राज्य में उत्पादित 51.48 लाख टन क्वाट्र्स फेल्सपार में से 24.11 लाख टन यानी 47 प्रतिशत भीलवाड़ा, चित्तौडग़ढ़, उदयपुर व राजसमन्द जिलों में होता है। भीलवाडा जिले में फेल्सपार के विशाल भंडार हैं लेकिन जिले में ग्राइंडिग उद्योग नहीं पनप पा रहे है। ब्यावर एवं किशनगढ में एक हजार से अधिक क्वाटर्स फेल्सपार ग्राइंडिग उद्योग हैं। इसके लिए कच्चे माल की आपूर्ति भीलवाड़ा से होती है। राजस्थान से क्वाट्र्स फेल्सपार पाउडर गुजरात के सिरेमिक उद्योगों को भेजा जाता है। कच्चा माल की प्रचुरता के बाद भी सिरेमिक उद्योग विकसित नही हो पाया है।
भीलवाड़ा सीमा से लगे चित्तौड़़ जिले के सोनियाणा में रीको ने 361.5 हैक्टेयर भूमि औद्योगिक क्षेत्र के लिए अवाप्त की थी। सोनियाणा में 343.23 हैक्टेयर में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है। 231.92 हैक्टेयर में औद्योगिक भूखण्ड काटे जा रहे है। यहां तीन तरह के उद्योगों के लिए जमीन चिन्हित की गई। टेक्सटाइल, मार्बल व अन्य उद्योग।
जिले में सिरेमिक जोन नहीं है। इसके कारण क्वाट्र्स फेल्सपार उद्योग विकसित नहीं हो पा रहा है। सोनियाणा में रीको की जमीन है। यहां सिरेमिक जोन के लिए जमीन का आवंटन के लिए चेंबर की ओर से रीको के प्रबन्ध निदेशक व सांसद सुभाष बहेडिय़ा को पत्र लिखा है। जमीन मिलने से क्वाट्र्स फेल्सपार उद्योग विकसित हो सकेगा।
आरके जैन, महासचिव मेवाड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इण्डस्ट्री