वसुंधरा राजे के चुनाव प्रचार से किनारा करने के कारण स्थानीय भाजपा नेताओं की यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की सभा कराने की मांग थी। यह कार्यक्रम इसलिए भी मायने रखता है, क्योंकि रियासतकाल में गंगापुर और आसपास के एक दर्जन गांव ग्वालियर राजघराने की जागीर रही है।
स्थानीय लोगों के अनुसार करीब ढाई सौ साल पहले ग्वालियर राजघराने की तत्कालीन महारानी गंगाबाई यहां मेवाड़ और देवगढ़ रियासतों में हुए विवाद में सुलह के लिए आई थी। लौटते समय उनका गंगापुर में निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार यहीं हुआ। गंगापुर में जिस स्थान पर गंगाबाई का अंतिम संस्कार हुआ। वहां पर उनकी छतरी और मंदिर है। गंगापुर और आसपास के गांव रियासतकाल में ग्वालियर राजघराने का हिस्सा माना जाता है।
भाजपा ने स्थानीय लोगों के इसी जुड़ाव का फायदा लेने के लिए ज्योतिरादित्य की सभा करवाई। यहीं कारण रहा कि उदयपुर से गंगापुर पहुंचने पर रविवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया सबसे पहले यहां गंगा बाई के मंदिर गए और दर्शन किए। इसके बाद चुनावी सभा में उन्होंने कहा कि यूं तो पूरे राजस्थान के साथ उनका रिश्ता रहा है, लेकिन पूरे राजस्थान में उनका कहीं खून का रिश्ता है तो वह सिंधिया परिवार का गंगापुर के साथ है। यहां से उन्होंने सभा स्थल तक रोड शो भी किया।
कांग्रेस ने किसानों के साथ वादा खिलाफी सभा में करीब २५ मिनट के अपने उद्बोधन में ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस को जमकर आड़े हाथों लिया। उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर जमकर तंज कसे। उन्होंने कहा कि अन्नदाता और मतदाता दोनों भगवान है। दोनों के साथ राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने वादाखिलाफी की है। किसानों के साथ धोखा हुआ। बेरोजगारों के साथ वादाखिलाफी की गई। यहां भ्रष्टाचार चरम पर है। मुख्यमंत्री का दायित्व है कि जनता के बीच जाकर वे जनसमस्याओं को दूर करें और वादों को निभाएं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने 10 दिन में किसानों की कर्जा माफ ी की बात कही थी, लेकिन ढाई साल में कुछ नहीं हुआ। सिंधिया ने कहा कि प्रदेश में महिला व आमजन के साथ अब पुलिस भी सुरक्षित नहीं है। उन्होंने भीलवाड़ा में ही शनिवार रात तस्करों की गोली से दो पुलिस कर्मियों की मौत का जिक्र करते हुए कानून व्यवस्था की स्थिति की खिंचाई की।
कृषि बिल काला कानून नहीं सभा में केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने राज्य सरकार को किसान विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने कृषि बिल बनाए, लेकिन उन्हें कांग्रेस काला कानून बता रही है, जबकि इसमें काला कहीं नहीं है। राज्य सरकार यदि केन्द्र को बाजरे की खरीद के लिए समर्थन मूल्य की मांग करती और पत्र लिखती तो केन्द्र इसके लिए रास्ता खोलता, लेकिन राज्य सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया। सभा को सांसद सुभाष बहेडिय़ा, सीपी जोशी, विधायक जोगेश्वर गर्ग, जब्बर सिंह सांखला ने भी संबोधित किया।