इस्पात श्रमिक मंच के अध्यक्ष भावसिंह सोनवानी और महासचिव राजेश अग्रवाल ने बताया कि अस्पताल के मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट एवं अन्य स्टाफ के साथ-साथ 2003 के बाद भर्ती हुए प्लांट कर्मियों के मामले में इस्पात सचिवालय से बात की थी। इस्पात सचिवालय ने इस मामले में लिखित आवेदन तथा मामले के दस्तावेज मांगे थे। इस्पात श्रमिक मंच ने सभी सम्बंधित दस्तवेज सहित पत्र लिख अपील की थी। इस्पात श्रमिक मंच पक्षपात के शिकार एसीटी,ओसीटी व मेडिकल कर्मीयों के लिए न्याय की मांग करते आ रहा था यह उसी का नतीजा है।
भिलाई इस्पात संयंत्र में 2003 के बाद ज्वाइन करने वाले कर्मचारियों की ट्रेनिंग को सेवाकाल में जोडऩे के मामले में कोई निर्णायक हल सामने नहीं आ रहा था। प्रबंधन भी इस मामले में कोई ठोस पहल नहीं कर रहा था। इससे कर्मचारियों अंसतोष था। तब इस्पात श्रमिक मंच ने श्रम आयुक्त के समक्ष परिवाद दायर किया था। ं
मंच के महासचिव राजेश ने बताया एक बड़ा वर्ग इस मामले पर अभी भी सर्कुलर के दायरे से बाहर था। जिसके कारण उन कर्मियों का एक वर्ष का प्रशिक्षण काल होना बताया जा रहा है। प्रबंधन के मुताबिक सर्कुलर में दो साल के प्रशिक्षण अवधि तथा 4 अक्टूबर 2008 को आधार बना आदेश निकाला था। श्रमिक मंच का मानना है कि एक जैसी पद्धति के तहत भर्ती कर्मचारियों को एक नजर से देखा जाना चाहिए। एक साल का ट्रेनिंग पीरियड होने के कारण तीन साल का नुकसान करना जायज नहीं है।
जून 2016 में सेल कॉर्पोरेट ऑफिस ने एक सर्कुलर के तहत तकनीकी योग्यता रखने वाले कर्मचारियों को ट्रेनिंग को सेवाकाल में जोडऩे तथा क्लस्टर चेंज में एक वर्ष का लाभ देने का आदेश दिया था। इसमें अक्टूबर 2008 तथा दो वर्ष के ट्रेनिंग काल को आधार बनाया गया था। जबकि भिलाई इस्पात संयंत्र में 2003 के बाद वक्र्स और नान वक्र्स में एक साल के ट्रेनिंग पीरियड वाले काफी कर्मचारी नौकरी ज्वाइन किए हैं। उनको उक्त आदेश का लाभ नहीं मिल पाया। जिससे यह वर्ग अपने आप को ठगा हुआ व पक्षपात का शिकार मान रहा है। इससे प्रभावित कर्मियों में काफी हताशा है।