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अंधविश्वास का खेल, भटकती आत्मा को ले जाने 30 साल बाद अस्पताल पहुंचे परिजन

locationभीलवाड़ाPublished: May 07, 2019 04:59:05 pm

टक रही आत्मा की शांति के लिए परिजन करीब 30 साल बाद सोमवार को महात्मा गांधी चिकित्सालय पहुंचे।

ajab Gajab Rajasthan
भीलवाड़ा। भटक रही आत्मा की शांति के लिए परिजन करीब 30 साल बाद सोमवार को महात्मा गांधी चिकित्सालय पहुंचे। अस्पताल में पुलिस चौकी के ठीक सामने करीब एक घंटे तक तांत्रिक क्रियाएं और हवन के नाम पर अंधविश्वास का यह खेल चलता रहा।
एक दर्जन से अधिक परिजन एकत्र हुए, ढोल बजता रहा, गोबर के कंडे जलाकर मृत आत्मा की ज्योत ली गई। महिलाओं व पुरुषों को ‘भाव’ आए। भीड़ तमाशबीन होकर खड़ी रही। हालांकि कुछ समय बाद चौकी से पुलिसकर्मी पहुंचे, लेकिन उन्हें वहां से हटवा नहीं सके। चिकित्सलय प्रशासन ने भी इस घटनाक्रम पर आपत्ति नहीं जताई गई। एक परिवार ज्योत लेकर गया, तो दूसरा आ गया फिर तीसरा।
यह है मान्यता
माना जाता है कि अस्पताल में किसी की असमय मौत के बाद परिवार के लोग उसी जगह से ज्योत लेने आते हैं। लोगों का मानना है कि जिसकी मौत हुई, उसकी आत्मा को घर तक नहीं पहुंचाने पर वह परिवार को परेशान करती है। ढोल के साथ ज्योत घर ले जाकर आत्मा की शांति की जाती है।
उठाते हैं खतरा
ज्योत को घर तक ले जाने के लिए परिजन खतरा मोल लेने से भी नहीं चूकते हैं। जलती हुई ज्योत को वाहन के अन्दर रखा जाता है। उसके चारों ओर परिजन बैठ जाते हैं। वाहन के दरवाजों को भी खुला रखा जाता है। एेसे में आग लगने व परिजनों के गिरने का खतरा भी रहता है।
पहुंच जाते हैं वार्ड के अंदर तक
अस्पताल के बाहर ही नहीं, कई बार परिजन आत्मा को ले जाने के नाम पर वार्ड के अंदर तक ढोल बजाते हुए पहुंचकर धुआं कर देते हैं। इससे मरीजों की परेशानी बढऩे के साथ ही दहशत फैल जाती है।

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