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ये है CG की गोल्डन दादी, सात बच्चों की मां, 70 प्लस में दौडऩा शुरू किया, 8 मेडल जीते देश के नाम, जज्बे को सलाम

locationभिलाईPublished: Mar 18, 2019 02:56:14 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

74 साल की उम्र में रिटायर्ड बीएसपी कर्मी पति को देखकर खेल की दुनिया में कदम रखने वाली भिलाई की दादी ने महज चार साल में प्रदेश के नाम 8 गोल्ड और एक सिल्वर मैडल जीता है।

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ये है CG की गोल्डन दादी, सात बच्चों की मां, 70 प्लस में दौडऩा शुरू किया, 8 मेडल जीते देश के नाम, जज्बे को सलाम

दाक्षी साहू @भिलाई. उम्र चाहे जो भी हो हौसला बुलंद हो तो इंसान दुनिया जीत सकता है। इस बात को छत्तीसगढ़ की सबसे उम्रदराज गोल्डन वुमन रूखमणी नशीने ने सच कर दिखाया। 74 साल की उम्र में रिटायर्ड बीएसपी कर्मी पति को देखकर खेल की दुनिया में कदम रखने वाली भिलाई की दादी ने महज चार साल में प्रदेश के नाम 8 गोल्ड और एक सिल्वर मैडल जीता है। बढ़ती उम्र का हवाला देकर जिंदगी से निराश हो चुकी आधी आबादी के लिए मिसाल है। आमतौर पर साड़ी पहनकर रोजाना सड़कों पर दौडऩे वाली दादी जब लोवर टी-शर्ट पहनकर रनिंग ट्रैक पर उतरती है तो देश के नाम मेडल जीतकर ही दम लेती है।
15 सौ मीटर की रेस में 10.15 मिनट बेस्ट टाइमिंग

मास्टर एथलीट रूखमणी कहती है कि मन के हारे हार है मन के जीते जीत। जिंदगी की तरह ही रनिंग में भी समय का सबसे ज्यादा महत्व है। मन के साथ मैदान जीतने के लिए कोच पति की बात मानकर पूरा जोर 15 सौ मीटर दौड़ में टाइमिंग सुधारने में लगाया। कभी 11.50 मिनट में 15 सौ मीटर फिनिश लाइन छूने वाली दादी अब 10.15 मिनट के बेस्ट टाइमिंग के साथ दौड़ पूरी करती है।
गोल्डन वुमन की सेहत का राज, दो केला और एक गिलास दूध

77 साल की रूखमणी निशाने रोजाना चार किमी. दौड़ लगाती है। अपनी अच्छी सेहत का राज बताते हुए कहती है कि वह दो केला और एक गिलास दूध पीती है। इसके अलावा प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले हरी सब्जियों और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा करती हैं। मास्टर एथलीट के रूप में अब तक देहरादून, मैसूर, हैदराबाद, बंग्लुरू में शिरकत कर चुकी है। हर प्रतियोगिता में पति भुवन लाल निशाने भी साथ रहते हैं। हाल ही में उत्तराखंड के देहरादून में हुए नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर लौटी है।
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पति और बच्चों ने बढ़ाया उत्साह, नजीता दुनिया के सामने

बुढ़ापे में दिन गिनने वालों को जवाब देते हुए दादी कहती है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती चाहे वो जीवन का सबक हो या फिर खेल। महिला होने के नाते 7 बच्चों की परवरिश और भरा-पूरा परिवार संभालने वाली मास्टर एथलीट की प्रेरणा कोई और नहीं बल्कि उनका परिवार है। बीएसपी के रेल मिल में सेवा देन के बाद पति ने रायपुर जिले के रीवा लखोली गांव का रूख किया तो बच्चों ने गांव में दौडऩे के लिए उत्साह बढ़ाया। जिसका नतीजा दुनिया के सामने है। युवाओं को संदेश देते हुए दादी कहती है कि महिला चाहे तो परिवार के साथ-साथ देश चला सकती है। उम्र इस बात में बाधक नहीं बनता। बस जरूरत है दृढ़ इच्छाशक्ति की।
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