मिल चुका है नल कनेक्शन से लेकर बिजली
मरोदा में पट्टे के आवासों पर रहने वाले हों या बिना पट्टे के आवासों पर सभी के घरों में नल कनेक्शन शासन की मंशा के मुताबिक पहुंच रहा है। इसके अलावा बिजली कनेक्शन भी लगाया जा चुका है। निगम की ओर से गलियां और नालियों का निर्माण किया गया है। मूलभूत सुविधा मिलने के बाद लोग यहां बसर कर रहे हैं।
दूसरे के पट्टे पर भी रह रहे लोग
1984 के बाद से अब तक यहां के लोगों को चार बार पट्टा मिल चुका है। पट्टे को कई लोग बेचकर यहां से चले गए। अब जो पट्टा खरीद लिए हैं, वे चाहते हैं कि आसानी से उनके नाम पर हो जाए। इसकी प्रक्रिया आसान नहीं होने से इस तरह के लोगों को परेशानी हो रही है। दूसरे के पट्टे पर काबिज लोगों की मंशा है कि अब मालिकाना हक वाला दस्तावेज उनके नाम पर मिले।
बीएसपी करे कब्जे की जमीन को शासन को हस्तांतरित
बीएसपी को ऐसी जमीन जिस पर लोग काबिज हो चुके हैं। जिसे प्रबंधन लंबे समय से खाली नहीं करवा पा रही है। उन जमीनों को शासन को हस्तांतरित करना होगा। यह फैसला सेल स्तर से कैबिनेट में जाएगा। तब दिल्ली से इस पर फैसला होना है। यह प्रक्रिया आसान नहीं है।
केंद्र सरकार चाहती है स्लम फ्री शहर
केंद्र सरकार लोगों को दो लाख से अधिक रुपए देकर पक्का मकान बनवाने में मदद कर रही है। मंशा है कि शहर को स्लम से फ्री किया जाए। यह आसान नहीं है। इसके लिए खासी मशक्क त करनी होगी। मरोदा में एक छत पर चढ़कर देखने से नीचे स्लम बस्ती का नजारा दिखाई पड़ता है।
मालिकाना हक का दस्तावेज मिलना चाहिए लोगों को
मोहम्मद निजाम, निवासी टंकी मरोदा, रिसाली, ने बताया कि यहां लोग उस समय से रह रहे हैं, जब बिजली और पानी की व्यवस्था तक घरों में नहीं था। पहले पट्टा मिला। इसके बाद मूलभूत सुविधा। अब कम से कम मालिकाना हक वाला दस्तावेज दिया जाए।
कच्चे मकानों से मिलेगी आजादी
उत्तम कुमार, टंकी मरोदा, रिसाली ने बताया कि लोग पूरा जीवन कच्चे मकानों में बिता दिए हैं। अब कम से कम मालिकाना हक का दस्तावेज मिले तो लोन लेकर पक्का आवास बना लिया जाए। यह लोगों का एक सपना ही है।
सरकार करे इसमें पहल
अशोक साह, टंकी मरोदा, रिसाली ने बताया कि राज्य सरकार पहल करे और लोगों को आसानी से मालिकाना हक का दस्तावेज दिलाए। इसमें दूसरे के नाम का है पट्टा इस तरह की बात करके कोई लोगों को परेशान न करे।
लोगों की मांग जायज
राकेश मिश्रा, जिला अध्यक्ष, प्रफेशनल कांग्रेस कमेटी, भिलाई ने बताया कि लंबे समय से लोग कच्चे मकानों में रह रहे हैं। अब वे शासन की मंशा के मुताबिक ही मालिकाना हक का दस्तावेज मांग रहे हैं। यह मांग जायज है। इसको लेकर राज्य सरकार के जिम्मेदारों से चर्चा की जाएगी।