एसीबी ने बताया आरोपियों को भेजा था नोटिस फिर भी हाजिर नहीं हुए
एसीबी के विवेचना अधिकारी लंबोदर पटेल ने न्यायालय को बताया कि इस मामले में दुर्ग रजिस्ट्री कार्यालय की उप पंजीयक लिली पुष्पलता बेक के खिलाफ अभियोग पत्र प्रस्तुत करने से पहले शासन से विधिवत अभियोजन स्वीकृति ली गई। इसके बाद ही प्रकरण को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है। अभियोग पत्र प्रस्तुत किए जाने की नोटिस विधिवत तीनों आरोपियों को जारी किया गया था। नोटिस तामिल भी हुआ। इसके बाद भी तीनो आरोपी निर्धारित समय पर उपस्थित नहीं हुए।
एसीबी के विवेचना अधिकारी लंबोदर पटेल ने न्यायालय को बताया कि इस मामले में दुर्ग रजिस्ट्री कार्यालय की उप पंजीयक लिली पुष्पलता बेक के खिलाफ अभियोग पत्र प्रस्तुत करने से पहले शासन से विधिवत अभियोजन स्वीकृति ली गई। इसके बाद ही प्रकरण को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है। अभियोग पत्र प्रस्तुत किए जाने की नोटिस विधिवत तीनों आरोपियों को जारी किया गया था। नोटिस तामिल भी हुआ। इसके बाद भी तीनो आरोपी निर्धारित समय पर उपस्थित नहीं हुए।
उप पंजीयक अब राजनांदगांव में पदस्थ अर्जित अवकाश पर
विभाग के कर्मचारियों के मुताबिक इस समय पुष्पलता बेक राजनादगांव मुख्यालय में पदस्थ है। वह ८ जुलाई तक अर्जित अवकाश पर है। अधिकारियों का कहना है कि शिकायत के बाद शासन ने जारी आइडी को लॉक कर दिया था। जांच पूरी होने के बाद पुष्पलता बेक का आइडी सप्ताह भर पहले शुरू किया गया। उल्लेखनीय है कि रजिस्ट्री करने शासन ने पंजीयक व उपपंजीयक को आइडी जारी किया है। इसी आईडी पर वे रजिस्ट्री करते हैं।
विभाग के कर्मचारियों के मुताबिक इस समय पुष्पलता बेक राजनादगांव मुख्यालय में पदस्थ है। वह ८ जुलाई तक अर्जित अवकाश पर है। अधिकारियों का कहना है कि शिकायत के बाद शासन ने जारी आइडी को लॉक कर दिया था। जांच पूरी होने के बाद पुष्पलता बेक का आइडी सप्ताह भर पहले शुरू किया गया। उल्लेखनीय है कि रजिस्ट्री करने शासन ने पंजीयक व उपपंजीयक को आइडी जारी किया है। इसी आईडी पर वे रजिस्ट्री करते हैं।
वास्तविक कीमत के अनुसार १३६२५७० रुपए शुल्क जमा होना था
प्रकरण के मुताबिक सिकोला भाठा पटवारी हल्का के .७३२ हेक्टेयर ( १ एकड़ ८३ डीसमिल) जमीन को आरोपी हिमांशु यादव व देवेन्द्र सोनवाने ने सयुक्त रुप से संजय बाफना से खरीदा था। दोनों ने जमीन का मूल्य ९० लाख रुपए बताते हुए रजिस्ट्री कराई। जबकि जमीन का वास्तविक मूल्य १ करोड़ ९३ लाख २४ हजार ८०० था। इस बात को जानते हुए भी महिला उपपंजीयक ने जमीन की कीमत ९३ लाख आंक कर रजिस्ट्री कर दी। इस तरह शासन के खाते में जमा होने वाली फीस ६ लाख ७८ हजार ५०० रुपए की चोरी की। जिससे शासन को क्षति हुई। जबकि जमीन की वास्तविक कीमत के अनुसार १३६२५७० रुपए शुल्क जमा होना था।
