पुराने चिन्ह पर ही लडऩा है चुनाव
बीएसपी में आईडी एक्ट के तहत प्रतिनिधि यूनियन के लिए 30 जुलाई 2022 को चुनाव होना है। इसमें 9 यूनियन मैदान में है। श्रम विभाग ने सभी यूनियन के चुनाव चिन्ह का आवंटन बुधवार को कर दिया। जिसमें बीएमएस को चक्र मुट्ठा गेंहूं की बाली, एचएमएस को हल और चक्र, एटक को झंडा, बीएसपी बर्कर्स यूनियन को सेफ्टी हेलमेट, एक्टू को स्टार, सीटू को हसिया हथोड़ा, लोईमू को हथोड़ा, इंटक को चक्र, स्टील वर्कर्स यूनियन को जय हो का चुनाव चिन्ह मिला है। दसवीं यूनियन इस्पात श्रमिक मंच ने इंटक का समर्थन किया है।
यूनियन ने जो काम किए उस पर लगेगी कर्मियों की मोहर
सीटू के सहायक महासचिव एसएसके पनीकर ने बताया कि कर्मियों के वेलफेयर व सामाजिक मुख्य मुद्दों से लेकर आर्थिक मुद्दों तक हर मामले में सीटू अपने पक्ष को मजबूती से रखता है। बल्कि उसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए हर संभव बातचीत व संघर्ष करता है।
स्वप्रमाणित मेडिकल लीव को कहते हैं सीटू लीव
बीएसपी में पहली मान्यता चुनाव में सीटू ने जीतने के बाद स्वयं के हस्ताक्षर से ही मेडिकल लीव लेने के लिए यह सुविधा प्राप्त हुई। जिसमें किसी कर्मी के बीमार होने पर वह अपने स्वयं से ही प्रमाणित करके अधिकतम 3 दिन का मेडिकल लीव ले सकते थे। जिसके लिए उन्हें किसी डॉक्टर के अनफिट व फिट सर्टिफिकेट देने की आवश्यकता नहीं थी। बीएसपी में स्टैंडिंग आर्डर प्लांट व माइंस से संचालित कर्मियों को यह सुविधा प्राप्त नहीं थी। हर साल कर्मियों को अधिकतम 20 एचपीएल मिलता है। कर्मियों के लिए सबसे पहले सीटू के प्रयास से भिलाई में लागू हुआ इसीलिए भिलाई में कर्मी इसे सीटू लीव के नाम से जानते हैं।
क्रेडिट लेने पहुंचे सभी
2003 से 2008 के बीच ओसीटी में भर्ती हुए एक कर्मी ने कहा कि प्रशिक्षण काल को सेवा काल में जोडऩे की लड़ाई सीटू के नेतृत्व में लड़े हैं। जैसे ही प्रशिक्षण काल को सेवा काल में जोडऩे के संदर्भ में सर्कुलर जारी हुआ क्रेडिट लेने के लिए सभी पहुंच गए। इस पर सीटू नेता टी जोगाराव ने कहा कि केवल इसी विषय पर नहीं, जितने भी मामले में लड़कर सफलता हासिल की है उन सभी में क्रेडिट के लिए लगभग सभी यूनियनें बयान बाजी कर रही है।
300 करोड़ का घाटा
बीएमएस के एनजेसीएस सदस्य व उद्योग प्रभारी देवेंद्र कुमार पाण्डेय ने बताया कि कर्मियों को कुछ भी देना होता है तो प्रबंधन घाटे का रोना रोता है। इस बार भी 300 करोड़ के घाटे का हवाला देते हुए, 39 माह का एरियर्स भुगतान के नाम पर टालने का प्रयास किया। इसको लेकर स्थानीय प्रबंधन से बात करनी होगी कि वे सक्षम है या नहीं। मौके पर सभी संयंत्र से प्रतिनिधि मौजूद थे। वे संयंत्र की माली हालात बता सकते थे।
एग्रीमेंट ही नहीं हुआ है फाइनल
उन्होंने बताया कि 15 फीसदी एमजीबी 35 फीसदी पाक्र्स दिया जाना चाहिए। अफसरों की तर्ज पर कर्मियों को भी देना होगा। सभी सीपीएसई में एक जैसा ही दिया जाता है फिर इस्पात के क्षेत्र में भेदभाव क्यों। इस पर एक आम सहमति बनाई जानी चाहिए। जिससे एग्रीमेंट फाइनल हो सके। एलटीसी, एलएलटीसी की कटौती पर भी सवाल उठाया कि जब एग्रीमेंट फाइनल ही नहीं हुआ है तो आप कटौती कैसे कर सकते हैं।
डिप्लोमाधारकों को सम्मानजनक पदनाम
डिप्लोमाधारक को सभी अच्छी कंपनी सम्मानजनक पदनाम दे रही है, फिर इसे सेल में भी दिया जाए, वहां क्या दिक्कत है। इस पर प्रबंधन ने इसके लिए बनी समिति की बैठक बुलाकर तय करने का भरोसा दिया है। ट्रांसफर किए जाने पर उन्होंने कहा कि बच्चों से घर में कोई गलती हो जाती है तो उन्हें घर से बाहर नहीं किया जाता बल्कि घर में रखकर ही सुधारा जाता है। कर्मियों की घर वापसी होनी चाहिए। प्रबंधन ने आम सहमति बनाकर समझौता का आश्वासन दिया है कहा है कि कोर ग्रुप की बैठक बुलाकर आम सहमति बनाने व सब कमेटी में सभी को साथ लेकर चर्चा कर 3 माह में सब कमेटी की रिपोर्ट पर समझौता है किया जाएगा।
