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भीलवाड़ा के एक मंदिर में चल रही थी नेताओं के साथ एक बैठक, मीडिया देख छुपा लिए मुंह

locationभीलवाड़ाPublished: Feb 09, 2020 05:31:01 pm

Submitted by:

jasraj ojha

patrika.com/rajsthan news

भीलवाड़ा के एक मंदिर में चल रही थी नेताओं के साथ एक बैठक, मीडिया देख छुपा लिए मुंह

भीलवाड़ा के एक मंदिर में चल रही थी नेताओं के साथ एक बैठक, मीडिया देख छुपा लिए मुंह


भीलवाड़ा. नगर परिषद में लंबे समय बाद हो रही निविदा में गड़बड़ी की शिकायतें हुई है। शनिवार को ही राजस्थान पत्रिका ने ‘अफसरों ही शह: परिषद में ठेकेदारों का गठबंधन Ó शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। उधर, शनिवार को ही दिन में सूचना मिली कि शहर के निकट चामुंडा माता मंदिर की पहाड़ी पर शहर के कुछ पार्षद, अन्य जनप्रतिनिधि व नगर परिषद के ठेकेदार निर्माण कार्यों को लेकर आपस में काम बांट रहे हैं। इसकी सूचना पर मीडियाकर्मी चामुंडा माता मंदिर पहुंचे। मीडियाकर्मियों को देखते ही वहां मौजूद नगर परिषद के कुछ जनप्रतिनिधि व अन्य पार्षद वहां से भाग छूटे। कई ठेकेदार भी थे जो इधर-उधर दीवारे फांदकर भागने लगे। वहीं मीडिया को देखकर कई ठेकेदारों ने अपने मुंह छिपा लिए। सवाल यह है कि जब नगर परिषद के निर्माण कार्यों की निविदा में कोई गड़बड़ नहीं है तो इस सरकारी प्रक्रिया को लेकर क्या तथ्य छिपाए जा रहे हैं और वहां से क्यों भागे। इसमें गलत नहीं है तो फिर डरने की भी कोई जरुरत नहीं होनी चाहिए। उधर, इस मामले की शिकायत स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक उज्ज्वल राठौड़ को भी की गई है। इसमें कहा है कि नगर परिषद की इस निविदा में जिन लोगों ने ऑनलाइन कॉपी डाली उन्हें निर्धारित समय तक डीडी जमा नहीं कराने दिया और काम को आपस में बांट लिया।
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सीसी सड़क व नाली क्रॉसिंग सहित कई प्रमुख काम
नगर परिषद में सात फरवरी को निविदा की डीडी जमा कराने की अंतिम तारीख थी। परिषद में १०९५.५० लाख रुपए की लागत से ४३ कार्यों की निविदा की गई थी। इसमें पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बावजूद अफसरों व कुछ पार्षदों की शह से ठेकेदारों ने गठजोड़ कर आपस में काम बांट लिए। इसमें बीएसआर दर की पालना भी नहीं की जा रही है। इससे राजकोष को भी नुकसान होगा। सूत्रों के अनुसार, जितनी ऑनलाइन कॉपी डाली, उतनी डीडी जमा नहीं की गई है।
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निविदा में जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर सवाल
नगर परिषद की इस निविदा में जनप्रतिनिधियों की भूमिका होने से पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है। सवाल यह है कि जब पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है तो निर्माण शाखा के बाहर पार्षदों व अन्य जनप्रतिनिधियों का सक्रिय क्यों हुए हैं। यही नहीं, पत्रिका में समाचार प्रकाशन के बाद नगर परिषद की जगह मंदिर पर ठेकेदार व जनप्रतिनिधियों की बैठक करने से इस निविदा पर संदेह और बढ़ गया है। इसमें नगर परिषद की ओर से जो निर्धारित बजट है उससे बिलो रेट में निविदा नहीं जाए इसलिए एेसा किया जाता है।
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निदेशक को शिकायत
कुछ लोगों ने स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक को शिकायत की है। इसमें सभापति व आयुक्त पर भी इस प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरतने का आरोप लगाया है। इस शिकायत में लिखा है कि डीएलबी की ऑनलाइन निविदा से विपरित जाकर निविदा के साथ स्केन डीडी (धरोहर राशि) को नहीं मानते हुए वर्तमान में मौके पर डीडी जमा होने वाली डीडी की निविदा को ही खोला जा रहा है। एेसे में इस निविदा प्रक्रिया की जांच कराई जाने की मांग की है।
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नगर परिषद में हो रही निविदा में पूरी पारदर्शिता है। अधिकारियों को भी निर्देश दिए हैं कि निविदा में भाग लेना सबका अधिकार है। किसी को रोका नहीं जाएगा। शहर में विकास को गति देने के लिए निविदा प्रक्रिया जरूरी है।
मंजू चेचाणी, सभापति नगर परिषद
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