scriptOMG : तलाक व हलाला पर काजी ने ये क्या कह दिया | What did Kazi say on divorce and halala | Patrika News
भिलाई

OMG : तलाक व हलाला पर काजी ने ये क्या कह दिया

फैमली लॉ रस्मरिवाज नहीं है, इसमें किसी भी तरह की तब्दीली कुबूल नहीं, किसी को इसका हक भी नहीं। बिल को नहीं किया जा रहा स्वीकार.

भिलाईSep 28, 2018 / 02:16 pm

Abdul Salam

BHILAI

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भिलाई. कुरआन शरीफ में मुस्लिम फैमली कानून 90 फीसदी है। दस फीसदी हदीस में मिल जाता है। मामला तलाक का हो या किसी अन्य विषय का। कुरआन शरीफ की आयत का इंकार, कोई भी मोमिन नहीं कर सकता, इसका इंकार करने से ईमान व अकीदे का खतरा है। फैमली लॉ रस्म रिवाज नहीं है, इस पर किसी भी तरह की तब्दीली काबिले कुबूल नहीं, किसी को इसका हक भी नहीं। इस वजह से बिल को स्वीकार नहीं किया जा रहा है।
आखिरी पड़ाव भिलाई

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड, दिल्ली दारुल कदा कमेटी के संचालक काजी तबरेज आलम कासमी ने पत्रिका से चर्चा के दौरान यह बात कही। वे इन दिनों छत्तीसगढ़ दौरे पर हैं। उन्होंने बताया कि उनके दौरे का आखिरी पड़ाव भिलाई था, अब वे लौट रहे हैं।
शरीयत में बदलाव का नहीं करते पैरोकार
काजी ने बताया कि उनके प्रदेश में आने का मकसद खास है, हुकुमत जिस तरह से शरीयत में बदल की कोशिश कर रही है, उसको ध्यान में रखते हुए उम्मत को एक प्लेटफार्म में लाने कवायद की जा रही है। इसके साथ-साथ उम्मते मुस्लिमा को जागरूक करने का काम भी किया जा रहा है। जिससे शरीयत की हिफाजत की जा सके। शरीयत में बदलाव का पैरोकार नहीं बन सकते।
दारुल कदा में निपटाएं घरेलू झगड़े
छत्तीसगढ़ में प्रयास किया जाएगा कि घरों के झगड़ों को लोग आपस में मिल बैठकर सुलझा लें। इसके लिए वैसा निजाम कायम करना होगा, कि लोग खुद इन मसलों को आपस में बैठकर निपटा सकें। इस तरह की व्यवस्था दूसरे राज्यों में मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के दारुल कदा में जारी है। पहल यह है कि घरेलू मामलों में मुस्लिम बिना वजह खर्च को कम करें।
अदालतों पर होगा दबाव कम
तबरेज ने बताया कि दारुल कदा में मामलों का निपटारा होता है, तो इससे अदालतों पर दबाव कम होता है और मुल्क को फायदा होता है। अदालत पर काम का दबाव कम होता है, तो सरकारी खर्च भी कम हो जाता है।
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