प्रकरण के मुताबिक सिकोला भाठा पटवारी हल्का के .७३२ हेक्टेयर ( १ एकड़ ८३ डीसमिल) जमीन को आरोपी हिमांशु यादव व देवेन्द्र सोनवाने ने सयुक्त रुप से संजय बाफना से खरीदा था। दोनों ने जमीन का मूल्य ९० लाख रुपए बताते हुए रजिस्ट्री कराई। जबकि जमीन का वास्तविक मूल्य १ करोड़ ९३ लाख २४ हजार ८०० था। इस बात को जानते हुए भी महिला उपपंजीयक ने जमीन की कीमत ९३ लाख आंक कर रजिस्ट्री कर दी। इस तरह शासन के खाते में जमा होने वाली फीस ६ लाख ७८ हजार ५०० रुपए की चोरी की। जिससे शासन को क्षति हुई। जबकि जमीन की वास्तविक कीमत के अनुसार १३६२५७० रुपए शुल्क जमा होना था।
ऐसे खुला मामला
एसीबी के अधिकारियों के पास डिपरापारा निवासी लाखन सिंह राजपूत ने २६ फरवरी २०१८ को शिकायत की थी। शिकायत में उसने २०१६ में हुई रजिस्ट्री में पंजीयन शुल्क चोरी को उजागर करते जांच की मांग की थी। इसके बाद एसीबी के अधिकारियों ने मामले की जांच की। रजिस्ट्री की जांच के लिए शासन द्वारा तैयार २०१६-१७ के अचल संपत्तियों के बाजार मूल्य मार्गदर्शक सिंद्धात छत्तीसगढ़ (गाइड लाइन ) को आधार बनाया। इसके बाद ही इस मामले का खुलासा हुआ।
एसीबी के अधिकारियों के पास डिपरापारा निवासी लाखन सिंह राजपूत ने २६ फरवरी २०१८ को शिकायत की थी। शिकायत में उसने २०१६ में हुई रजिस्ट्री में पंजीयन शुल्क चोरी को उजागर करते जांच की मांग की थी। इसके बाद एसीबी के अधिकारियों ने मामले की जांच की। रजिस्ट्री की जांच के लिए शासन द्वारा तैयार २०१६-१७ के अचल संपत्तियों के बाजार मूल्य मार्गदर्शक सिंद्धात छत्तीसगढ़ (गाइड लाइन ) को आधार बनाया। इसके बाद ही इस मामले का खुलासा हुआ।
दर कम करने का यह है नियम, जिसे किया नजरअंदाज
अगर किसी व्यक्ति को गाइड लाइन के आधार से कम आकंलन कराना है तो उसे जिला पंजीयक के समक्ष प्रकरण को प्रस्तुत करना होता है। यह प्रकरण प्रवधान में उल्लेख धारा ४७ के तहत प्रस्तुत करना होता है। इसके बाद जिला पंजीयक मौका पंचनामा, क्रेता व विक्रेता का बयान दर्ज करने के बाद पटवारी से ३ वर्ष का बिक्री चार्ट मंगाया जाता है। इसके बाद पंजीयक विशेष अधिकार का प्रयोग करते हुए स्टांप ड्यूटी व पंजीयन शुल्क में रियायत दे सकते हैं। जबकि इस मामले में आरोपी उप पंजीयक ने बिना प्रवधान के ही जमीन का गलत ढंग से पंजीयन किया है।
अगर किसी व्यक्ति को गाइड लाइन के आधार से कम आकंलन कराना है तो उसे जिला पंजीयक के समक्ष प्रकरण को प्रस्तुत करना होता है। यह प्रकरण प्रवधान में उल्लेख धारा ४७ के तहत प्रस्तुत करना होता है। इसके बाद जिला पंजीयक मौका पंचनामा, क्रेता व विक्रेता का बयान दर्ज करने के बाद पटवारी से ३ वर्ष का बिक्री चार्ट मंगाया जाता है। इसके बाद पंजीयक विशेष अधिकार का प्रयोग करते हुए स्टांप ड्यूटी व पंजीयन शुल्क में रियायत दे सकते हैं। जबकि इस मामले में आरोपी उप पंजीयक ने बिना प्रवधान के ही जमीन का गलत ढंग से पंजीयन किया है।
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