किसान गोपाललाल जाट का कहना है, कई साल की मेहनत के बाद अब चीकू ने उम्मीद बढ़ा दी। कुछ साल पहले २५० पौधे लगाए थे। अब हर पेड़ पर १०० से १५० किलो फल आ रहे हैं। इनकी पैदावार व गुणवत्ता बेहतर है। इंटर क्रॉपिंग पद्धति से किसान इन पौधों के बीच अन्य मौसम आधारित फसलें ले सकता है। चीकू स्थानीय मंडी में बिकने जा रहे हैं। गोपाल ने इनकी तुड़ाई का काम ठेके पर दिया है।
ट्रांसपोर्ट नगर के पास जोधामंडल निवासी गोपाल का कहना है कि शुरू में काफी मेहनत करनी पड़ी। अब देखभाल से काम चल जाता है। इस काम को उसका भाई राजू देखता है। जाट ने बताया, 62 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से गुजरात से मंगवाए थे। कुछ पौधे खराब हो गए। एक दो वर्ष बीच में फल कम आया लेकिन अब बराबर लग रहे हैं। इसमें न ज्यादा पानी की जरूरत है न दवा या खाद की। पौधे बड़े होने के बाद मेहनत नहीं है। ये कई साल फल देते हैं। मालूम हो, अभी चीकू के थोक में भाव ४० से ४५ रुपए प्रति किलो हैं।
ट्रांसपोर्ट नगर के पास जोधामंडल निवासी गोपाल का कहना है कि शुरू में काफी मेहनत करनी पड़ी। अब देखभाल से काम चल जाता है। इस काम को उसका भाई राजू देखता है। जाट ने बताया, 62 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से गुजरात से मंगवाए थे। कुछ पौधे खराब हो गए। एक दो वर्ष बीच में फल कम आया लेकिन अब बराबर लग रहे हैं। इसमें न ज्यादा पानी की जरूरत है न दवा या खाद की। पौधे बड़े होने के बाद मेहनत नहीं है। ये कई साल फल देते हैं। मालूम हो, अभी चीकू के थोक में भाव ४० से ४५ रुपए प्रति किलो हैं।
वर्जन
भीलवाड़ा में चीकू होने की बात सुनकर आश्चर्य हुआ। कई लोगों शौकिया घरों में पौधे लगाते हैं। चार बीघा में चीकू के पौधे लगाना व फल लेना अच्छी बात है। खेत का टीम के साथ निरीक्षण करेंगे। अगर यहां चीकू हो सकते हैं तो इसकी योजना बनाई जाएगी।
रामकिशोर मीणा, उपनिदेशक उद्यानिकी भीलवाड़ा
भीलवाड़ा में चीकू होने की बात सुनकर आश्चर्य हुआ। कई लोगों शौकिया घरों में पौधे लगाते हैं। चार बीघा में चीकू के पौधे लगाना व फल लेना अच्छी बात है। खेत का टीम के साथ निरीक्षण करेंगे। अगर यहां चीकू हो सकते हैं तो इसकी योजना बनाई जाएगी।
रामकिशोर मीणा, उपनिदेशक उद्यानिकी भीलवाड़ा