प्रबंधन को सब कुछ पता है फिर भी खामोश
प्रबंधन को इसके बारे में पता है। पूर्व में चोरी की घटनाओं के बाद यूनियनों ने भी यह मुद्दा उठाया था, तब स्वयं अस्पताल प्रबंधन का जवाब था कि कई कामकाजी लोग समय नहीं दे पाते। उन्हें अटेंडर तो रखना पड़ेगा ही। प्रबंधन की सिर्फ यही मंशा है कि बिना अटेंडर के काम चलता रहे ताकि लागत बचे। ऐसे लोगों का वेरिफिकेशन कराना तक जरूरी नहीं समझते।
मरीज के परिजनों से रोक-टोक प्राइवेट अटेंडर अस्पताल में कहीं भी बेधड़क आ-जा सकते हैं। उन्हें कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। जबकि परिजन कितनी भी बड़ी मुसीबत में हो सिक्युरिटी गार्ड बाहर ही रोक देता है। अटेंडर और गार्ड एक-दूसरे का पहचानते हैं, इसलिए उन्हें पास के लिए पूछता तक नहीं। डॉक्टर और नर्स भी राउंड के समय वार्ड में बाकी परिजन को तो बाहर निकाल देते हैं, लेकिन प्राइवेट अटेंडर को कोई कुछ नहीं बोलता।
अटेंडर से अस्पताल स्टाफ जैसा व्यवहार
अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजनों को गार्ड से लेकर स्टाफ नर्स व अन्य कर्मियों के रुखे व्यवहार का सामना करना पड़ता है। जबकि प्रावइेट अटेंडर से हॉस्पिटल स्टाफ जैसा बर्ताव करते हैं। यहां तक कि नर्स चेंबर में बैठकर गप्प हांकते भी नजर आते हैं।
बीमारी व संवेदनशील वार्ड के हिसाब से रेट तय
अटेंडर के रूप में काम करने वालों की हॉस्पिटल सेक्टर की तरफ पूरी बस्ती बस गई है । इन्होंने मरीज की बीमारी, संवेदनशील वार्ड और समय के हिसाब से दर तय कर रखा है। सुबह 8 से रात 8 बजे तक का ३५० रुपए, रात में रुकने पर ४०० रुपए की दर से पैसे लेते हैं। मरीज गंभीर हो, बेड से उठ नहीं पाता है तो ५०० रुपए की दर तय है।
सीधी बात- डॉ. एसके इस्सर, निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं बीएसपी परिजनों की गलती है सवाल – अस्पताल में प्राइवेट अटेंडर किस आधार पर रखे जा रहे हैं?
जवाब – हम नहीं रखते। परिजन खुद लेकर आते हैं।
सवाल – अनधिकृत लोग अस्पताल में रहते हैं, आपके संज्ञान में भी है तो कार्रवाई क्यों नहीं करते? जवाब – सिर्फ एक परिजन को रुकने के लिए पास जारी किया जाता है। लोग किसी दूसरे को पाास देकर रुकवा देते हैं तो हम क्या कर सकते हैं।
सवाल- हॉस्पिटल में अटेंडर की कमी है, जो बाहर से बुलाना पड़ता है?
जवाब- ऐसा नहीं है। हमारे पास पर्याप्त अटेंडर है। कोई कमी नहीं है। सवाल- बच्ची के साथ हुई घटना के लिए जिम्मेदार कौन है?
जवाब -स्वयं मरीज के परिजन हैं। अटेंडर को उन्होंने ही रखा था। सवाल – डॉक्टर ही अटेंडर रखने का सुझाव देते हैं, आपके पास इनका रिकॉर्ड रहता है क्या?
जवाब – नहीं, इनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। स्टाफ के साथ प्राइवेट अटेंडर काम नहीं करता।