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bhilwara holi दो साल बाद दिखाई दी होली की धूम

locationभीलवाड़ाPublished: Mar 18, 2022 12:00:20 pm

After two years, the glory of Holi appeared पन्द्रह दिवसीय होली महापर्व का आगाज गुरुवार को शहर एवं जिलें में होलिका दहन के भव्य आयोजनों के साथ हुआ। कोरोना संकट से जुझे शहर में दो साल बाद होली की धूम शहर से लेकर गांवों तक में नजर आई। शहर की विभिन्न कॉलोनियों, बाजार एवं चौराहों पर होलिका दहन के कार्यक्रम ढोल नगाड़े, डीजे व आतिशबाजी के बीच हुए।

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भीलवाड़ा। पन्द्रह दिवसीय होली महापर्व का आगाज गुरुवार को शहर एवं जिलें में होलिका दहन के भव्य आयोजनों के साथ हुआ। कोरोना संकट से जुझे शहर में दो साल बाद होली की धूम शहर से लेकर गांवों तक में नजर आई। शहर की विभिन्न कॉलोनियों, बाजार एवं चौराहों पर होलिका दहन के कार्यक्रम ढोल नगाड़े, डीजे व आतिशबाजी के बीच हुए। शहर मेंं इस बार कांटों के बजाए गोबर के कंडे के होलिकाओं का दहन अधिक हुआ। इस दौरान जिले में पुलिस बल मुस्तैद रहा । पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने भी शांति एवं कानून व्यवस्था पर नजर रखी। शुक्रवार को धुलंडी पर्व पर होली खेली जा रही है। कॉलोनियों में विकास समितियां भी आज सुबह से रंगों व गुलाल की होली खेल रही है। After two years, the glory of Holi appeared in bhilwara
घर में सुख समृद्धि के लिए जलाई गेंहूं की बालिया

भीलवाड़ा शहर के कई स्वयंसेवी व सामाजिक संगठनों ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए गोबर के कंडों से निर्मित वैदिक होलिका का दहन किया। ताकि पेड़ बचाकर पर्यावरण संवर्धन हो सके। शहर में करीब ६५ से अधिक स्थानों पर इस बार नौ गांवा माधव गोशाला से तैयार गोबर के कंडों से होली तैयार की थी। शाम को शुभ मुहुर्त में होली का दहन किया। संयोजक गोविंद सोडाणी ने बताया कि शहर में इस बार वैदिक होली को लेकर काफी उत्साह रहा। इस दौरान महिलाओं ने होलिका की पूजा अर्चना की तथा उसे ठंडा किया। शुक्रवार को धुलंडी रंगो का पर्व मनाया जाएगा।
रोडवेज बस स्टैण्ड के पास स्थित अग्रवाल समाज सम्पत्ति ट्रस्ट के तत्वावधान में अग्रवाल नवयुवक मंडल ने दस हजार कंडों से तैयार होली का दहन अग्रवाल उत्सव भवन में किया। इस दौरान मदन लाल अग्रवाल, राकेश अग्रवाल, रामगोपाल अग्रवाल, ललित अग्रवाल, रूपा परसरामपुरिया ने पूजा कर होलिका दहन किया। इसी प्रकार शहर के विभिन्न स्थानों पर भी कंडों को जलाकर पर्यावरण संरक्षण व गोसंवर्धन का संदेश दिया। शहर के हर चौराहे व गलि मोहल्ले में होलिका दहन किया गया। कोरोना के दो साल बाद होलिका दहन पर सभी जगह पर खासी भीड़ देखने को मिली। हालांकि पिछले साल होली के बाद कोरोना ने फिर से रफ्तार पकड़ी थी। वही वर्ष २०२१ में होली व शीतला अष्टमी के बाद ही कोरोना का असर देखने को मिला था। होली से आठ दिन से पहले से होलाष्टकहोली का त्यौहार हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है। होली से आठ दिन से पहले से होलाष्टक शुरू हो जाता है। होलिका दहन से पहले युवाओं ने लकड़ियां इकट्ठा किया। होली की पूजा का खास महत्व इसीलिए होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस रात देवी देवताओं की शक्तियां जागृत रहती हैं. महिलाओं ने की पूजा
होलिका दहन स्थल पर महिलाएं नए वस्त्र पहनकर झुंड के रूप में आई। महिलाओं ने पूजा कर सूत लपेटकर ७ चक्कर लगाकर अपनी अलग-अलग मनोकामनाएं मांगी। युवतियों ने गोबर से निर्मित उपलों का प्रयोग किया। लोग होलिका जलने के बाद अग्नि को घर में लेकर गए। ऐसा इसीलिए किए जाते हैं ताकि घर में सुख समृद्धि आए। पंडित अशोक व्यास के अनुसार इस अग्नि या राख को घर पर लाने से कारोबार में लाभ और घर में बरकत आती है।
गेहूं की बालियां जलाई व कुछ ने डाली घर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना के लिए होलिका दहन में गेहूं की बालियां भी डाली या उसे सेंक कर अपने घर ले गए। पंडि़त अशोक व्यास ने बताया कि होली पूजा की अग्नि में गेंहू की बालियां चढ़ाकर सबसे पहली धान की फसल को भगवान को भेंट करते हैं। होलिका अग्नि में गेंहू की बालियों की आहुति का विशेष महत्व है। उन्होंने बताया कि होली की अग्नि में ७ बालियों की आहुति दी जाती है। ७ बालियों के पीछे का अर्थ ये है क्योंकि ७ अंक शुभ माना जाता है। इसीलिए सप्ताह में ७ दिन, विवाह में ७ फेरे लेने की परंपरा है. यही वजह है कि होलिका दहन में ७ बालियां होलिका में डाली गई। बाजारों में बालियां की जमकर खरीदारी हुई। सब्जी मंडी, सूचना केन्द्र चौराहे पर १०-१० बालिया १० रुपए में बिकी।्रम ढोल नगाड़े, डीजे व आतिशबाजी के बीच हुए। शहर मेंं इस बार कांटों के बजाए गोबर के कंडे के होलिकाओं का दहन अधिक हुआ। इस दौरान जिले में पुलिस बल मुस्तैद रहा । पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने भी शांति एवं कानून व्यवस्था पर नजर रखी। शुक्रवार को धुलंडी पर्व पर होली खेली जाएगी। कॉलोनियों में विकास समितियों ने भव्य आयोजनों की तैयारी कर रखी।
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