के बीमार होने की आशंका बनी रहती है। शहर में जब स्वाइन फ्लू व डेंगू ने दस्तक दी है, तब सार्वजनिक स्थानों पर सफाई को लेकर खास ध्यान देने की जरूरत है।
पावर हाउस स्टेशन में तीन प्लेटफार्म है। यहां सुरक्षा की जिम्मेदारी एक आरपीएफ के जवान को दिया गया है। १२-१२ घंटे एक-एक जवान की ड्यूटी लगा दी गई है। इसके अलावा जीआरपी के दो जवान व एक महिला आरक्षक मौजूद रहते हैं। रात में स्टेशन में असमाजिक तत्व न पहुंचे, इसके लिए इनकी संख्या को बढ़ाने की जरूरत है।
मुसाफिर बालाराम कोलते ने बताया कि स्टेशन में दो दिनों से पानी की किल्लत थी। अब जाकर थोड़ा-थोड़ा पानी आ रहा है। पावर हाउस स्टेशन के प्लेटफार्म की व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।