दूसरे डॉक्टर द्वारा सुरक्षित डिलिवरी कराने के बाद महिला सहित परिजन की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। नवजात की किलकारी के साथ ही परिजन के चेहरों पर खुशी की मुस्कान बिखर गई।
आश्चर्य किंतु सत्य : डॉक्टर ने जिसे मृत बताया वह इस दुनिया में जीवित आया, मां भी स्वस्थ्य
राजनांदगांव. धरती के भगवान कहे जाने वाले एक डॉक्टर का असंवेदशील मामला सामने आया है। ऐसे ही एकाध डॉक्टरों की करतूत के कारण यह पुण्य का पेशा बदनाम हो जाता है। ताजा मामला राजनांदगांव जिले के चिचोला के पास एक गांव का है। जहां के निर्दयी डॉक्टर ने गर्भवती महिला को यह कहकर डरा दिया था कि बच्चा पेट में मर गया है। यह सुनते ही गर्भवती महिला सहित परजिन के होश उड़ गए। परिजन ने इस विपत्ति परिस्थिति में धैर्य का परिचय देते हुए दूसरे डॉक्टर की ओर रूख करना उचित समझा। दूसरे डॉक्टर द्वारा सुरक्षित डिलिवरी कराने के बाद महिला सहित परिजन की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। नवजात की किलकारी के साथ ही परिजन के चेहरों पर खुशी की मुस्कान बिखर गई।
चिकित्सकों ने कहा कि मेजर अॅापरेशन कर बच्चा निकालना पड़ेगा चिचोला के पास बाबूटोला की रहने वाली गर्भवती महिला लीला बाई पति मालिक राम सिन्हा (28 साल) को यहां मेडिकल कॅालेज अस्पताल में प्रसव पीड़ा होने पर भर्ती कराया गया था। यहां के चिकित्सकों ने परीक्षण के बाद यह कह दिया कि मां के पेट में बच्चा मर गया है , मेजर अॅापरेशन कर बच्चा निकालना पड़ेगा। आपरेशन थियेटर में ले जाने के बाद परिजनों से कहा गया कि जच्चा को हार्ट की तकलीफ है, उसे हायर सेंटर ले जाना होगा। यहां के सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों ने रायपुर मेकाहारा रेफर कर दिया।
निजी अस्पताल में गूंजी किलकारी इसके बाद परिजन ने इसे नियति का खेल मानकर रायपुर जाने के बजाए शहर के एक निजी नर्सिंग होम साईं कृपा अस्पताल ले गए। अब देखिए ऊपर वाले का करिश्मा यहां के चिकित्सकों ने ऐसा चमत्कार दिखाया कि साढ़ें तीन किलो का नवजात न सिर्फ इस दुनिया में जीवित आया बल्कि सामान्य डिलिवरी कराकर जच्चा को भी नया जीवन दे दिया। इसीलिए डॉक्टरों को धरती का भगवान माना जाता है। नवजात का पिता मालिक राम निम्न सामान्य वर्ग का है। वह पेशे से मिस्त्री है।
नवजात अभी डॉक्टरों की निगरानी में बताया जाता है कि नवजात की गर्भ में मौत नहीं हुई थी बल्कि इंफेक्शन हो गया था। इंफेक्शन की वजह से उसका रंग नीला पड़ गया था, जिसे डॉक्टरों मे मृत समझ लिया था। डिलिवरी के नवजात को कुछ समय तक वेंटीलेटर में रखा गया। इसके बाद नवजात का रंग धीरे-धीरे सामान्य और पूरी तरह गुलाबी होने के बाद मां के साथ उच्च चिकित्सा सुविधा और सुरक्षा के लिहाज से राजनांदगांव के ही स्पर्श चाइल्ड केयर सेंटर में भर्ती कराया गया है। जहां जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित है।