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ब्लैक फंगस मरीजों को उपचार के लिए नहीं मिल रही दवा

locationभीलवाड़ाPublished: May 17, 2021 08:39:04 am

Submitted by:

Suresh Jain

एमजीएच अधीक्षक ने सरकार से मांगी दवाएं व इंजेक्शनएमजीएच में दो मरीज को मिल रहा उपचार

ब्लैक फंगस मरीजों को उपचार के लिए नहीं मिल रही दवा

ब्लैक फंगस मरीजों को उपचार के लिए नहीं मिल रही दवा

भीलवाड़ा।
ब्लैक फंगस से पीडित मरीजो को एमजीएच में उपचार मिलने लगा है। सरकारी व गैर सरकारी अस्पताल में चार मरीज भर्ती है। उनके उपचार के लिए इंजेक्शन नहीं मिल रहे है। एमजीएच अधीक्षक डॉ. अरुण गौड़ ने सरकार से दवाओं की मांग की है। वही दो मरीजों ने उपचार के लिए जिला कलक्टर कार्यालय में गुहार की है। अस्पतालों में मरीज बढऩे लगे तो बाजारों से इलाज के लिए दवाएं भी गायब हो गई हैं।
हयूमिडिफायर से तो नहीं फैल रहा ब्लैक फंगस!
कोरोना का उपचार ले रहे मरीजों को अस्पताल में दिए जा रहे ऑक्सीजन पर लगी हयूमिडिफायर बोटल से भी ब्लैक फंगस फैलने की संभावना है। डॉक्टरों का कहना है कि हयूमिडिफायर बोटल को कई दिनों तक साफ नहीं किया जाता या उसका पानी तक नहीं बदला जाता है। इसके चलते ऑक्सीजन सप्लाई में लगे हयूमिडिफायर बोटल में फंगस बन जाती है। यह फंगस नाक के माध्यम दीमाग में जाने से मरीज को ब्लैक फंगस होने की संभावना है। इस सम्बन्ध में एमजीएच अधीक्षक डॉ गौड़ का कहना है कि सभी नर्सिग कर्मचारियों से कहा है कि हयूमिडिफायर बोटल का पानी २४ घंटे में बदल दे। उसमें सादा पानी का उपयोग ना करें। इसमें सलाइन या डिस्टिल वॉटर का ही उपयोग ही करें। सादा पानी उपयोग करने पर ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है। संक्रमण से बचने के लिए ऑक्सीजन मास्क हयूमिडिफायर को स्टरलाइज करने को कहा गया है। वही एक महिला के नाक से स्वेब लेकर जांच की है। अस्पताल में ऑक्सीजन बेड पर भर्ती मरीज की एमआरआई करना संभव नहीं है। ऐसे में पहले चरण में नाक से स्वेब लेकर जांच कर सकते है। उपचार के लिए आठ सदस्यों की टीम बनाई गई है।
डायबिटीज होने के बाद भी स्टेरॉयड लेने वाले के फंगस
कान, नाक, गला रोग विशेषज्ञ डॉ. जयराज वैष्णव का कहना है कि ब्लैक फंगस उन लोगों में फैल सकता है जो कोरोना संक्रमित होने के बाद स्टेरॉयड का इंजेक्शन लिया हो। इसके चलते शुगर कंट्रोल नहीं होने पर इसकी चपेट में आ सकते है। इस बीमारी के उपचार पर करीब 2 लाख तक का खर्च हो जाता है। इसके बाद भी संक्रमित हिस्से को अलग करना ही पड़ता है। डाक्टरों ने माना है कि अब तक दो की मौत हो चुकी तथा एक की आंख की रोशनी चली गई है।
लक्षण नजर आते ही ले उपचार
डिप्टी सीएमएचओ डॉ. घनश्याम चावला ने बताया कि लंबे समय तक वेंटिलेटर में रहने तथा वोरिकोनाजोल थेरेपी से फंगस होने की संभावना है। ऐसे मरीजों के ब्लैक फंगस के लक्षण नजर आते ही तुरन्त ईएनटी डॉक्टर से सलाह ले। तथा इसकी अनदेखी न करें। मरीज के ब्लैक फंगस होने पर आंख, जबड़ा तक निकालने की नौबत आ रही है। इससे कई संक्रमितों की जान भी चली गई है। ब्लैक फंगस यदि मरीज के नाक से सिर में चला जाता है तो जान जाने का खतरा होता है।
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