सूत्रों के अनुसार दो माह पहले दिल्ली से एक खुफिया टीम जिले में आई थी। इस टीम ने सातों विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया। इस टीम की जो रिपोर्ट थी, वह पार्टी के लिए चौंकाने वाली थी। इसमें कुछ एेसे तथ्य सामने आए, जो पार्टी के लिए चिंताजनक था। जिले में कुल सात में से पांच विधायक भाजपा के हैं। छह माह पहले मांडलगढ़ उप चुनाव में भाजपा को शिकस्त मिली थी। इसकी रिपोर्ट भी हाईकमान को गई थी। यहां उपचुनाव में सात बार सीएम के आने के बावजूद भाजपा को सफलता नहीं मिली। अब आने वाले चुनावों में सातों सीटों पर कोई बड़ा नुकसान नहीं हो जाए, इसे लेकर प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा हुई है।
सूत्रों मुताबिक उस टीम ने सात में से पांच विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के लिए चिंता वाली स्थिति बताई थी। हालांकि कुछ लोगों का तर्क है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष एेसे जिला स्तर पर जाकर छोटे मामलों में नहीं पड़ते हैं, लेकिन सूत्रों की मानें तो कुछ जिलों को डार्कजोन मानते हुए जो रिपोर्ट गई थी, उसमें भीलवाड़ा भी शामिल है। एेसे में यहां चुनावों में पहले कैसे स्थितियां सुधारी जा सकती हैं, इस पर दौरे में फोकस रह सकता है। चुनावों के मद्देनजर पार्टी अब बूथ, शक्ति केंद्र और पन्ना प्रमुख तक जाकर अपनी नींव मजबूत कर रही है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह श्रीनाथजी के भक्त हैं। उनके यहां जाने का कार्यक्रम बना, इसलिए भीलवाड़ा का कार्यक्रम तय हो गया। पहले भीलवाड़ा के कार्यकर्ताओं को नागौर जाना था। बाद में टोंक व भीलवाड़ा का सम्मेलन यहां करना तय हो गया। कुछ लोगों में यह भी चर्चा है कि आरएसएस के सह कार्यवाह से भी राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह की मुलाकात हो सकती है।