अनाग्रही बन करें यथार्थ का साक्षात्कार-आचार्य महाश्रमण
पंच महाभूत हैं पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश
अनाग्रही बन करें यथार्थ का साक्षात्कार-आचार्य महाश्रमण
भीलवाड़ा।
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि इस जगत में पंच महाभूत होते हैं। ये पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश हैं। इसके संयोग से ही एक चैतन्य आत्मा देह का निर्माण होता है। इनके विनाश से ही उस देह का नाश भी हो जाता है। इन भौतिक तत्वों का योग ही शरीर है। इसका कठोर भाग पृथ्वी, शरीर में स्थित द्रव जल, शरीर में व्याप्त उष्णता अग्नि, चलन क्षमता वायु और पोला आकाश का प्रतिनिधित्व करता है। इस शरीर में पांच इन्द्रियां और मन भी होते हैं। इन्हीं पांच इन्द्रियों और मन के माध्यम से आदमी ज्ञान प्राप्त करता है। जीवन में यथार्थ का साक्षात्कार करना हो तो आदमी को दुराग्रही नहीं बनना चाहिए। आदमी को सच्चाई जानने के लिए आंखें खुली रखनी चाहिए। अनाग्रह की चेतना सच्चाई की ओर ले जाने वाली हो सकती है। समणी कमलप्रज्ञा ने आचार्य के समक्ष अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति देते हुए गीत के माध्यम से आचार्य की वंदना की। बालमुनि रत्नेशकुमार व उनकी संसारपक्षीया माता ममता प्रकाश बुरड़ ने आचार्य से अठाई की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।
टीपीएफ की ओर से द्वितीय राष्ट्रीय आर्किटेक्ट व इंजीनियर्स कान्फ्रेंस बिल्ड योर बेस्ट किया गया। अध्यक्ष राकेश सुतरिया ने बताया कि आचार्य ने आर्किटेक्ट व इंजीनियर्स से कहा कि मकान निर्माण की तरह की जीवन के निर्माण के लिए मास्टर प्लान होना चाहिए। चातुर्मास प्रवास परिसर में लाडनूं निवासी 91 वर्षीया चांदकंवर सुराणा की मंगलवार सुबह वैंकुठी यात्रा से पूर्व आचार्य ने मंगल पाठ सुनाया।