कंपनी की केयर रेटिंग बी निगेटिव
जहां एक ओर कंपनी की केयर रेटिंग बी निगेटिव आ चुकी है। वहीं ऑडिटर ने कंपनी खाता पर रेड फ्लैग लगा दिया है। इसी के साथ आईएलएफएस के 1000 करोड़ के लोन डिफॉल्ट करने की खबर आने से कर्मचारियों की धड़कन बढ़ गई है।
जहां एक ओर कंपनी की केयर रेटिंग बी निगेटिव आ चुकी है। वहीं ऑडिटर ने कंपनी खाता पर रेड फ्लैग लगा दिया है। इसी के साथ आईएलएफएस के 1000 करोड़ के लोन डिफॉल्ट करने की खबर आने से कर्मचारियों की धड़कन बढ़ गई है।
यूपी, पंजाब में अटका है 125 करोड़
उत्तर प्रदेश और पंजाब में कर्मियों के पहले ही करीब 125 करोड़ अटके है। इसके बाद भी वर्तमान ट्रस्ट लगातार संदिग्ध निवेश करता आ रहा है। उत्तर प्रदेश में 110 करोड़ निवेश के बाद अब आईएलएफएस के 25 करोड़ के निवेश सवालों के घेरे में है।
उत्तर प्रदेश और पंजाब में कर्मियों के पहले ही करीब 125 करोड़ अटके है। इसके बाद भी वर्तमान ट्रस्ट लगातार संदिग्ध निवेश करता आ रहा है। उत्तर प्रदेश में 110 करोड़ निवेश के बाद अब आईएलएफएस के 25 करोड़ के निवेश सवालों के घेरे में है।
जिम्मेदारी ट्रस्टियों की
संयुक्त यूनियन ने कहा कि बीएसपी कर्मियों के कमाई से चलने वाला ट्रस्ट का निवेश खतरे में है, जिसके लिए जिम्मेदारी सीटू है। पूर्व ट्रस्टी व मंच के महासचिव राजेश अग्रवाल ने बताया कि ट्रस्ट के बायलॉज के मुताबिक किसी भी बांड में तभी निवेश किया जा सकता है, जबकि उस बांड की रेटिंग डबल ए प्लस हो। आईएलएफएस के मामले में यह जांच का विषय है, क्योंकि जुलाई में आईएलएफएस के बांड की रेटिंग ए निगेटिब तक आ गई थी। वर्तमान में सीपीएफ ट्रस्टि किस तरह से इस कंपनी से पैसा निकालती है, जो दिवालिया होने के कागार पर खड़ी है।
संयुक्त यूनियन ने कहा कि बीएसपी कर्मियों के कमाई से चलने वाला ट्रस्ट का निवेश खतरे में है, जिसके लिए जिम्मेदारी सीटू है। पूर्व ट्रस्टी व मंच के महासचिव राजेश अग्रवाल ने बताया कि ट्रस्ट के बायलॉज के मुताबिक किसी भी बांड में तभी निवेश किया जा सकता है, जबकि उस बांड की रेटिंग डबल ए प्लस हो। आईएलएफएस के मामले में यह जांच का विषय है, क्योंकि जुलाई में आईएलएफएस के बांड की रेटिंग ए निगेटिब तक आ गई थी। वर्तमान में सीपीएफ ट्रस्टि किस तरह से इस कंपनी से पैसा निकालती है, जो दिवालिया होने के कागार पर खड़ी है।
ऐसे जगह निवेश पर हो जांच
संयुक्त यूनियन ने आईएलएफएस टेंडर मे हाई रेटिंग न होने के बाद भी इस पर निवेश क्यों किया गया। इसकी जांच करने मांग की है। यह स्थिति तब है, जब खुद सीटू के अध्यक्ष के नेतृत्व में यह ट्रस्ट संचालित हो रहा है।
संयुक्त यूनियन ने आईएलएफएस टेंडर मे हाई रेटिंग न होने के बाद भी इस पर निवेश क्यों किया गया। इसकी जांच करने मांग की है। यह स्थिति तब है, जब खुद सीटू के अध्यक्ष के नेतृत्व में यह ट्रस्ट संचालित हो रहा है।
यूपी के निवेश पर नहीं मिला जवाब
संयुक्त यूनियन ने इसके पहले सीपीएफ ट्रस्ट के उत्तर प्रदेश में किए गए निवेश पर सवाल उठाया था। यूनियन का कहना है कि जब उत्तर प्रदेश उदय और एसडीएल बांड 10.5 फीसदी का रिटर्न मिल रहा था, तब ट्रस्ट ने निवेश नहीं किया। यही बांड का रिटर्न 8.6 तक आ गया तब 110 करोड़ निवेश किया। इस तरह करीब 100 करोड़ के निवेश पर सीधे-सीधे 1.4 फीसदी रिटर्न के नुकसान की जवाबदारी ट्रस्टियों की है।
