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भिलाई

इस अस्पताल में भर्ती होना है तो चादर-कंबल स्वयं लेकर आएं, पढ़ें खबर

जिले के सबसे बड़े अस्पताल में रंग-बिरंगे चादर तो दूर बिस्तर से सफेद चादर ही गायब है।बेड के फटे कवर अव्यवस्था को उजागर कर रहे हैं।

भिलाईDec 08, 2017 / 11:16 am

Satya Narayan Shukla

Government hospital, District hospital
बेमेतरा. जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, उपस्वास्थ्य केन्द्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की सूरत बदलने का कवायद अब तक स्वरूप नहीं ले पाई है। जिले के सबसे बड़े अस्पताल में रंग-बिरंगे चादर तो दूर बिस्तर से सफेद चादर ही गायब है। और तो और बेड के फटे कवर अस्पताल की अव्यवस्था को उजागर कर रहे हैं।
अलग-अलग रंग का चादर बिछाया जाना था
बताना होगा कि जिले से सहित पूरे प्रदेश में केन्द्र सरकार के परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण विभाग से आए एक आदेश में जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र व उपस्वास्थ्य केन्दों में आने वालों बिस्तर पर सफेद चादर की बजाए दिनवार अलग-अलग रंग का चादर बिछाया जाना था। इसमें बाकायदा बताया गया था कि कौन से दिन कौन की रंग की चादर बिछाई जाएगी। लेकिन जिले के अस्पतालों में रंगीन चादरों की सप्लाई नहीं होने के कारण इस आदेश को अब तक अमल में नहीं लाया जा सका है।
अस्पताल में गिनती के 60 बेड

100 बिस्तर अस्पताल होने का तमगा हासिल कर चुके जिला अस्पताल में अभी बमुश्किल 60 बेड हैं, जिसमें से कई जर्जर स्थिति में है। ऐसे में चादर बदलने की योजना को लागू करने से पहले बेड की संख्या में बढ़ोतरी के साथ जर्जर बेड को दुरस्त किया जाना जरूर है।
लापरवाही को सामने लाने निकाला उपाय
जानकार बताते है कि अस्पतालों में रोजना एक ही रंग का चादर बिछाए जाने से रोज-रोज चादर बदलने में कोताही बरती जा रही थी। इसके लिए दिनवार चादर तय करने का उपाय निकाल कर योजना को लागू किया गया है। चूंकि एक ही चादर को कई दिनों तक उपयोग में लाए जाने से संक्रमण का खतरा बना रहता है, ऐसे में योजना को क्रियान्वित करने में चादर बदलने में की गई लापरवाही एक ही नजर में सामने आ जाएगी।
छोटी चादर को वापस लौटाया
जिला अस्पताल में 100 नग रंगीन चादर की सप्लाई की गई थी, जो बिस्तर से छोटी होने के कारण खादी एवं ग्रामोद्योग को वापस लौटा दिया गया और बड़े आकार के चादर की मांग की गई है। फिलहाल, अस्पताल में मरीजों को बगैर चादर के फटे रैग्जीन वाले बिस्तर पर सोना पड़ रहा है, या फिर स्वयं ही चादर की व्यवस्था करनी पड़ रही है। इससे मरीज के परिजन परेशान हैं।
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