इस मामले में पंडित सीताराम का कहना है कि उसने विगत 40 सालों से शंख विज्ञान पर रिसर्च की है। लोगों को उसने भारतीय संस्कृति में शंख की मान्यता पर जागरूक भी किया है। वहीं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी आजाद चौक में एक शंख भेंट किया है। ना मालूम क्यों पिछले दो दिनों से वन विभाग की टीम मेरे घर पर छानबीन कर रही है। वे मेरे घर में कछुआ और शेर की खाल की तलाश में छानबीन कर रहे हैं। मैंने अपना घर उन्हें पूरा सर्च करवा दिया है। जो शंख मेरे घर में मिले हैं, उनमें से चार शंख भारत सरकार ने बैन रखे हैं, तो उन पर मैंने लिख रखा है कि वे बिक्री के लिए नहीं है। इनसे मैं जनजागृति पैदा करता हूं। मुझ पर द्वेषतापूर्ण कार्रवाई की गई है। मैंने तो कानून और पुलिस का सहयोग करते हुए अपने घर की तलाशी करवाई है।
समुद्री जीवों के कंकाल के व्यापार का आरोप
उधर, भीलवाड़ा के सहायक वन संरक्षक बलराम शर्मा का कहना है कि हमें सूचना मिली कि भीलवाड़ा में एक एस्ट्रोलॉजर समुद्री जीवों के कंकाल का व्यापार करते हैं। ये वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एकट 1972 के तहत अवैध है। हमें यहां तलाशी में कई समुद्री जीवों के कंकाल मिले हैं, जिन्हें भविष्यवक्ता इस्तेमाल करते आ रहे थे। फिलहाल तलाशी जारी है। इसके बाद केस दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।