सिंथेटिक रुई का किया जा रहा उपयोग
इस कलाकृति में सिंथेटिक रुई का उपयोग किया जा रहा है। इसके साथ-साथ थर्माकोल का इस्तेमाल भी बड़े पैमाने में किया जा रहा है। कलाकारों के मुताबिक इस काम को 15 लोगों की टीम मिलकर पूरा कर रही है। यह कलाकार पिछले एक माह से इसे तैयार करने में जुटे हैं।
इस कलाकृति में सिंथेटिक रुई का उपयोग किया जा रहा है। इसके साथ-साथ थर्माकोल का इस्तेमाल भी बड़े पैमाने में किया जा रहा है। कलाकारों के मुताबिक इस काम को 15 लोगों की टीम मिलकर पूरा कर रही है। यह कलाकार पिछले एक माह से इसे तैयार करने में जुटे हैं।
भीतर होंगी 14 आकृति
इस झांकी को इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि इसमें सीढ़ी से लोग ऊपर तक जा सकेंगे। जिसमें १४ आकृतियां होंगी। दूर से यह देखने में और अधिक आकर्षित इस वजह से लगेंगी, क्योंकि इसकी काया पूरी तरह से सफेद रंग से तैयार की जा रही है। कलाकार इस कार्य में दूसरे रंग का इस्तेमाल नहीं के बराबर कर रहे हैं।
14 की शाम से भक्त देख सकेंगे इसे
इस झांकी को इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि इसमें सीढ़ी से लोग ऊपर तक जा सकेंगे। जिसमें १४ आकृतियां होंगी। दूर से यह देखने में और अधिक आकर्षित इस वजह से लगेंगी, क्योंकि इसकी काया पूरी तरह से सफेद रंग से तैयार की जा रही है। कलाकार इस कार्य में दूसरे रंग का इस्तेमाल नहीं के बराबर कर रहे हैं।
14 की शाम से भक्त देख सकेंगे इसे
पूजा का यह 57 वां साल
सार्वजनिक दुर्गा उत्सव कमेटी के अध्यक्ष उज्जवल दत्ता और महासचिव कबीर साहू ने बताया कि पूजा का यह 57 वां साल है। हर साल लोगों के सामने कुछ नया पेश करने की कोशिश होती है। इस बार सफेद बहाड़ और ऊसमें भगवान कृष्ण का दर्शन भक्त कर पाएंगे। 14 अक्टूबर की शाम से इसे लोगों के लिए खोला जाएगा। पहाड़ चढऩे के बाद भीतर में भगवान के अलग-अलग रूप को दर्शाया जाएगा।
सार्वजनिक दुर्गा उत्सव कमेटी के अध्यक्ष उज्जवल दत्ता और महासचिव कबीर साहू ने बताया कि पूजा का यह 57 वां साल है। हर साल लोगों के सामने कुछ नया पेश करने की कोशिश होती है। इस बार सफेद बहाड़ और ऊसमें भगवान कृष्ण का दर्शन भक्त कर पाएंगे। 14 अक्टूबर की शाम से इसे लोगों के लिए खोला जाएगा। पहाड़ चढऩे के बाद भीतर में भगवान के अलग-अलग रूप को दर्शाया जाएगा।