थानाधिकारी मोरपाल गुर्जर के अनुसार, रणजीतसिंह रावत की पत्नी संतोक देवी (25) का शव ससुराल में दफनाने की सूचना पर पुलिस पहुंची। काफी ग्रामीण घर के बाहर जमा थे। करेड़ा एसडीएम उम्मेदसिंह राजावत व आसींद डीएसपी रोहित मीणा भी पहुंचे। मृतका के राजसमंद के बरार पंचायत के ओटा गांव से पीहर पक्ष को बुलाया। उनकी मौजूदगी में कमरे में दफनाया शव निकाला। मौके पर मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराया। मृतका के चाचा करमालाल सालवी को शव सौंपा गया। घटना के समय मृतका का पति वहां नहीं मिला। ससुर-सास वहीं थे। गांव में संतोक का शाम को ग्रामीणों के सहयोग से अंतिम संस्कार कर दिया गया।
ससुर बोले-बीमार से मौत मृतका के ससुर चुनसिंह रावत ने बताया कि पांच साल पूर्व उसके पुत्र रणजीत ने संतोक से प्रेम विवाह किया। विजातीय विवाह करने से ग्रामीणों और समाज ने बहिष्कृत कर दिया। मृतका के तीन साल का पुत्र है। दूसरी बार गर्भवती हुई और एक माह पूर्व ऑपरेशन हो गया। उसके बाद संतोक को पीलिया हो गया। उसकी हालत बिगड़ती गई। बीमारी से रविवार को मृत्यु हो गई। मृतका का पति व अन्य परिजन सरकारी विद्यालय के बाहर गड्ढ़ा खोदकर दफनाना चाह रहे थे। ग्रामीणों ने मना कर दिया। परिजनों ने घर के बरामदे में शव गाडऩे की कोशिश की तो ग्रामीणों ने एतराज जताया। इसके चलते रात में कमरे में दफना दिया।
ग्रामीणों का कहना था कि रणजीत और उसके परिवार के लोग स्कूल के पास संतोक को दफनाना चाह रहे थे। इसलिए रोका। मोक्षधाम में अंतिम संस्कार करने को कहा था। उन्होंने घर के बरामदे में गड्ढ़ा खोदा तो मना किया था। रात में गुपचुप रूप से कमरे में दफना दिया पुलिस के अनुसार 5 साल पूर्व रणजीत बरार में बिजली ठेकेदार के अधीन श्रमिक था। वहां संतोक से पहचान हुई, जो विवाहित थी। रणजीत संतोक को ससुराल से भगा ले गया। संतोक के परिजनों ने राजसमंद में अपहरण का मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने रणजीत को गिरफ्तार किया। रणजीत नहीं माना। उसने संतोक को भगा ले गया और विवाह कर लिया।