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CG Politics : मुख्यमंत्री के बाद संभाग से कौन-कौन बनेंगे मंत्री इस पर ज्यादा चर्चा

locationभिलाईPublished: Dec 17, 2018 10:36:05 am

भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब मंत्रीमंडल को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। राजनीतिक जानकारों का भी कहना है कि संभाग से मुख्यमंत्री जैसे शीर्ष नेतृत्व के बाद मंत्रीमंडल में भी दुर्ग संभाग से ज्यादा लोगों को अवसर मिल पाएगा, इसकी संभावना कम है।

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भिलाई@patrika. भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब मंत्रीमंडल को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। दुर्ग संभाग से पांच दावेदारों के नाम की चर्चा है। हालांकि 13 सदस्यीय मंत्रीमंडल में भूपेश को पार्टीगत राजनीति के साथ-साथ पूरे राज्य की भौगोलिक सीमाओं और सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सरकार में प्रतिनिधित्व का अवसर देना होगा। राजनीतिक जानकारों का भी कहना है कि संभाग से मुख्यमंत्री जैसे शीर्ष नेतृत्व के बाद मंत्रीमंडल में भी दुर्ग संभाग से ज्यादा लोगों को अवसर मिल पाएगा, इसकी संभावना कम है। फिर भी वरिष्ठता, अनुभव और राजनीतिक कद को देखते हुए दुर्ग संभाग से सबसे ज्यादा मंत्री पद के दावेदार हैं और यही भूपेश के लिए बड़ा चैलेंज भी होगा कि वे किनको खुश और किनको दरकिनार करते हैं।
ताम्रध्वज साहू
@patrika.मुख्यमंत्री बनने से चूक गए सांसद ताम्रध्वज साहू अब मंत्री पद की दौड़ में सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। वे 1989 में मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम के उपाध्यक्ष (राज्यमंत्री का दर्जा) रहे। १९९८ में धमधा विधानसभा से पहली बार तथा 2003 में लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए। 2000 से 2003 तक राज्य विभाजन के बाद छत्तीसगढ़ सरकार में स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री रहे। 2008 में वें बेमेतरा विधानसभा से विजयी रहे। 2014 के लोकसभा के चुनाव में छग में कांग्रेस के एकलौते सांसद निर्वाचित हुए। कांग्रेस के संसदीय दल की कार्यकारिणी समिति में सदस्य साहू को संगठन में पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व भी सौंपा गया है।
रविंद्र चौबे
@patrika.रविंद्र चौबे दुर्ग संभाग से मंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार हैं। पहले अविभाजित मध्यप्रदेश और बाद में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद नगरीय प्रशासन, उच्च शिक्षा एवं जनसंपर्क मंत्री रहे। चौबे कांग्रेस से सातवीं बार चुनाव जीते हैं। वे १९८५ से २००८ तक लगातार छह बार चुनाव जीते। पिछली बार २०१३ में हार गए थे। अब एक बार फिर साजा की अपनी परंपरागत सीट भाजपा से हथिया ली है।
मोहम्मद अकबर
@patrika.छह बार चुनाव लड़ चुके मोहम्मद अकबर की यह चौथी जीत है। इससे पहले 1998 और २००३ में वीरेंद्र नगर तथा २००८ में पंडरिया से जीत दर्ज की थी। अब की बार २०१८ में कवर्धा से जीते हैं। वे १९९८ में अविभाजित मध्यप्रदेश और बाद में छग राज्य बनने के बाद खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री भी रहे। कांग्रेस ने उन्हें इस बार भाजपा सरकार को रोकने आरोप पत्र तैयार करने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी। उन्हें आरोप पत्र तैयार करने की समिति का संयोजक बनाया गया था।
अरुण वोरा
अविभाजित मध्यप्रदेश में वर्ष 1993 में पहली बार अपने पिता मोतीलाल वोरा के क्षेत्र दुर्ग से विधायक चुने गए। वर्ष 2000 में जोगी सरकार में राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2013 में दूसरी बार
और अब 2018 में तीसरी बार विधायक बने हैं। दुर्ग से लगातार छह बार चुनाव लडऩे का अनुभव। दिग्गज कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा के सुपुत्र होने के कारण मंत्री पद के सशक्त दावेदार माने जा रहे हैं।
गुरु रुद्र कुमार
@patrika.सतनामी समाज के गुरु हैं। 200८ में पहली बार आरंग से विधायक निर्वाचित हुए थे। इस बार २०१८ में एससी वर्ग के लिए ही आरक्षित अहिवारा से पार्टी ने उन्हें अवसर दिया और जीत भी दर्ज की। विधानसभा में सरकारी उपक्रम संबंधित समिति के सदस्य रहे। सतनामी समाज के गुरु घासीदास की छठवीं पीढ़ी के वंशज होने के कारण समाज विशेष को साधने के लिए उन्हें मंत्रीमंडल में स्थान दिया जा सकता है।
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