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संयंत्र की पुरानी रेल मिल में पटरी की गुणवत्ता जांचने जर्मनी से मंगाई मशीन, डेढ़ साल से खा रही धूल

locationभिलाईPublished: Jul 21, 2018 12:40:40 am

Submitted by:

Bhuwan Sahu

भिलाई इस्पात संयंत्र की पुरानी रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल में रेलपांत की गुणवत्ता की जांच के लिए जर्मनी से मंगाई गई ऑटोमेटिक टेस्टिंग मशीन यहां करीब डेढ़ साल से धूल खा रही है।

Rail mill bsp

संयंत्र की पुरानी रेल मिल में पटरी की गुणवत्ता जांचने जर्मनी से मंगाई मशीन, डेढ़ साल से खा रही धूल

भिलाई . भिलाई इस्पात संयंत्र की पुरानी रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल में (आएसएम) रेलपांत की गुणवत्ता की जांच के लिए जर्मनी से मंगाई गई ऑटोमेटिक टेस्टिंग मशीन यहां करीब डेढ़ साल से धूल खा रही है। संयंत्र प्रबंधन ने यह मशीन ईरान में रेलपांत आपूर्ति का बड़ा ऑर्डर मिलने की उम्मीद में उनकी इच्छित क्वालिटी की मांग को ध्यान में रखकर खरीदा था। मशीन को इंस्टाल करने आएसएम को कुछ दिन ब्रेक डाउन पर लेना पड़ता ऐसे में भारतीय रेल को पटरी की आपूर्ति प्रभावित होती, इसलिए प्रबंधन टालमटोल करता रहा। ईरान से रेलपांत का ऑर्डर तो गंवाना ही पड़ा, करोड़ों की मशीन भी बेकार पड़ी है। ईरान ने देश के एक अन्य रेलपांत निर्माता कंपनी से पटरी खरीद लिया। नई यूनिवर्सल रेल मिल में पटरी की गुणवत्ता जांचने यह आधुनिक व ऑटोमेटिक सिस्टम लगा हुआ है।
यूआरएम में हो रही ऑटोमैटिक तकनीक से पटरियों की जांच

बीएसपी की पुरानी रेल मिल में आज भी पटरियों की गुणवत्ता की जांच मैनुअल ही हो रहा है। यूआरएम में ऑटोमेटिक तकनीक काइस्तेमाल किया जाता है। यूआरएम में तैयार रेलपांत की जांच करने से पहले, जर्मनी से लाए स्पेशल रेलपांत के टुकड़े की जांच की जाती है। इस रेलपांत के टुकड़े में अलग-अलग खराबियां (डिफेक्ट) हैं। जांच मशीन से इस रेलपांत के टुकड़े को गुजारने पर वह इसमें नजर आने वाले और नजर नहीं आने वाली खराबियों को बताने लगती है। असल में जर्मनी के स्पेशल रेलपांत के सहारे ऑटोमैटिक मशीन की जांच की जाती है।
डिफेक्ट हो तो तुरंत खींच जाती है रेड लाइन

जांच में अगर ऑटोमैटिक मशीन को रेलपांत में कोई डिफेक्ट मिलता है, तो वह रेलपांत पर लाल रंग डाल देती है। इस रंग को देखकर रेलवे की तकनीकी सलाहकार संस्था राइ्टस के अधिकारी समझ जाते हैं कि रेलपांत में कोई डिफेक्ट है। रेलपांत के किसी कोने में अगर खराबी होती है, तो उस हिस्से को काटकर अलग कर दिया जाता है। रेलपांत का साइज कम हो जाता है।
हरे रंग के साथ लग जाती है रेलपांत पर मुहर

यूआरएम से निकलने वाली रेलपांत जब ऑटो मैटिक मशीन में जांच के लिए पहुंचती है, तब उसमें खामियां नहीं होती है, तो हरा रंग गिरता है। हरे रंग के साथ ही राइट्स की जांच टीम उस रेलपांत को मुहर लगाकर पास कर देती है।
उत्पादन सामान्य होते ही पहल कर सकता है प्रबंधन

सीईओ एम रवि अब मशीन को स्थापित करने के पक्ष मे ंहैं। ब्लास्ट फर्नेस में उत्पादन सामान्य होते ही प्रबंधन पुरानी रेल मिल को अपडेट करने की पहल कर सकता है।
उत्पादन बंद कर लगवाना थी मशीन

विदेश से आयात की गई मशीन को लगाया जाना था। इसके लिए पुराने रेल मिल को कुछ समय के लिए बंद करने की जरूरत थी। भारतीय रेल से रेलपांत की डिमांड बढ़ते जा रही थी। यह देखते हुए संयंत्र प्रबंधन ने पुराने रेल मिल को बंद कर मशीन लगाने के फैसले को टाल दिया।
बीएसपी का ऑर्डर चला गया ङ्क्षजदल के हाथ

पुरानी रेल मिल से बीएसपी लगातार रेलपांत का उत्पादन भारतीय रेल के लिए करती रही। तब सरकार ने इस काम को जेएसपीसीएल को सौंप दिया। इस तरह से विदेश में रेलपांत सप्लाइ करने का अनुभव भी जेएसपीसीएल के हाथ आ गया।
ऑटो मैटिक मशीन से जांच की हुई रेलपांत

ईरान ने केंद्र सरकार से दो लाख टन रेलपांत की मांग की थी। वे मेनुअल जांच के पक्ष में नहीं थे। ईरान ने डिमांड किया था कि रेलपांत की जांच ऑटोमैटिक होनी चाहिए। कर्मचारी से जांच में गलती हो सकती है, लेकिन मशीन से नहीं।

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