यूआरएम में हो रही ऑटोमैटिक तकनीक से पटरियों की जांच बीएसपी की पुरानी रेल मिल में आज भी पटरियों की गुणवत्ता की जांच मैनुअल ही हो रहा है। यूआरएम में ऑटोमेटिक तकनीक काइस्तेमाल किया जाता है। यूआरएम में तैयार रेलपांत की जांच करने से पहले, जर्मनी से लाए स्पेशल रेलपांत के टुकड़े की जांच की जाती है। इस रेलपांत के टुकड़े में अलग-अलग खराबियां (डिफेक्ट) हैं। जांच मशीन से इस रेलपांत के टुकड़े को गुजारने पर वह इसमें नजर आने वाले और नजर नहीं आने वाली खराबियों को बताने लगती है। असल में जर्मनी के स्पेशल रेलपांत के सहारे ऑटोमैटिक मशीन की जांच की जाती है।
डिफेक्ट हो तो तुरंत खींच जाती है रेड लाइन जांच में अगर ऑटोमैटिक मशीन को रेलपांत में कोई डिफेक्ट मिलता है, तो वह रेलपांत पर लाल रंग डाल देती है। इस रंग को देखकर रेलवे की तकनीकी सलाहकार संस्था राइ्टस के अधिकारी समझ जाते हैं कि रेलपांत में कोई डिफेक्ट है। रेलपांत के किसी कोने में अगर खराबी होती है, तो उस हिस्से को काटकर अलग कर दिया जाता है। रेलपांत का साइज कम हो जाता है।
हरे रंग के साथ लग जाती है रेलपांत पर मुहर यूआरएम से निकलने वाली रेलपांत जब ऑटो मैटिक मशीन में जांच के लिए पहुंचती है, तब उसमें खामियां नहीं होती है, तो हरा रंग गिरता है। हरे रंग के साथ ही राइट्स की जांच टीम उस रेलपांत को मुहर लगाकर पास कर देती है।
उत्पादन सामान्य होते ही पहल कर सकता है प्रबंधन सीईओ एम रवि अब मशीन को स्थापित करने के पक्ष मे ंहैं। ब्लास्ट फर्नेस में उत्पादन सामान्य होते ही प्रबंधन पुरानी रेल मिल को अपडेट करने की पहल कर सकता है।
उत्पादन बंद कर लगवाना थी मशीन विदेश से आयात की गई मशीन को लगाया जाना था। इसके लिए पुराने रेल मिल को कुछ समय के लिए बंद करने की जरूरत थी। भारतीय रेल से रेलपांत की डिमांड बढ़ते जा रही थी। यह देखते हुए संयंत्र प्रबंधन ने पुराने रेल मिल को बंद कर मशीन लगाने के फैसले को टाल दिया।
बीएसपी का ऑर्डर चला गया ङ्क्षजदल के हाथ पुरानी रेल मिल से बीएसपी लगातार रेलपांत का उत्पादन भारतीय रेल के लिए करती रही। तब सरकार ने इस काम को जेएसपीसीएल को सौंप दिया। इस तरह से विदेश में रेलपांत सप्लाइ करने का अनुभव भी जेएसपीसीएल के हाथ आ गया।
ऑटो मैटिक मशीन से जांच की हुई रेलपांत ईरान ने केंद्र सरकार से दो लाख टन रेलपांत की मांग की थी। वे मेनुअल जांच के पक्ष में नहीं थे। ईरान ने डिमांड किया था कि रेलपांत की जांच ऑटोमैटिक होनी चाहिए। कर्मचारी से जांच में गलती हो सकती है, लेकिन मशीन से नहीं।