
There is an increasing trend of sending wedding cards through social media
Bhilwara news : देवउठनी ग्यारस के बाद से शादी समारोह की धूम मची है। जिन घरों में शादी समारोह प्रस्तावित हैं, वहां अन्य तैयारियों के साथ शादी के कार्ड बंटने का काम पूर्ण हो चुका है। आयोजकों ने अपने सगे-संबंधियों, दोस्तों एवं रिश्तेदारों को शादी कार्ड भेजकर आमंत्रित कर दिया हैं। एक समय था जब मांगलिक कार्य खासकर शादी समारोह के आयोजनों में रिश्तेदार या किसी अजीज को बुलाना के लिए घर जाकर पीले चावल दिए जाते थे। इससे आपसी प्रेम ज्यादा होता था, लेकिन आज डिजिटल युग में ऑनलाइन से आपसी प्रेम भी दूर होता जा रहा। पहले शादी कार्ड मिले या नहीं, लेकिन पीले चावल देकर बुलावे को प्रमुख माना जाता था। पीले चावल मिलने के बाद लोग भी उस आयोजन को प्राथमिकता देते थे, लेकिन यह परंपरा समय के साथ विलुप्त हो रही है। पीले चावल बारात में जाने के लिए भी नहीं दिए जाते हैं। इसका स्थान सोशल मीडिया ने लिया।
कम हो रहा मेल मिलाप
जब शादी कार्ड प्रचलन में नहीं थे, तब सिर्फ पीले चावल देकर लोगों को आमंत्रित किया जाता था। लोग भी इन्हें काफी महत्व देते थे। जिन घरों में शादी समारोह होते थे, उस परिवार के बड़े सदस्य अपने संबंधियों व रिश्तेदारों को पीले चावल देकर आमंत्रण देने घर-घर जाते थे। इससे आपसी मेल मिलाप बढ़ता था। कुछ देर सुख-दुख की बातें भी होती थी। अब निमंत्रण पत्रों में ही पीले चावल रखकर डाक व कोरियर से भेज दिए जाते हैं।
कार्डों के भी बदल रहे डिजाइन
समय के साथ शादी कार्डों में भी बदलाव आ रहा। मौजूदा समय में शादी कार्ड स्टेटस सिंबल बनते जा रहे है। अधिक कीमत का कार्ड छपवाना आम बात हो गई है। यानि जितनी भव्य व खर्चीली शादी, उतना ही महंगा एवं आकर्षक शादी का कार्ड। पहले शादी कार्डों में सिर्फ स्क्रीन प्रिंट कार्ड लोगों की पसंद थे। अब डिजिटल व मल्टी कलर प्रिंटिंग कार्ड का चलन बढ़ा है। कार्डों की डिजाइन भी समय के साथ बदल रही है।
सोशल मीडिया से भेज रहे कार्ड
आज कल शादी कार्ड निमंत्रण का कार्य कोरोना काल के बाद से सोशल मीडिया पर ग्रुप बना कर लिंक शेयर कर या फिर व्हाट्स एप से भेजा रहा। बाकायदा समय-समय पर रिमाइडंर भी भेजे जाते हैं और कन्फर्मेशन भी ली जाती है। आज इनकी जगह अत्याधुनिक शादी कार्डों ने ली है। शादी समारोह के आयोजन बिना शादी कार्ड के फीके से लगते है। हालांकि पीले चावलों का उपयोग अब भी होता है, लेकिन वो सिर्फ कार्डों में परंपरा निर्वहन तक सीमित है।
Published on:
17 Nov 2024 12:09 pm
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