भिलाई

BREAKING : क्या राजीव दीक्षित की मौत के रहस्य से उठेगा पर्दा ? #PMO ने दिए जांच के आदेश

भारत स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव दीक्षित की मौत के रहस्य पर से पर्दा उठेेगा। प्रधानमंत्री कार्यालय से 8 साल पहले छत्तीसगढ़ भिलाई में हुई उनकी मौत की नए सिरे से जांच के आदेश दुर्ग पुलिस को दिए हैं।

भिलाईJan 23, 2019 / 03:05 pm

Satya Narayan Shukla

BREAKING : क्या राजीव दीक्षित की मौत के रहस्य से उठेगा पर्दा ? #PMO ने दिए जांच के आदेश

भिलाई@Patrika. स्वदेशी उत्पादों के प्रणेता एवं भारत स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव दीक्षित की मौत के रहस्य पर से पर्दा उठेेगा। प्रधानमंत्री कार्यालय से 8 साल पहले छत्तीसगढ़ भिलाई में हुई उनकी मौत की नए सिरे से जांच के आदेश दुर्ग पुलिस को दिए हैं। उस वक्त दीक्षित की मौत को हृदयघात की वजह बताई गई थी।
शव को बिना पोस्टमार्टम कराए ही अंतिम संस्कार के लिए गृहनगर भेज दिया
भारत स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे राजीव दीक्षित की 29-30 नवंबर 2010 की दरम्यानी रात को भिलाई के बीएसआर अपोलो अस्पताल में मौत हो गई थी। वे स्वदेशी उत्पादों के प्रणेता और देशभर में घूम-घूम कर स्वदेशी अपनाने व्याख्यान दिया करते थे। @Patrika.विदेशी कम्पनियों के उत्पादों के उपयोग का विरोध करने की बजह से उनकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बन गई थी। यही पहचान विदेशी बाजार के भारतीय व्यापारियों को आंख की किरकिरी की तरह चुभने लगी थी। छत्तीसगढ़ भिलाई प्रवास के दौरान हुई उनकी मौत पर तत्कालीन जिला प्रशासन की ओर से उनके शव को बिना पोस्टमार्टम कराए ही अंतिम संस्कार के लिए गृहनगर भेज दिया था। @Patrika.जांच की दिशा में इसे गंभीर चूक मानी जा रही है। अब जब प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली से दुर्ग पुलिस को मामले की नये सिरे से जांच का आदेश मिल गया है तो मौत के रहस्य पर से पर्दा उठने को बल मिल रहा है।
बाथरूम में गिर गए और अस्पताल नहीं जाने की जिद पर अड़े रहे
बता दें कि राजीव दीक्षित का व्याख्यान 29 नवंबर 2010 को अविभाजित दुर्ग जिले के बेमेतरा तहसील प्रांगण में सुबह 10 से दोपहर एक बजे तक आयोजित था। जहां से व्याख्यान खत्म करने के बाद वे भारत स्वाभिमान आंदोलन के दुर्ग निवासी पदाधिकारी दया सागर के साथ भिलाई के लिए कार से रवाना हुए। कार कन्हैया नामक ड्रायवर चला रहा था। @Patrika. रास्ते में राजीव दीक्षित को पसीने के साथ बेचैनी महसूस हुई। एलोपैथी चिकित्सा के धुर विरोधी रहे दीक्षित ने अस्पताल जाने के बजाय स्वदेशी दवाइयों से उपचार पर जोर दिया। भिलाई में अक्षय पात्र फाउंडेशन के पास उसी दिन शाम चार बजे से उनका व्याख्यान होना था। लेकिन तबीयत ठीक नहीं होने से वे दया सागर के दुर्ग स्थित निवास पहुंचे। यहां पर बाथरूम में वे गिर गए और अस्पताल नहीं जाने की जिद पर अड़े रहे।
भिलाई छत्तीसगढ़ के अपोलो अस्पताल में मौत
तबीयत बिगडऩे की जानकारी बाबा रामदेव तक पहुंची तो उन्होंने राजीव से फोन पर चर्चा कर अस्पताल जाने के लिए राजी कर लिया। उन्हें तत्काल भिलाई इस्पात संयंत्र के सेेक्टर नाइन अस्पताल ले जाया गाय। जहां डॉ. शशिकांत सक्सेना ने उनका प्रारंभिक उपचार किया। @Patrika. उन्होंने हृदयरोग से संबंधित बेहतर इलाज की सुविधा नहीं होने के चलते उन्हें बीएसआर अपोलो अस्पताल रेफर कर दिया। अपोलो अस्पताल में डॉ.दिलीप रत्नानी की देख-रेख में उपचार शुरू हुआ। रात एक से दो बजे के बीच राजीव दीक्षित की मौत हो गई। उस वक्त डॉ.रत्नानी ने उन्हें गंभीर हृदयाघात होने की जानकारी प्रशासन और मीडिया को दी थी। बाद में बिना पोस्टमार्टम कराए ही एक दिसंबर 2010 को दीक्षित का शव हवाई मार्ग से गृह नगर यूपी अलीगढ़ भेज दिया गया।
जन्मदिन को ही उनकी मौत हुई
राजीव दीक्षित का जन्म 30 नवंबर 1967 को हुआ था और वर्ष 2010 में जन्मदिन को ही उनकी मौत हो गई। उन्होंने 5 जनवरी 2009 को भारत स्वाभिमान आंदोलन का गठन किया था। इस आंदोलन के जरिए उन्होंने देश के लोगों में स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग करने लगातार प्रेरित किया। @Patrika.बाद में उन्होंने बाबा रामदेव के साथ मिलकर विदेशी कम्पनियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया था। जिससे वे मल्टीनेशनल कम्पनियों के अघोषित तौर पर निशाने में आ गये थे। इसके बाद भी उनकी मौत को सामान्य हृदयाघात बताकर शव का पोस्टमार्टम नहीं कराये जाने को गंभीर चूक मानी जा रही है। बताते हैं कि मौत के बाद उनका शव नीला पड़ गया था। @Patrika. मेडिकल साइंस के जानकार शव का नीला पडऩे को जहरखुरानी (स्लो पायजन) से जोड़कर देखते हैं।
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