मौलाना इकबाल हैदर ने फरमाया कि हर मुसलमान पर रोजा फर्ज हैं। इससे भागा नहीं जा सकता। कयामत की दिन बख्शिश के दौर में रोजे की फजीलत भी काम आएगी। इसलिए इस रमजान हर मुसलमान अपने वजूद का रोजा रखें। पाक किताबों से इल्म होता है कि रोजे का मकसद अपने बंदे में परहेजगारी पैदा करना है। रोजा इंसान की ख्वाहिश को मारता है। अपनी नब्ज पर काबू रखने का सबसे बेहतरीन तरीका है रोजा। सिर्फ भूखा रहना रोजा नहीं, बल्कि अल्लाह को कुबूल है बंदे की वजूद का रोजा।
आंख – इंसान इससे किसी बुरी चीज को न देखें।
कान – इंसान इससे किसी की बुराई न सुने।
जबान – किसी की बुराई न करें, चुगली न करें।
हाथ – इंसान अपने हाथों से किसी को तकलीफ न पहुंचाए।
रिसवत खोरी, सूदखोरी न करें।
पैर – बंदे के पैर उसे किसी गलत जगह न ले जाएं।
– उल्टी होने पर रोजा नहीं टूटेगा, जब तक की आप जानबूझकर इसकी कोशिश करे।
– इंजेक्शन लगाने पर रोजा नहीं टूटेगा।
– मजबूरी में ग्लूकोज चढ़ाने की नौबत पर रोजा नहीं टूटेगा।
– बालों में तेल लगाने पर रोजा नहीं टूटेगा।
– आंख या कान में दवाई डाली जाए तो इससे रोजा टूट जाएगा।
– आंखों में सुरमा लगाने पर रोजा नहीं टूटता।
– वजू के दौरान हलक में पानी जाने पर रोजा टूट जाएगा।
एक अमीर इंसान को इस बात का अहसास हो कि भूख कितनी बड़ी चीज है। ये अहसास हो कि मुझे रब ने इतनी दौलत दी, लेकिन बहुत से लोग फाकाकश है, जिनके पास खाने को कुछ नहीं वे किस अंदाज में गुजराते होंगे जिंदगी। एक अहसास की हम अपने आस पड़ोस और रिहाइश का इंतजाम करें। फाकाकश को खाने का जरिया दें।