script

देवउठनी पर चार महीने बाद जागेंगे देव पर नहीं बजेगी शहनाई, कारण जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

locationभिलाईPublished: Nov 17, 2018 11:33:45 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

इस बार 19 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन मीठे गन्ने का मंडप तो सजेगा और हरी-हरी तुलसी दुल्हन और शालिग्राम का विवाह भी होगा,लेकिन शहर में शादी की शहनाई 7 दिसंबर के बाद ही गूंजेगी।

patrika

देवउठनी पर चार महीने बाद जागेंगे देव पर नहीं बजेगी शहनाई, कारण जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

भिलाई . इस बार 19 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन मीठे गन्ने का मंडप तो सजेगा और हरी-हरी तुलसी दुल्हन और शालिग्राम का विवाह भी होगा,लेकिन शहर में शादी की शहनाई 7 दिसंबर के बाद ही गूंजेगी।
ज्योतिष के अनुसार गुरु के अस्त होने की वजह से अगले 18 दिनों तक शुभ मुहूर्त नहीं है। आमतौर पर देवउठनी एकादशी का मुहूर्त शुभ माना जाता था, लेकिन इस बार इस दिन शहर में कम ही शादी है। हालांकि गुरु के अस्त होने के बाद भी कुछ समाजों में शादियां हो रही है,लेकिन ज्यादातर विवाह 7 दिसंबर के बाद ही होंगे।
ऐसे शुरू हुई परंपरा
तुलसी और शालिग्राम के विवाह की परंपरा उस वक्त शुरू हुई जब छल से भगवान विष्णु ने राजा जालंधर की पत्नी और अपनी भक्त वृंदा का सतीत्व भंग किया। देवता जब युद्ध में जांलधर को हरा नहीं पाए तब उन्होंने विष्णु की शरण ली। तब पूजा में बैठी वृंदा के सामने भगवान विष्णु उसके पति के रूप में गए तो वृंदा ने उनके चरण छुए ।
शलिग्राम रूप में तुलसी से किया ब्याह
इधर देवताओं ने युद्ध में जालंधर के सिर को धड़ से अलग कर दिया और वह धड़ वंृदा के सामने गिरा। इसी वक्त वंृदा ने भगवान विष्णु छल से उनका सतीत्व भंग करने की वजह से श्राप देकर पत्थर का बना दिया। लक्ष्मी जी की प्रार्थना से वृंदा ने अपना श्राप वापस तो ले लिया पर वह पति के सिर को लेकर सती हो गई । उसकी राख से तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ।
भगवान विष्णु ने शालिग्राम रूप में तुलसी से ब्याह रचाया। और वरदान दिया कि बिना तुलसी के पत्ते के उनको भोग नहीं लगेगा। तभी से एकादशी के दिन तुलसी विवाह की परंपरा है और भगवान विष्णु को भोग में तुलसी का पत्ता अनिवार्य है।
इसलिए 7 दिसंबर के बाद मुहूर्त
पंडित पवन चौबे ने बताया कि 12 नवंबर को गुरु अस्त हो गया है। 7 दिसंबर को अमावस्या के दिन उदित होगा। विवाह के मुहुर्त 7 दिसंबर के बाद ही होंगे। विवाह के मुहूर्त में चंद्र, गुरु और शुक्र की मौजूदगी जरूरी है। इनमें से एक भी अस्त होता है तो विवाह का श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं होता। इसलिए इस बार तुलसी विवाह के दिन कम विवाह है।
चार महीने बाद जागेंगे देव
देवउठनी एकादशाी पर सोमवार को भगवान विष्णु जागेंगे। इस दौरानघरों में तुलसी का विवाह शालिग्राम के साथ कराया जाएगा। देवउठनी एकादशी के दिन मीठे गन्ने के मंडप में तुलसी मैया और शालिग्राम का विवाह होगा और उनको मौसमी फल, भाजियां, सब्जियां आदि का भोग लगाया जाएगा। जिसमें चना भाजी, लालभाजी, मूली, अमरूद, सीताफल, बेर, गन्ना, बैगन आदि चीजें शामिल होंगी।

ट्रेंडिंग वीडियो