पर्क्स से कर्मचारी हैं दूर
1 जनवरी 2017 से वेतन समझौता लंबित है। पिछले वेतन समझौता में ग्रेच्युटी के सीलिंग से मुक्त रखने के नाम पर बीएसपी कर्मियों को अधिकारी की तर्ज पर पक्र्स से दूर किया गया। प्रबंधन ने ग्रेच्युटी में सीलिंग से आजादी या पक्र्स दो तरह का विकल्प दिया था। तब बीएसपी के अधिकारियों की ग्रेच्युटी पर सीलिंग 10 लाख थी, जिसको देखते हुए यूनियन ने ग्रेच्युटी में सीलिंग को स्वीकार नहीं किया। यह कर्मियों के हित में उस वक्त का फैसला था।
1 जनवरी 2017 से वेतन समझौता लंबित है। पिछले वेतन समझौता में ग्रेच्युटी के सीलिंग से मुक्त रखने के नाम पर बीएसपी कर्मियों को अधिकारी की तर्ज पर पक्र्स से दूर किया गया। प्रबंधन ने ग्रेच्युटी में सीलिंग से आजादी या पक्र्स दो तरह का विकल्प दिया था। तब बीएसपी के अधिकारियों की ग्रेच्युटी पर सीलिंग 10 लाख थी, जिसको देखते हुए यूनियन ने ग्रेच्युटी में सीलिंग को स्वीकार नहीं किया। यह कर्मियों के हित में उस वक्त का फैसला था।
हर दस साल में होता है रिवाइज
ग्रेच्युटी में सीलिंग को केंद्र सरकार हर 10 साल में रिवाइज करती है। 2018 में इसको रिवाइज किया गया। जिसके बाद केंद्र सरकार ने 10 लाख से बढ़ाकर अब २० लाख कर दिया है। नए कर्मचारी कह रहे हैं कि ग्रेच्युटी में सीलिंग जिन पर लागू है, उनको पक्र्स का लाभ देना चाहिए, लेकिन वह लाभ नहीं मिल रहा।
ग्रेच्युटी में सीलिंग को केंद्र सरकार हर 10 साल में रिवाइज करती है। 2018 में इसको रिवाइज किया गया। जिसके बाद केंद्र सरकार ने 10 लाख से बढ़ाकर अब २० लाख कर दिया है। नए कर्मचारी कह रहे हैं कि ग्रेच्युटी में सीलिंग जिन पर लागू है, उनको पक्र्स का लाभ देना चाहिए, लेकिन वह लाभ नहीं मिल रहा।
अफसरों को मिलता है 46 फीसदी पर्क्स
बीएसपी के अधिकारियों को एक ओर ग्रेच्युटी में सीलिंग से नुकसान हो रहा है। वहीं प्रबंधन बेसिक का 46 फीसदी पक्र्स देता है, जिससे उनके नुकसान की भरपाई हो जाए। इसके विपरीत जुलाई 2014 के बाद सेल में ज्वाइन करने वाले कर्मियों को न तो ग्रेच्युटी के सीलिंग से आजादी मिल रही है और न पक्र्स का लाभ मिल रहा है।
बीएसपी के अधिकारियों को एक ओर ग्रेच्युटी में सीलिंग से नुकसान हो रहा है। वहीं प्रबंधन बेसिक का 46 फीसदी पक्र्स देता है, जिससे उनके नुकसान की भरपाई हो जाए। इसके विपरीत जुलाई 2014 के बाद सेल में ज्वाइन करने वाले कर्मियों को न तो ग्रेच्युटी के सीलिंग से आजादी मिल रही है और न पक्र्स का लाभ मिल रहा है।
यूनियन चाहती है हटे ग्रेच्युटी से सीङ्क्षलग
बीएसपी में काम करने वाले करीब 1000 से अधिक कर्मचारी ऐसे हैं, जिनके ग्रेच्युटी पर सीलिंग लग रही है। यूनियनों ने चार्टर ऑफ डिमांड में साफ किया है कि उनको भी वे दूसरे कर्मियों के बराबर में लाकर खड़ा कर देंगे। यह मांग पूरी नहीं होती है, उस स्थिति में इन कर्मियों के नुकसान को कैसे दूर किया जाएगा, इसका जवाब नहीं है।
