चम्बल भीलवाड़ा जलप्रदाय परियोजना अब भीलवाड़ा शहर ही नहीं समूचे जिले की जीवन रेखा बन चुकी है, लेकिन यह जीवन रेखा मजबूती के अभाव में जनता के लिए परेशानी का सबब ही बनी हुई है। चम्बल परियोजना का पानी भीलवाड़ा शहर में योजना वर्ष 2013 में चिंहित कॉलोनियों में ही पहुंच रहा है। गत नौ साल में शहर की आबादी करीब डेढ़ लाख और बढ़ गई और सौ से अधिक नहीं कॉलोनियों अस्तित्व में आ गई, लेकिन चम्बल परियोजना की पेयजल आपूर्ति का दायरा नहीं बढ़ सका है। प्रशासन शहरों के संग अभियान में कई कॉलोनियों में पट्टे भी जारी हो गए, लेकिन पेयजल संकट एवं बेहतर नगर नियोजन का ताना बाना यहां मजबूत नहीं हो सका है।
चिंहित कॉलोनियों में ही पानी वर्ष 2013 के बाद अस्तित्व में आई शहर की 50 कॉलोनियों को चम्बल का पानी अभी तक नहीं मिल सका है। गत विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने नई कॉलोनियों में पानी पहुंचाने के वादे किए, लेकिन तीन साल बाद भी ये वादे अधूरे ही है।
चम्बल परियोजना मांग रहा छह करोड़
जलदाय विभाग ने एक्शन प्लान-2013 के पूर्ण होने के बाद वर्ष 2018 में चम्बल भीलवाड़ा जलप्रदाय परियोजना से जोडऩे के लिए शहर में 33 नई कॉलोनियां चिंहित की। जलदाय विभाग की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर न्यास ने 8 मई 2018 को राज्य सरकार के वित्त विभाग को 4.80 करोड का प्रस्ताव भेजा और वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति मांगी । जलदाय विभाग ने चंबल परियोजना के तहत बनी टंकियों से कॉलोनियों तक पेयल उपलब्ध कराने के लिए सहभागिता राशि के रूप में 6.49 करोड़ रुपए की मांग की। न्यास व जलदाय विभाग के प्रस्तावों मेंं दो करोड़ की राशि का अंतर आने से प्रस्ताव अटक गया। इस मामले की पत्रावली चार वर्ष से जयपुर में वित्त विभाग में लम्बित है। सरकार की तरफ से भी अंतर राशि को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है।
यह है नई कॉलोनियां केसरिया पारस, आदर्श नगर, सज्जन विला, कमला एंक्लेव, कमला विहार, कमला नेनो, राधेनगर,आदर्श नगर, कृष्ण कुंज, रिद्दि सिद्धी एंक्लेव, गोकुल विहार, स्वास्तिक एंक्लेव, बालाजी विहार, आदर्श नगर, अहिंसा बंगलो, रघुवंश विहार, नर्मदा एंक्लेव, कुमुद विहार प्रथम, द्वितीय व तृतीय, जमुना विहार, आदित्य विहार, सुजुकी एंक्लेव, कांचीपुरम, पाश्र्वनाथ, गोकुलनाथ, गोकुलम, श्याम विहार, नर्मदा विहार, शिवम नर्मदा विहार, कृष्णा विहार, शिवम विहार व दी ग्रींस,
शहर का बने नया वाटर प्लान शहर की पेयजल आपूर्ति का प्लान वर्ष 2011 की आबादी केआधार पर बना हुआ है। शहर की अधिकांश नई कॉलोनियों में पेयजल आपूर्ति के लिए सरकारी स्तर पर कोई ठोस योजना नहीं है। ऐसे मेें कई हिस्सा अभी भी चम्बल के पानी से वंचित है। नगर विकास न्यास, जलदाय विभाग एवं चम्बल भीलवाड़ा जलप्रदाय परियोजना को आपस में समन्वय स्थापित कर शहर को पेयजल संकट से मुक्त कराना चाहिए। यह मुद्दा विधानसभा में भी कई बार उठाया जा चुका है।
विठ्ठलशंकर अवस्थी,विधायक भीलवाड़ा
यूआईटी के प्रयास में कमी नहीं नगर विकास न्यास ने चम्बल पेयजल परियोजना के लिए शहर में जमीन दी और विभिन्न स्तर पर मदद की। इन सब का आंकलन किया जाए तो न्यास ने बड़ी राशि खर्च की है। यह राशि अभी तक चम्बल पेयजल परियोजना से नहीं ली गई है। 33 कॉलोनियों में पानी पहुंचाने के लिए जो सहभागिता राशि मांगी है। यह राशि परियोजना अधिकारियों को उन्हें न्यास द्वारा दी गई जमीन व अन्य खर्च राशि के रूप में कर लेना चाहिए। हालांकि राज्य सरकार को नए सिरे से प्रस्ताव भिजवा रखा है।
यूआईटी के प्रयास में कमी नहीं नगर विकास न्यास ने चम्बल पेयजल परियोजना के लिए शहर में जमीन दी और विभिन्न स्तर पर मदद की। इन सब का आंकलन किया जाए तो न्यास ने बड़ी राशि खर्च की है। यह राशि अभी तक चम्बल पेयजल परियोजना से नहीं ली गई है। 33 कॉलोनियों में पानी पहुंचाने के लिए जो सहभागिता राशि मांगी है। यह राशि परियोजना अधिकारियों को उन्हें न्यास द्वारा दी गई जमीन व अन्य खर्च राशि के रूप में कर लेना चाहिए। हालांकि राज्य सरकार को नए सिरे से प्रस्ताव भिजवा रखा है।
- रामप्रसाद जाट, सहायक अभियंता (जलसंरक्षण), नगर विकास न्यास भीलवाड़ा