बच्चों में सही नजरिया व सही आदतें लाने में माता-पिता की अहम भूमिका
वहीं अगर दूसरी ओर देखा जाए तो पैरेंट्स बच्चों के कॅरियर को लेकर अधिक पैंपर हो रहे हैं। आज वह स्थिति बन चुकी है कि बच्चों को ज्यादा जोर दें तो उनमें विद्रोह की भावना जाग जाती है, वहीं अगर थोड़ी छूट दे दी जाए तो लगता है कि बच्चे कहीं रास्ते से न भटक जाए। बच्चों में सही नजरिया व सही आदतें लाने में माता-पिता की अहम भूमिका होती है। इस लिए अपने बच्चों के साथ पैरेंट्स को समय बिताना चाहिए। यह कहना है सर्टिफाइड पैरेंटिंग कोच चिरंजीव जैन का। इन्होंने ये बातें शनिवार को कृष्णा पब्लिक स्कूल सरोना में पैैैरेंटिंग टुडे में कहीं। गौरतलब है कि पत्रिका और सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज ने दो साल पहले पैरेंटिंग टुडे की शुरुआत की थी जो निरंतर जारी है। इसी कड़ी में शनिवार को केपीएस सरोना में आयोजन किया। कार्यक्रम में सर्टिफाइड पैरेंटिंग कोच चिरंजीव जैन के साथ कॅरियर काउंसलर डॉ. किशोर दत्ता व केपीएस स्कूल के राकेश मिश्रा शामिल हुए।
वहीं अगर दूसरी ओर देखा जाए तो पैरेंट्स बच्चों के कॅरियर को लेकर अधिक पैंपर हो रहे हैं। आज वह स्थिति बन चुकी है कि बच्चों को ज्यादा जोर दें तो उनमें विद्रोह की भावना जाग जाती है, वहीं अगर थोड़ी छूट दे दी जाए तो लगता है कि बच्चे कहीं रास्ते से न भटक जाए। बच्चों में सही नजरिया व सही आदतें लाने में माता-पिता की अहम भूमिका होती है। इस लिए अपने बच्चों के साथ पैरेंट्स को समय बिताना चाहिए। यह कहना है सर्टिफाइड पैरेंटिंग कोच चिरंजीव जैन का। इन्होंने ये बातें शनिवार को कृष्णा पब्लिक स्कूल सरोना में पैैैरेंटिंग टुडे में कहीं। गौरतलब है कि पत्रिका और सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज ने दो साल पहले पैरेंटिंग टुडे की शुरुआत की थी जो निरंतर जारी है। इसी कड़ी में शनिवार को केपीएस सरोना में आयोजन किया। कार्यक्रम में सर्टिफाइड पैरेंटिंग कोच चिरंजीव जैन के साथ कॅरियर काउंसलर डॉ. किशोर दत्ता व केपीएस स्कूल के राकेश मिश्रा शामिल हुए।
चार तरह के होते हैं पैरेंट्स
आयोजन में चिरंजीव जैन ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज की जनरेशन को लेकर देखा जाए तो पैरेंट्स पतंग की तरह हो गए हैं। उनमें चार प्रकार के पेरेंट्स देखने को मिलते हैं। इनमें सबसे पहले एेसे पैरेंट्स आते हैं जो बच्चों को पतंग की डोर की तरह खींचे रहते हैं कि उनका बच्चा वहीं करे जो वह बोले इस तरह का पजेसिव बिहैबियर बच्चों में हीन भावना पैदा करता है। वहीं दूसरे एेसे पैरेंट्स हैं जो बच्चों को छूट तो देते हैं, लेकिन कहीं न कहीं उन पर पजेशन बनाए रखते हैं। वहीं तीसरी कैटेगरी में एडवांस पैरेंट्स है जो पतंग की डोर की तरह बच्चों को छूट दे देते हैं। यहीं कारण बनता है जब बच्चे मार्ग से भटक जाते हैं। वहीं चौथी कैटेगरी में हाइब्रिड पेरेंट्स आते हैं जो बच्चों को छूट तो देते हैं, लेकिन उन पर नजर बनाए रखते हैं। हाइब्रिड पैरेंटिंग ही बच्चों को सफल बनाती है।
आयोजन में चिरंजीव जैन ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज की जनरेशन को लेकर देखा जाए तो पैरेंट्स पतंग की तरह हो गए हैं। उनमें चार प्रकार के पेरेंट्स देखने को मिलते हैं। इनमें सबसे पहले एेसे पैरेंट्स आते हैं जो बच्चों को पतंग की डोर की तरह खींचे रहते हैं कि उनका बच्चा वहीं करे जो वह बोले इस तरह का पजेसिव बिहैबियर बच्चों में हीन भावना पैदा करता है। वहीं दूसरे एेसे पैरेंट्स हैं जो बच्चों को छूट तो देते हैं, लेकिन कहीं न कहीं उन पर पजेशन बनाए रखते हैं। वहीं तीसरी कैटेगरी में एडवांस पैरेंट्स है जो पतंग की डोर की तरह बच्चों को छूट दे देते हैं। यहीं कारण बनता है जब बच्चे मार्ग से भटक जाते हैं। वहीं चौथी कैटेगरी में हाइब्रिड पेरेंट्स आते हैं जो बच्चों को छूट तो देते हैं, लेकिन उन पर नजर बनाए रखते हैं। हाइब्रिड पैरेंटिंग ही बच्चों को सफल बनाती है।
