काजी ने बताया कि उनके प्रदेश में आने का मकसद खास है, हुकुमत जिस तरह से शरीयत में बदल की कोशिश कर रही है, उसको ध्यान में रखते हुए उम्मत को एक प्लेटफार्म में लाने कवायद की जा रही है। इसके साथ-साथ उम्मते मुस्लिमा को जागरूक करने का काम भी किया जा रहा है। जिससे शरीयत की हिफाजत की जा सके। शरीयत में बदलाव का पैरोकार नहीं बन सकते।
छत्तीसगढ़ में प्रयास किया जाएगा कि घरों के झगड़ों को लोग आपस में मिल बैठकर सुलझा लें। इसके लिए वैसा निजाम कायम करना होगा, कि लोग खुद इन मसलों को आपस में बैठकर निपटा सकें। इस तरह की व्यवस्था दूसरे राज्यों में मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के दारुल कदा में जारी है। पहल यह है कि घरेलू मामलों में मुस्लिम बिना वजह खर्च को कम करें।
तबरेज ने बताया कि दारुल कदा में मामलों का निपटारा होता है, तो इससे अदालतों पर दबाव कम होता है और मुल्क को फायदा होता है। अदालत पर काम का दबाव कम होता है, तो सरकारी खर्च भी कम हो जाता है।