script

गोशालाओं के लिए लेनी होगी प्रदूषण विभाग से स्वीकृति

locationभीलवाड़ाPublished: Nov 12, 2021 09:03:57 am

Submitted by:

Suresh Jain

लगाना होगा ट्रीटमेंट प्लांट, आबादी क्षेत्र से 100 मीटर दूर खुलेगी

गोशालाओं के लिए लेनी होगी प्रदूषण विभाग से स्वीकृति

गोशालाओं के लिए लेनी होगी प्रदूषण विभाग से स्वीकृति

भीलवाड़ा।
प्रदेश में अब फैक्ट्रियों के संचालन के लिए जरूरी नियम-कायदे गोशालाओं के लिए भी लागू होंगे। गोशाला व डेयरी फार्म संचालन के लिए प्रदूषण विभाग से स्वीकृति लेनी होगी। इसके बिना इनका संचालन संभव नहीं होगा। इनमें वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाना होगा। गोशाला शहर व गांवों के आबादी इलाके से 100 मीटर दूर ही खोल पाएंगे। वहीं डेयरी फार्म गांव में तालाब, नदी, झील व अस्पताल से 200 मीटर दूरी पर ही खोल सकेंगे।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन की अनुपालना के बाद ही गोशाला व डेयरी फार्म संचालन की स्वीकृति मिल पाएगी। डेयरी फार्म व गोशालाओं का निगम, निकाय व पंचायत में रजिस्ट्रेशन भी करवाना होगा। हर छह माह में ऑडिट करना भी अनिवार्य होगा, जो विभाग के सेट फार्म के आधार पर होगी। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल अब शहर व आसपास के इलाकों में बनी गोशालाओं व डेयरियों का सर्वे करेगा, ताकि उन्हें कंसेंट मैनेजमेंट में शामिल किया जा सके। दरअसलए प्रदेश की सभी गोशाला व डेयरी फार्म संचालकों को एनजीटी के आदेश पर कंसेंट यानी परमिशन लेनी अनिवार्य है। जुलाई 2021 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने गाइडलाइन जारी की थी। अब यह राज्य स्तर पर लागू हो रही है।
गोशालाओं से निकलने वाले पानी से प्रदूषण फैलने की जताई थी आशंका
गाय के गोबर से लेकर गोमूत्र तक काम आता है। इससे वायु प्रदूषण भी नहीं फैलता। लेकिन एनजीटी ने गोशालाओं से निकलने वाले पानी से प्रदूषण फैलने की आशंका जताई है। उसके मुताबिक गोमूत्र व गोबर के साथ गोशाला से निकलने वाला पानी दूषित होता है। गोशालाओं में पानी निकासी का सिस्टम नहीं है, खुले में ही कीचड़ के साथ फैल जाता है। कहीं-कहीं पानी निकासी की नाली है, लेकिन उनसे भी यह गोबर व गोमूत्र मिश्रित पानी से प्रदूषण होता है।
ट्रीटमेंट प्लांट से साफ हुआ पानी पुन: काम आ सकेगा
गाइडलाइन के अनुसार गोशालाओं व डेयरी फार्म पर दूषित पानी को नाली में बहाने पर रोक रहेगी। इन्हें अब ट्रीटमेंट प्लांट लगाना होगा ताकि गंदे पानी का ट्रीटमेंट हो सके और उसे पशुओं के नहाने या अन्य कार्यों में री यूज किया जा सके। इसके अलावा गोबर भी खुले में रखने की बजाए बायोगैस प्लांट, वर्मी कंपोस्ट के माध्यम से खाद बनाने में दिए जा सकेंगे।
सर्वे के लिए लिखा पत्र
एनजीटी और केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड के निर्देश पर गोशालाओं और डेयरी फार्म को राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल से अब अनुमति लेनी होगी। सर्वे के लिए नगर निकायों व जिला परिषद को पत्र लिखा है।
महावीर मेहता, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण मंडल

ट्रेंडिंग वीडियो