बच्चों के दोस्त बनकर रहें
कॅरियर काउंसलर डॉ. किशोर दत्ता ने कहा कि बच्चे जब टीनएेज में आते हें तो उनके मन में कई प्रकार के बदलाव आते हें। यही उम्र होती है जब वे कई प्रकार की चीजों की ओर आकर्षित होने लगते हैं। एेसे में पैरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों के दोस्त बनकर उनसे बात करें। यदि आप टीनएेज बच्चों के साथ समय नहीं बिताएंगे तो वे अपनी बातें पेरेंट्स से छुपाने लगते हैं। माता-पिता उन्हें कंपनी दें और उनकी बातों को जरुर सुनें।
कॅरियर काउंसलर डॉ. किशोर दत्ता ने कहा कि बच्चे जब टीनएेज में आते हें तो उनके मन में कई प्रकार के बदलाव आते हें। यही उम्र होती है जब वे कई प्रकार की चीजों की ओर आकर्षित होने लगते हैं। एेसे में पैरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों के दोस्त बनकर उनसे बात करें। यदि आप टीनएेज बच्चों के साथ समय नहीं बिताएंगे तो वे अपनी बातें पेरेंट्स से छुपाने लगते हैं। माता-पिता उन्हें कंपनी दें और उनकी बातों को जरुर सुनें।
बच्चों में कॅरियर सेट करने के लिए क्या करें?
जवाब- सबसे पहले बच्चे की रुचि समझें और जानने की कोशिश करें की वह किस फील्ड में जाना चाहता है। यहां पर बच्चों के ऊपर अपने ड्रीम न थोपें। इसके अलावा उसको सभी फील्ड से जुड़ी बातों को शेयर करें कि इस क्षेत्र में आगे जाने से क्या फ्यूचर ब्राइट है या नहीं। उसके बाद ही कॅरियर सेट का उद्देश्य बनाएं।
जवाब- सबसे पहले बच्चे की रुचि समझें और जानने की कोशिश करें की वह किस फील्ड में जाना चाहता है। यहां पर बच्चों के ऊपर अपने ड्रीम न थोपें। इसके अलावा उसको सभी फील्ड से जुड़ी बातों को शेयर करें कि इस क्षेत्र में आगे जाने से क्या फ्यूचर ब्राइट है या नहीं। उसके बाद ही कॅरियर सेट का उद्देश्य बनाएं।
बच्चों में डिसीजन मेकिंग किस प्रकार लाएं?
जवाब- बच्चों को अंदर डिसीजन लेने की क्षमता तभी जागृत होती है जब उनके ऊपर आप विश्वास करते हुए जिम्मेदारियां देंगे। बच्चों को इतना फ्रीडम देना चाहिए कि वह अपनी जिम्मेदारी को समझ सके। जब कोई काम उसे विश्वास के साथ देते हैं तो वह स्वत: ही उसे इंटरेस्ट के साथ करेगा। यहीं आदत उसे एक बेहर डिसीजन मेकर बनाने में सफल होगी।
जवाब- बच्चों को अंदर डिसीजन लेने की क्षमता तभी जागृत होती है जब उनके ऊपर आप विश्वास करते हुए जिम्मेदारियां देंगे। बच्चों को इतना फ्रीडम देना चाहिए कि वह अपनी जिम्मेदारी को समझ सके। जब कोई काम उसे विश्वास के साथ देते हैं तो वह स्वत: ही उसे इंटरेस्ट के साथ करेगा। यहीं आदत उसे एक बेहर डिसीजन मेकर बनाने में सफल होगी।
बच्चों के अंदर पढ़ाई के प्रति रुचि किस प्रकार पैदा करें?
जवाब- बच्चे एक दूसरे को देखकर इंस्पायर होते हैं चाहे वह स्पोर्ट हो या फिर स्टडी। अगर आप चाहते हैं कि बच्चे खुद अपने मन से स्टडी करें तो यह तभी संभव होगा जब आप उसके साथ खुद अपना शेड्यूल रखेंगे। आप अपना ऑफिस वर्क उसके साथ बैठकर करें एेसा करने से उसके अंदर भी स्टडी करने का मन होगा।
जवाब- बच्चे एक दूसरे को देखकर इंस्पायर होते हैं चाहे वह स्पोर्ट हो या फिर स्टडी। अगर आप चाहते हैं कि बच्चे खुद अपने मन से स्टडी करें तो यह तभी संभव होगा जब आप उसके साथ खुद अपना शेड्यूल रखेंगे। आप अपना ऑफिस वर्क उसके साथ बैठकर करें एेसा करने से उसके अंदर भी स्टडी करने का मन होगा।