बीसलपुर भरने में बड़ा योगदान उपखण्ड क्षेत्र में मेनाली नदी पर गोवटा गांव के समीप बांध की अपनी महत्ता है। मेवाड़ स्टेट के शासन काल में 1923 में बांध का निर्माण हुआ। शुरुआत में बांध की ऊंचाई 15 फीट थी। वर्ष- 1999 में इसे बढ़ाकर 27 फीट किया गया। जयपुर, अजमेर के साथ टोंक का प्रमुख पेयजल स्त्रोत बीसलपुर बांध भरने में गोवटा बांध का प्रमुख योगदान हे। बीसलपुर बांध के केचमेंट क्षेत्र में होने से गोवटा की चादर चलते ही इसका पानी बीसलपुर पहुंचता है।
भीलवाड़ा का कर चुका हलक तर बांध की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि अकाल के समय में भी यह खाली नहीं रहा। वर्ष-2010 में भीलवाड़ा में भीषण पेयजल संकट के दौरान वस्त्रनगरी के बाशिंदों ने इसी बांध से प्यास बुझाई थी। टैंकरों से पानी भीलवाड़ा पहुंचा था। इसे फिल्टर कर घर तक पानी पहुंचाया गया।
अभी यह हालात इस बांध के डाउन स्ट्रीम में रखरखाव के अभाव में बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए। बांध की पाल क्षतिग्रस्त होने से पानी रिसता रहता है। दीवार पर कई जगह प्लास्टर भी नहीं है। वर्ष-2021 में मानसून काल के दौरान पाल की हिस्सा क्षतिग्रस्त भी हो गया था। इसकी बाद में मरम्मत करवाई गई थी। उधर, बांध की नहरें भी क्षतिग्रस्त है। जीर्ण-शीर्ण होने से उसमें से पानी व्यर्थ बहता है। पिछले लम्बे समय से बांध की मरम्मत पर कोई खर्चा नहीं हुआ। बांध पर आपाद प्रबंधन के लिए भी कोई सुविधा नही है।
इनका कहना है मुख्यमंत्री के वर्ष 2020 -21 में बजट घोषणा के अनुरूप मरम्मत के लिए 1.82 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बना कर उच्चाधिकारियों को भेज रखा है। बजट आने पर काम शुरू होगा। बांध की सुरक्षा एवं रखरखाव को लेकर विभाग सतर्क है।
- मधु नैनावटी, सहायक अभियंता, जल संसाधन विभाग, माण्डलगढ़
एक नजर में गोवटा बांध 1923
बांध का हुआ निर्माण 27
फीट बांध की भराव क्षमता
1700
हैक्टेयर में होती सिंचाई