सेक्टर-9 हॉस्पिटल में पहुंचे डीवीएस रेड्डी ने स्टॉफ से कहा कि कुछ यूनियनें वेतन समझौता, छुट्टी का नकदीकरण, पेंशन जैसे विषयों को उठा रही है। चुनाव की वजह से उनके मुंह खुले हैं। यह मुद्दे केवल बीएसपी के नहीं, पूरे सेल स्तर के हैं। चुनाव से पहले भी इन विषयों पर संघर्ष किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले दो कार्यकाल में कर्मियों को कम से कम रेफरल के लिए परेशान होना नहीं पड़ा है। पहले तथाकथित संगठन के नेताओं ने रेफरल के नाम पर धांधली बाजी करते हुए अपनी रोटी सेकने की घटनाएं होती थी। जिसके कारण वे तो मजे में रहते थे, लेकिन हॉस्पिटल बदनाम हो जाता था। रेफरल में जाने वाले मरीजों के परिजनों से वसूली होने की घटनाएं प्रकाश में आती थी। अब बिना किसी नेता के भी कर्मचारी खुद मरीज को रेफरल करवा सकता है।
यूनियन ने याद दिलाया कि 5 मई 2018 को सेक्टर-9 हॉस्पिटल का ब्लड बैंक बंद करने का आदेश आया था। जिसके चलते ब्लड बैंक को 4 माह के लिए बंद कर दिए। उसी दिन सीटू ने हॉस्पिटल के सामने प्रदर्शन किया, इसके बाद बीएसपी के ऑफिसर्स एसोसिएशन व दूसरे श्रम संगठनों ने संयुक्त रूप से ब्लड बैंक शुरू करने के लिए गतिविधियां की। एक माह बाद 5 जून 2018 को ब्लड बैंक को फिर से खोलना पड़ा।
बीएमएस राउरकेला के स्थानीय एग्रीमेंट का जिक्र कर रहा है, जबकि राउरकेला ने स्वप्रमाणित 3 दिन एचपीएल की सुविधा भिलाई में सीटू ने 30 जून 2015 को कराने के करीब 80 दिन बाद 19 सितंबर 2015 को भिलाई के सर्कुलर के आधार पर करवा पाए। अंतर इतना ही था की बीएसपी में इसकी शुरुआत करते हुए 6 दिन के लिए यह सुविधा शुरू किया था, यहां का सर्कुलर को देखकर राउरकेला ने 10 दिन के लिए इस सुविधा को शुरू करवाया। उसके बाद पुन: भिलाई में भी यह सुविधा 10 दिन कर दिए। बीएसपी से आरएसपी की स्थिति को बेहतर बताने वाले इस बात को उजागर करें, कि किस तरह से वह बेहतर।
सीटू ने कहा कि बीएमएस राउरकेला में हुए जिस लोकल एग्रीमेंट की बात कर रही है, उसे सार्वजनिक करें। महज बयान देने से काम नहीं चलेगा।