भीलवाड़ा कलक्ट्रेट भवन के इतिहास को लेकर किसी के पास पुख्ता तथ्य नहीं है। यहां मुख्यद्वार पर स्थापित तोपों को लेकर बड़े बुजुर्ग जरूर यह बताते है कि यह तोपें रियासत काल में चित्तौडग़ढ़ से लाई गई थी, यह दोनों तोपे यहां आने वाले लोगों के लिए खासा आर्कषण का केन्द्र रहती है, वही कलक्ट्रेट भवन को चमकाने के लिए जिला प्रशासन नगर विकास न्यास के जरिए लाखों रूपए खर्च कर चुकी है, लेकिन एक दशक पूर्व आइएसओ कलक्ट्रेट रहे कलक्ट्रेट परिसर के हालात अब ठीक नहीं है।
मंहेगी टाइल्स टूटी कलक्ट्रेट परिसर में तहसील कार्यालय के आसपास सड़क पर बिछाई गई मंहेगी टाइल्स टूट चुकी है। यहां एक साल से टाइल्स की सड़क उधड़ी पड़ी है। मरम्मत के अभाव में यहां की अधिकांश टाइल्स भी अब टूटने लगी है। हालात यह की यहां से गुजरना भी अब मुश्किल हो गया है। यहां की पार्किग व्यवस्था डांवाडोल है।
बगिया ही उजड़ गई कलक्ट्रेट परिसर में जिला परिषद के सामने जिला प्रशासन ने तापमापी यंत्र हटवाते हुए पांच साल पहले बगीया विकसित की थी, इससे जिले के दूर दराज के हिस्सों से आने वाले लोगों को सुकुन भरी जगह मिल गई थी, लेकिन यह बगिया अब रख रखाव के अभाव में उजाड़ है, यहां अब महकती बगिया के बजाए कंटीली झाडिय़ां ही रह गई है।
फर्नीचर का कबाड़ जिला परिषद भवन के सामने फर्नीचर आदि कबाड़ का ढेर लम्बे समय से पड़ा है, कबाड़ का ढेर बढऩे से परिषद भवन के साथ ही कलक्ट्रेट भवन की छवि प्रभावित हो रही है। बहुद्देश्यीय हाल की तरफ के जुड़े दोनों तरफ के मार्ग भी अव्यवस्थित पार्किग के अभाव में अकसर बाधित रहते है। कलक्ट्रेट में महिलाओं की सुविधाओं के लिए कोई स्थल नहीं है। उप पंजीयक कार्यालय के समीप बना सुलभ शौचालय भी परेशानी का सबब बना हुआ है। पंजीयक व डीएसओ कार्यालय के बाहर भी लम्बे समय से टाइल्स टूटी पड़ी है।
नहीं कोई गंभीर
तत्कालीन कलक्टर गेरा के कार्यकाल में भीलवाड़ा कलक्ट्रेट के आईएसओ का दर्जा मिलने के बाद बाहर के साथ ही कलक्ट्रेट की आंतरिक व्यवस्था भी सुधर गई थी। लेकिन तीन साल तक ही आईएसओ का लेबल कलक्ट्रेट पर रहा। इसके बाद आईएसओ का नवीनीकरण नहीं होने से कलक्ट्रेट के आला अधिकारियों ने कभी कलक्ट्रेट के हाल की सुध गंभीरता के साथ नहीं ली। इतना ही नहीं कलक्ट्रेट परिसर में स्थित जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों के साथ ही जिला परिषद, पुलिस, तहसील, जिला कोष, सांख्यिकी, उप पंजीयन, रसद, सामाजिक एवं न्याय आदि विभागों की भी कोई पहल नहीं हुई।