बीएसपी में काम करने वाले करीब 1000 से अधिक कर्मचारी ऐसे हैं, जिनके ग्रेच्युटी पर सीलिंग लग रही है। यूनियनों ने चार्टर ऑफ डिमांड में साफ किया है कि उनको भी वे दूसरे कर्मियों के बराबर में लाकर खड़ा कर देंगे। यह मांग पूरी नहीं होती है, उस स्थिति में इन कर्मियों के नुकसान को कैसे दूर किया जाएगा, इसका जवाब नहीं है।
पुराने बेसिक पर दिया जा रहा एचआरए
हाउस रेंट एलाउंस (एचआरए) भी जुलाई 2014 के पहले वाले कर्मचारियों को जिनको मिल रहा था, उनको एचआरए दिया जा रहा है। वह भी नए वेतन समझौता के दर पर नहीं दे रहे हैं। पुराने बेसिक के आधार पर 20 फीसदी दे रहे हैं। जिसको लेकर पुराने कर्मियों में असंतोष है। एनजेसीएस यूनियन प्रबंधन पर लगातार दबाव बना रही है कि नए वेतन समझौते के आधार पर एचआरए दिया जाए। यूनियन की मांग को प्रबंधन नहीं मान रही है।
हाउस रेंट एलाउंस (एचआरए) भी जुलाई 2014 के पहले वाले कर्मचारियों को जिनको मिल रहा था, उनको एचआरए दिया जा रहा है। वह भी नए वेतन समझौता के दर पर नहीं दे रहे हैं। पुराने बेसिक के आधार पर 20 फीसदी दे रहे हैं। जिसको लेकर पुराने कर्मियों में असंतोष है। एनजेसीएस यूनियन प्रबंधन पर लगातार दबाव बना रही है कि नए वेतन समझौते के आधार पर एचआरए दिया जाए। यूनियन की मांग को प्रबंधन नहीं मान रही है।
एचआरए से भी नए कर्मचारी महरूम
जुलाई 2014 के बाद ज्वाइन करने वाले सेल के नए कर्मचारियों को एचआरए तब तक नहीं दिया जाएगा, जब तक बीएसपी प्रबंधन मानता है कि टाउनशिप में उनके ग्रेड के मुताबिक मकान है। इस तरह बीएसपी प्रबंधन लगातार नए कर्मियों को अलग-अलग मकान दिखा रहा है और उस मकान को वेलकम स्कीम के तहत अपडेट करने की बात कह रहा है। एक-एक साल से कर्मचारी मकान का वेलकम स्कीम के मरम्मत व रंग-रोगन कर देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनको मकान तैयार होकर मिल ही नहीं रहा है। नए कर्मचारी इस बात से भी नाराज हैं।
जुलाई 2014 के बाद ज्वाइन करने वाले सेल के नए कर्मचारियों को एचआरए तब तक नहीं दिया जाएगा, जब तक बीएसपी प्रबंधन मानता है कि टाउनशिप में उनके ग्रेड के मुताबिक मकान है। इस तरह बीएसपी प्रबंधन लगातार नए कर्मियों को अलग-अलग मकान दिखा रहा है और उस मकान को वेलकम स्कीम के तहत अपडेट करने की बात कह रहा है। एक-एक साल से कर्मचारी मकान का वेलकम स्कीम के मरम्मत व रंग-रोगन कर देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनको मकान तैयार होकर मिल ही नहीं रहा है। नए कर्मचारी इस बात से भी नाराज हैं।
मिल रहा अधिकारियों का मकान
वहीं यूनियन दावा कर रही है कि उनका प्रयास ही था कि कर्मियों को अधिकारियों के मकान मिलने लगे हैं। नए कर्मियों को इसका कितना लाभ मिल रहा है, इसे उस ओसीटी के मामले से जाना जा सकता है, जो बुजुर्ग माता-पिता और दिव्यांग भाई के साथ टाउनशिप में ऊपर की मंजिल में रहता है, जहां पानी ही नहीं आता। यूनियन के दावे इस वजह से खोखले साबित होते हैं।