फैलाया जा रहा दुष्प्रचार
उन्होंने कहा कि भिलाई में दुष्प्रचार फैलाया जा रहा है। इंटक ने जिस प्रकार प्रबंधन के साथ मिलकर एमओयू हस्ताक्षर करते समय कहा था कि कर्मियों को पैसा चाहिए इसलिए जल्दी से कुछ पैसा उन्हें दिया जाना चाहिए। उससे बचने के मिलए ही जल्दबाजी दिखाई गई थी। वर्ना उसी समय फाइनल होता व कर्मियों को पक्र्स अधिक मिलता। इंटक नेता समझ गए थे कि 28 फीसदी पक्र्स मिलने से बीएमएस चुनाव जीत जाएगी।
नहीं रोक रहे एरियर्स
उन्होंने कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र में चुनाव में यह आरोप तय हो रहा है कि बीएमएस मंत्री से मिलकर एरियर्स भुगतान नहीं होने दे रहा है। सावधान होकर कर्मियों को समझना होगा कि बीएमएस ने मंत्री को पत्र लिखकर कहा है आम सहमति के आधार पर एमजीबी 15 फीसदी, पक्र्स 35 फीसदी व 1 जनवरी 2017 से बकाया राशि का भुगतान किया जाए।
असमंजस की है स्थिति
बीएसपी वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष उज्जवल दत्ता ने बताया कि एनजेसीएस यूनियन और सेल प्रबंधन के बीच दिल्ली में बैठक हुई। जिसमें एनजेसीएस नेता पे स्केल, एरियर आदि विषयों पर चर्चा होने और उनमें से पे स्केल के तय हो जाने की बात कर रहे हैं। जबकि नया पे स्केल क्या है, कैसा है। एरियर मिलेगा, कितना मिलेगा और कब मिलेगा। इसमें सभी बीएसपी वर्कर्स असमंजस की स्थिति में है।
बरगला रहे कर्मियों को
उन्हंने कहा कि सभी एनजेसीएस यूनियन के नेता बीएसपी वर्कर्स को पे स्केल और एरियर के विषय पर अलग-अलग बातों व तथ्यों से बरगला रहे हैं। असल में मंगलवार की बैठक में कोई अंतिम निर्णय लिया है तो एग्रीमेंट दिखाएं। कर्मियों के सामने साक्ष्य दें। असल में एक तारीख लेकर वापस आए हैं नेता और कर्मियों को गुमराह कर रहे हैं।
यहां हुआ कर्मियों को नुकसान
बीडब्ल्यूयू के अध्यक्ष ने बताया कि चुनाव प्रचार में भी एनजेसीएस यूनियन नेता कर्मियों को 15 फीसदी एमजीबी और 35 फीसदी वैरियेबल पक्र्स की जगह 13 फीसदी एमजीबी और 26.5 फीसदी वैरियेबल पक्र्स दिए जाने पर भ्रामक प्रचार कर रहे हैं। पहले हुए समझौते के आधार पर अभी 16.5 फीसदी एमजीबी का फायदा होने की बात कर रहें हैं। जो सरासर गलत है। 5-5 सालों वाले पिछले दो वेज रिवीजन में कर्मियों को मिले 22 फीसदी और 17 फीसदी एमजीबी का औसत लाभ 29.7 फीसदी है, जो अधिकारियों को 10 सालों के लिए मिलें 30 फीसदी एमजीबी से भी कम है।
बीएमएस बना एरियर्स में बाधा
संजय साहू, अतिरिक्त महासचिव, इंटक, बीएसपी ने बताया कि बीएमएस के नेता दो दिन पहले से दिल्ली जाकर मंत्रियों से मिलकर कर्मियों की सुविधाओं में बाधा बनने का काम किए। इंटक ने कर्मियों से पहले ही किया था वादा कि वेज रिवीजन के साथ-साथ 39 माह का एरियर भी मिलेगा। सेल प्रबंधन ने एरियर के लिए तीन माह का समय तय किया।
लंबित मुद्दों पर उदासीनता
एसपी डे, महासचिव, सीटू, बीएसपी ने बताया कि एनजेसीएस की में 39 माह के एरियर्स के अलावा सभी लंबित मुद्दों पर प्रबंधन की उदासीनता से साफ है कि सरकार की थोपी गई शर्तों के दायरे में रहकर ही वेतन समझौते के सभी लंबित मुद्दों का निराकरण चाहती है, जो संभव नहीं है। अत: कर्मियों के जायज मांगों के निराकरण के लिए एक बार फिर सभी यूनियनों को मिलकर साझा संघर्ष करना होगा।