संयुक्त यूनियन ने इसके पहले सीपीएफ ट्रस्ट के उत्तर प्रदेश में किए गए निवेश पर सवाल उठाया था। यूनियन का कहना है कि जब उत्तर प्रदेश उदय और एसडीएल बांड 10.5 फीसदी का रिटर्न मिल रहा था, तब ट्रस्ट ने निवेश नहीं किया। यही बांड का रिटर्न 8.6 तक आ गया तब 110 करोड़ निवेश किया। इस तरह करीब 100 करोड़ के निवेश पर सीधे-सीधे 1.4 फीसदी रिटर्न के नुकसान की जवाबदारी ट्रस्टियों की है।
कर्मियों पर बोझ बढ़ाकर कमाया लाभ
छत्तीसगढ़ मजदूर संघ के महासचिव, अखिल मिश्र ने बताया कि सीपीएफ ट्रस्ट के घोषित नतीजे में मुनाफा ट्रस्ट की वर्तमान महाजनी प्रणाली की तरह है। पहली किस्त से ही ब्याज की वसूली के चलते कर्मियों पर आर्थिक बोझ बढऩे के साथ-साथ, उन्होंने जो निवेश किया था, वह भी खत्म हो गया है। ट्रस्ट ने ब्याज कम किए इसके बाद भी कर्मियों को नुकसान हो रहा है।
छत्तीसगढ़ मजदूर संघ के महासचिव, अखिल मिश्र ने बताया कि सीपीएफ ट्रस्ट के घोषित नतीजे में मुनाफा ट्रस्ट की वर्तमान महाजनी प्रणाली की तरह है। पहली किस्त से ही ब्याज की वसूली के चलते कर्मियों पर आर्थिक बोझ बढऩे के साथ-साथ, उन्होंने जो निवेश किया था, वह भी खत्म हो गया है। ट्रस्ट ने ब्याज कम किए इसके बाद भी कर्मियों को नुकसान हो रहा है।
आरोप को किया खारिज
सीटू के अध्यक्ष एसपी डे ने बताया कि यह झूठ है कि वर्ग अ के तहत उत्तर प्रदेश या किसी भी राज्य सरकार से जारी बंध पत्र में वर्तमान ट्रस्टियों ने निवेश किया। वर्ग अ के तहत केवल रिजर्व बैंक से जारी की गई बंध पत्रों में निवेश किए हैं। यह भी सही नहीं है कि भिलाई का ट्रस्ट सबसे महंगा ट्रस्ट है। कर्मियों को 0.6 फीसदी अतिरिक्त ब्याज देने के बाद भिलाई ट्रस्ट से दिया जाने वाला ऋण प्रभावी ब्याज दर सबसे कम है। वर्तमान ट्रस्टियों ने एक प्रणाली के तहत निवेश किया जाता है। इस प्रणाली के तहत टेंडर आमंत्रित किया जाता है और टेंडर में सर्वाधिक ब्याज देने वाले सिक्योरिटी में ही निवेश किया जाता है, जबकि जो लोग आरोप लगा रहे हैं उनके कार्यकाल में इस तरह की कोई प्रणाली नहीं थी और कुछ ट्रस्टियों के इच्छा अनुसार कंपनियों में निवेश किया जाता था।
सीटू के अध्यक्ष एसपी डे ने बताया कि यह झूठ है कि वर्ग अ के तहत उत्तर प्रदेश या किसी भी राज्य सरकार से जारी बंध पत्र में वर्तमान ट्रस्टियों ने निवेश किया। वर्ग अ के तहत केवल रिजर्व बैंक से जारी की गई बंध पत्रों में निवेश किए हैं। यह भी सही नहीं है कि भिलाई का ट्रस्ट सबसे महंगा ट्रस्ट है। कर्मियों को 0.6 फीसदी अतिरिक्त ब्याज देने के बाद भिलाई ट्रस्ट से दिया जाने वाला ऋण प्रभावी ब्याज दर सबसे कम है। वर्तमान ट्रस्टियों ने एक प्रणाली के तहत निवेश किया जाता है। इस प्रणाली के तहत टेंडर आमंत्रित किया जाता है और टेंडर में सर्वाधिक ब्याज देने वाले सिक्योरिटी में ही निवेश किया जाता है, जबकि जो लोग आरोप लगा रहे हैं उनके कार्यकाल में इस तरह की कोई प्रणाली नहीं थी और कुछ ट्रस्टियों के इच्छा अनुसार कंपनियों में निवेश किया जाता था।