वहीं यूनियन दावा कर रही है कि उनका प्रयास ही था कि कर्मियों को अधिकारियों के मकान मिलने लगे हैं। नए कर्मियों को इसका कितना लाभ मिल रहा है, इसे उस ओसीटी के मामले से जाना जा सकता है, जो बुजुर्ग माता-पिता और दिव्यांग भाई के साथ टाउनशिप में ऊपर की मंजिल में रहता है, जहां पानी ही नहीं आता। यूनियन के दावे इस वजह से खोखले साबित होते हैं।
प्रबंधन पेंशन पर बढ़ा दे अशंदान
सेल के अधिकारियों के पेंशन में प्रबंधन का कंट्रीब्यूशन 9 फीसदी है। वहीं कर्मियों के पेंशन में प्रबंधन का अंशदान सिर्फ 6 फीसदी होता है। इसके पीछे भी प्रबंधन का तर्क यह रहता है कि ग्रेच्युटी में सीलिंग कर्मियों पर नहीं है और अधिकारियों पर है। इस वजह से उनको अधिक कंट्रीब्यूशन दे रहे हैं। नए कर्मियों के ग्रेच्युटी में प्रबंधन अगर सीलिंग लगाता है, तब उनके पेंशन पर भी अंशदान 9 फीसदी कर दे। यह मांग उठ रही है। प्रबंधन यहां अपने जाल में ही फसता नजर आ रहा है। नए कर्मियों की संख्या को लेकर यूनियनों में एक राय नहीं है, कोई इनकी संख्या 2000 से अधिक तो कोई 12 सौ के आसपास बता रहे हैं। दोनों ही अपने-अपने फायदा और नुकसान को सामने रखकर गणित बैठा रहे हैं।
सेल के अधिकारियों के पेंशन में प्रबंधन का कंट्रीब्यूशन 9 फीसदी है। वहीं कर्मियों के पेंशन में प्रबंधन का अंशदान सिर्फ 6 फीसदी होता है। इसके पीछे भी प्रबंधन का तर्क यह रहता है कि ग्रेच्युटी में सीलिंग कर्मियों पर नहीं है और अधिकारियों पर है। इस वजह से उनको अधिक कंट्रीब्यूशन दे रहे हैं। नए कर्मियों के ग्रेच्युटी में प्रबंधन अगर सीलिंग लगाता है, तब उनके पेंशन पर भी अंशदान 9 फीसदी कर दे। यह मांग उठ रही है। प्रबंधन यहां अपने जाल में ही फसता नजर आ रहा है। नए कर्मियों की संख्या को लेकर यूनियनों में एक राय नहीं है, कोई इनकी संख्या 2000 से अधिक तो कोई 12 सौ के आसपास बता रहे हैं। दोनों ही अपने-अपने फायदा और नुकसान को सामने रखकर गणित बैठा रहे हैं।
यूनियन नेताओं ने यह कहा – – सीटू के महासचिव डीवीएस रेड्डी ने बताया कि एनजेसीएस यूनियन ने नए कर्मियों के ग्रेच्युटी में सीलिंग को लेकर कोई दस्तखत नहीं किया है। यह प्रबंधन का अपना फैसला है। वेतन समझौते की बैठक में इस विषय पर चर्चा की जाएगी.
– इंटक के प्रवक्ता वंश बहादुर सिंह ने कहा कि नए कर्मियों के ग्रेच्युटी से सीलिंग हटाने की मांग चार्टर ऑफ डिमांग में की गई है। वेतन समझौता कम से कम 30 फीसदी मिनिमम ग्यारेंटेड बेनिफिट के साथ हो। यह प्रबंधन से मांग की जा रही है।
– इंटक के प्रवक्ता वंश बहादुर सिंह ने कहा कि नए कर्मियों के ग्रेच्युटी से सीलिंग हटाने की मांग चार्टर ऑफ डिमांग में की गई है। वेतन समझौता कम से कम 30 फीसदी मिनिमम ग्यारेंटेड बेनिफिट के साथ हो। यह प्रबंधन से मांग की जा रही है।
– छत्तीसगढ़ मजदूर संघ के महासचिव शेख महमूद ने कहा कि एनजेसीएस यूनियन ने 1 जुलाई 2014 में सेल के साथ वेतन समझौता में प्रबंधन यह क्लॉज लेकर आई थी कि नए कर्मियों की भर्ती होने पर उनके ग्रेच्युटी में सीलिंग रहेगा। जिसे यूनियन ने स्वीकार किया।