लॉकडाउन से सैकड़ों रेहड़ी वालों के घर रोटी का संकट
मजदूरी बंद होने से घर चलाना हुआ मुश्किलबीते साल सहायता बांटने वाले इस बार गायब
लॉकडाउन से सैकड़ों रेहड़ी वालों के घर रोटी का संकट
भीलवाड़ा।
कोरोना के संकट काल में लॉकडाउन की स्थिति के चलते निर्धन वर्ग परेशानी में है। रोजाना मजदूरी करके पेट भरने वाले गरीब परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इस बार के लॉकडाउन में भामाशाह तथा जनप्रतिनिधि भी इन लोगों की मदद को आगे नहीं आ रहे हैं। शहर के प्रमुख चौराहे पर खड़े होने वाले रेहड़ी वालों की हालत ठीक नहीं है।
लॉकडाउन के कारण अधिकांश छोटे-छोटे धंधे चौपट हो गए हैं। मजदूर वर्ग खाली हाथ बैठा हुआ है। रोजाना मेहनत मजदूरी करने वाले बेलदार, ठेले वाले, मिस्त्री, कारपेंन्टर, मोची आदि दिहाड़ी मजदूरों के लिए परिवार का पालन करना मुश्किल हो रहा है।
मजदूर कहते हैं कि रोज मजदूरी कर जो पैसा आता था, उससे आटा, दाल, तेल आदि खरीद कर अपने परिवार का पेट भरते थे। लेकिन लॉकडाउन से मजदूरी बंद हुई है। ऐसे में मजबूरन घर बैठे रहना पड़ रहा है। जमा पूंजी से पेट भर रहे हैं या फिर उधारी से काम चलाना पड़ रहा है।
पिछले वर्ष की कोरोना लहर में हुए लॉकडाउन के दौरान प्रशासन के अलावा अनेक भामाशाहों ने आटा, दाल, अनाज, चीनी, तेल, साबुन, मसाले आदि दैनिक उपयोग की सामग्री वितरित की थी। इसके अलावा मास्क, सेनेटाइजर, साबुन आदि भी बांटे गए थे। इससे निर्धन लोगों को काफी संबल मिला था। इस बार न प्रशासन मदद कर रहा है और न भामाशाहों की ओर से जरूरतमंदों की मदद के प्रयास किए जा रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि अगर सरकार ने निर्धन वर्ग के लोगों को मदद की कोई राहत योजना शुरू नहीं की तो इस आपदा में अनेक निर्धन परिवारों के भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।